हिमा ने पोलैंड में कूट के एथलेटिक्स मीट में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम कर देश का गौरव बढ़ाया। यह उनका इस सप्ताह में जीता गया दूसरा स्वर्ण पदक है।
नई दिल्ली। कुछ करने का जज्बा हो तो परेशानियां उसमें बाधा नहीं बन सकती हैं। यह बात साबित कर दिखाई है एथलीट हिमा दास ने। हिमा ने पोलैंड में कूट के एथलेटिक्स मीट में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम कर देश का गौरव बढ़ाया। यह उनका इस सप्ताह में जीता गया दूसरा स्वर्ण पदक है। हिमा की इस स्वर्णिम सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति है। मूल रूप से असम के गांव कोधूलिमारी की रहने वाली हिमा दास काफी समय से सेहत से जुड़ी बीमारियों से जूझ रही थीं। वह पीठ दर्द की असहनीय पीड़ा से परेशान थीं। इसके बावजूद उन्होंने लक्ष्य से अपना ध्यान नहीं भटकने दिया। हिमा दास पोलैंड में 200 मीटर की दौड़ 23.97 सेकेंड में पूरी कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
हिमा दास ने मंगलवार को पोलैंड में आयोजित एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में भी स्वर्ण पदक जीता था। वर्तमान में हिमा विश्व जूनियर चैंपियन हैं साथ ही 400 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर भी हैं। हिमा दास आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला हैं। बेटी की सफलता से उनके पिता रोनजीत दास और मां जोनाली दास काफी खुश हैं। हिमा के पिता किसान हैं। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमा की इस सफलता पर ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है।
मुश्किलों में भी हार नहीं मानी
भारत में खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण वह पीछे रह जाते हैं। लेकिन हिमा ने विकट परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बनाया और इतिहास रच दिया। करियर के शुरुआती दिनों में रनिंग ट्रैक मौजूद नहीं होने के कारण हिमा ने फुटबाल के मैदान से शुरुआत की। मैदान में दौड़ लगाना हिमा के लिए चुनौती भरा जरूर था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती रहीं।
फुटबाल में भी हिमा की खासी दिलचस्पी
हिमा को बचपन से ही खेल में रूचि थी। वह घरवालों के रोकने के बावजूद लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं। फुटबाल खेलने से उनका स्टेमिना बढ़ता गया। हिमा स्कूल में भी फुटबाल ही खेलती थीं और इसी खेल का अपना करियर बनाना चाहती थीं। हिमा ने जवाहर नवोदय विद्यालय से पढ़ाई की है। वहीं के एक टीचर ने हिमा को दौड़ने के लिए प्रेरित किया उसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हिमा ने बनाए रिकॉर्ड
हिमा अप्रैल 2018 में गोल्ड कोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में 51.32 सेकेंड में दौड़ पूरी कर छठवें स्थान पर रहीं। इसके बाद 400 मीटर स्पर्धा में सातवीं रैंक हासिल की। गुवाहाटी में आयोजित अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा 18वें एशियन गेम्स में हिमा ने दो दिन में दूसरी बार महिला 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़कर सिल्वर मेडल जीता है।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर हिमा को दी बधाई
हिमा दास की सफलता पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है। पि्रयंका ने लिखा- हिमा दास आप जोश और जज्बे की जीती-जागती मिसाल हैं। हफ्ते भर के भीतर दो अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने पर आपको बहुत-बहुत बधाई। आप चोट से उठकर तुरंत रेस के लिए उतर पड़ी, ये बात हम सबको एक सीख देती है। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.