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जोखिमों ने बना दिया सोनम को अखाडे़ की मलिका

Published - Tue 25, May 2021

सोनम ने सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त को ओलंपिक में टीवी पर कुश्ती करते देखा था। तभी खुद से एक वादा किया कि एक दिन मैं भी टीवी पर आऊंगी और लोग मेरे मुकाबले देखेंगे। सोनम अपने पहले ही ओलंपिक में पदक जीतकर इसे यादगार बनाना चाहती हैं।

Sonam malik

भारतीय कुश्ती जगत के कई लोगों को डर था कि कम उम्र की सोनम मलिक सीनियर वर्ग के अनुभवी पहलवानों के खिलाफ मुकाबला करने से चोटिल हो सकती हैं। हरियाणा के सोनीपत जिले के मदिना गांव की 19 साल की इस युवा पहलवान ने हालांकि ओलंपिक टिकट हासिल कर यह साबित किया कि उनका जोखिम उठाने का फैसला सही था। अब वह अपने पहले ही ओलंपिक को पदक जीतकर यादगार बनाने में जुटी हैं सोनम (62 किग्रा) में रियो ओलंपिक की पदक विजेता साक्षी मलिक को पटखनी देकर अपनी पहचान बनाई। सोनम ने 2018 में दिल्ली दंगल में एक स्कूटर और एक लाख 10 हजार रुपये का पुरस्कार जीता। कुल मिलाकर उन्होंने पांच बार भारत केसरी का खिताब जीता। सोनम को 10 साल की उम्र से ही नाम कमाने की ललक थी। उन्होंने मदिना स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस खेल अकादमी के दिनों को याद करते हुए कहा,‘हमने 2012 में इस अकादमी में एक प्रशिक्षण सत्र के बाद सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त को ओलंपिक में कुश्ती करते देखा था। जब मैंने उन्हें टीवी पर देखा तो मैंने भी खुद से एक वादा किया था कि एक दिन मैं भी टीवी पर आऊंगी और लोग मेरे मुकाबले देखेंगे। मैं पदकों और बेल्टों को जीतना चाहती थी और पदक समारोह में भारतीय ध्वज को ऊपर जाते देखना चाहती थी।’ 

चार बार लगातार साक्षी को दी है पटखनी

सोनम मुकाबलों में पिछड़ने पर भी विचलित नहीं होती और वापसी करने में सफल रहती है। ऐसा ही साक्षी के खिलाफ उनके पहले मुकाबले (जनवरी 2020) में हुआ। सोनम पहले 4-6 और फिर 6-10 से पीछे चल रही थी लेकिन आखिरी लम्हों में उन्होंने चार अंक जुटा कर ओलंपिक पदकधारी को चौंका दिया। उन्होंने साक्षी को लगातार चार बार पटखनी दी। सोनम ने कहा,‘मैंने उन्हें 2017 में पहली बार देखा था। उनके खिलाफ कुश्ती करना सपना था। कोच ने मुझे बताया, मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं नहीं था और हासिल करने के लिए सब कुछ था। मुझे नहीं पता कि मैंने यह कैसे किया लेकिन मैंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।’ सोनम दो महीने बाद जब टोक्यो ओलंपिक में मैट पर उतरेंगी तब भी उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होगा। 

लड़कों को हराने में आता था मजा

सोनम ने कहा,‘उन्हें मजबूत लड़कों को हराने में ज्यादा मजा आता था। लड़कियों के खिलाफ कुश्ती करना भी अच्छा था लेकिन लड़कों के  खिलाफ प्रतिस्पर्धा करना मेरे लिए हमेशा एक अच्छी परीक्षा थी।’ सोनम जब कुश्ती नहीं करती है तब भी वह इसके बारे में ही चर्चा करती रहती है। उनका परिवार भी हमेशा कुश्ती के बारे में चर्चा करते रहता है।

सीनियर स्तर पर मौका दिलाने के लिए कोच को करनी पड़ी काफी मशक्त

सोनम के कोच अजमेर मलिक और उनके अभिभावक को राष्ट्रीय महासंघ को दो बार की इस कैडेट विश्व चैंपियन को सीनियर स्तर पर मौका दिलवाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। अजमेर ने कहा,‘ट्रायल्स में सोनम, साक्षी पर भारी पड़ी और उन्होंने भारतीय टीम में जगह पक्की की। इसके बाद डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बीबी शरण ने कहा था कि अगर हम ट्रायल्स में उसे मौका नहीं देते तो यह बड़ी गलती होती। डब्ल्यूएफआई ने तर्क दिया था कि अनुभव की कमी के कारण वह चोटिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हम ऐसा करके उनके कॅरिअर को खतरे में डाल देंगे। लेकिन हमने महासंघ को मनाना जारी रखा।’ सोनम ने बड़े नामों के खिलाफ ओपन कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करते हुए जीत दर्ज की थी। उन्होंने रितु मलिक, सरिता मोर, निशा या सुदेश जैसे बड़े पहलवानों के खिलाफ उनकी प्रतिष्ठा की परवाह नहीं की।