तमिलनाडु की गुनावती चंद्रशेखरन को बचपन में पोलियो हो गया था। लेकिन गुनावती ने जीवन से हार नहीं मानी और आज वह एक सफल बिजनेस वुमेन भी हैं और महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं।
तमिलनाडु। गुनावती के परिवार में सभी डॉक्टर हैं। लेकिन इतना संपन्न और जागरूक परिवार होने के बाद भी गुनावती चंद्रशेखरन को डेढ़ साल की उम्र में पोलियो हो गया। वे बिना किसी सहारे के चल नहीं पाती थीं। होश संभाला, तो उन्हें कई तरह के ताने भी मिले, स्कूल, कॉलेज में लोगों ने छींटाकाशी भी की, मजाक भी बनाया गया, लेकिन गुनावती ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। गुनावती ने दसवीं की परीक्षा पास की थी, इसी दौरान उनके परिवार ने उनकी शादी कर दी। शादी के बाद उनके दो बेटियां हुईं। चूंकि परिवार में सब महिलाएं वर्किंग थीं, तो गुनावती भी लगा कि वह अपनी बेटियों के लिए कुछ करें आगे चलकर उन्हें प्रेरणा दें। इस बात ने उन्हें काफी परेशान कर दिया। उनके पति उनकी ताकत बने। उन्होंने गुनावती को अपने प्रिंटिंग और बाइंडिंग के बिजनेस में मदद करने के लिए कहा। इसके अलावा उनका ग्राफिक मशीन के इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम भी था, जिसे गुनावती ने संभाल लिया।एक बार फिर गुनावती घर पर बैठ गयीं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब वे क्या करें? क्योंकि वे घर पर ही बैठे रहना नहीं चाहती थीं। और किस्मत से एक दिन वे अपनी बेटी के साथ एक फैमिली फ्रेंड के घर गयीं। वहां पर उन्होंने उनकी बेटी की बनायीं पेपर ज्वेलरी देखी।बचपन से ही आर्ट्स एंड क्राफ्ट में दिलचस्पी रखने वाली गुनावती ने उससे वहीं पर बैठकर पेपर आर्ट के बारे में पूछना शुरू कर दिया। मात्र आधे घंटे में उन्होंने सभी जानकारी उससे ले ली और फिर घर आकर उन्हें तरीका मिल गया कि वे कैसे अपना टाइम अच्छी जगह लगा सकती हैं। उनका सबसे पहला पेपर आर्ट एक ‘बटरफ्लाई आर्टवर्क’ था, जिसे उनके पति ने फ्रेम कराया और फिर फोटो लेकर फैमिली ग्रुप्स में साझा किया। उनके भाई को अपने कुछ सहकर्मियों को तोहफे देने थे और उन्होंने गुनावती से कहा कि अगर मैं उनके लिए इस तरह के कुछ आर्टवर्क बनाकर दूं तो काफी अच्छा रहेगा। इस तरह से उन्हें पहला 40 पेपर आर्ट वर्क बनाने का काम मिला। जब वह इन आर्टवर्क्स को फाइनल पैकेजिंग कर रही थी तो उनके पति ने इन सभी पर छोटे-छोटे स्टीकर चिपका दिए। उन्होंने खुद उन स्टीकर को तैयार किया, जिस पर लिखा था- ‘गुणाज क्विलिंग। साथ में उनका नंबर और ईमेल आईडी लिख दिया। इसके बाद, साल 2014 में उन्हें मदुरई के एक जूट मेला में जाने को मिला और वहां वे पेपर ज्वेलरी पहनकर गयी थीं। सभी ने उनकी ज्वेलरी की तारीफ की और वहीं पर एक कारीगर ने उन्हें सलाह दी कि वे हैंडलूम और हेंडीक्राफ्ट विभाग में अप्लाई करके अर्टीसन कार्ड बनवा लें। इससे उन्हें किसी भी सरकारी आयोजन में भाग लेने का मौका मिलेगा। गुनावती को अर्टीसन कार्ड मिलने के दो महीने में ही कोयम्बटूर में अपनी स्टॉल लगाने का मौका मिला और इसके बाद उन्होंने आज तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा है। आज उनके साथ 8 कारीगर काम कर रहे हैं और वे अपने प्रोडक्ट्स सिर्फ सरकारी स्टॉल के जरिये ही बेचती हैं।
एंटीक चीजें बनाती हैं गुनावती
गुनावती वाल आर्ट, ग्रीटिंग कार्ड, वेडिंग कार्ड, मिनिएचर आर्ट, ज्वेलरी, नेमप्लेट, कंपनी लोगो, कंपनी कार्ड्स, स्पेशल फोटो फ्रेम्स आदि बनाती हैं। वेसाल में लगभग 8 सरकारी आयोजनों में भाग लेती हैं। हर एक आयोजन में वे 50 से 80 हजार रुपये कमा लेती हैं। इसके अलावा, कभी-कभी वे प्राइवे ऑर्डर्स पर कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट्स भी बनाती हैं। वे क्विलिंग गिल्ड, यूके की सदस्य भी हैं और उन्होंने ब्रिटिश काउंसिल में अपने इस बिजनेस आईडिया पर लेक्चर भी दिया है। इसके अलावा उन्हें कई जगह मोटिवेशनल स्पीच देने का मौका भी मिला है। साथ ही, वे स्कूल और कॉलेज में वर्कशॉप भी कंडक्ट करती हैं। साल 2016 में उन्हें जिला स्तर पर सम्मान मिला था और फिर 2019 में उन्हें राज्य-स्तरीय सम्मान से नवाज़ा गया। आज गुनावती न सिर्फ अपनी बेटियों के लिए बल्कि देश की हर उस महिला के लिए प्रेरणा हैं जो कि अपने जीवन में कुछ करना चाहती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.