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वजन कम करने को शुरू किया खेल सुतीर्था के लिए बन गया कॅरिअर

Published - Thu 05, Aug 2021

बंगाल की रहने वाली सुतीर्था मुखर्जी भले ओलंपिक में हार गईं हों लेकिन उन्होंने सभी का मन जीत लिया। वह छह साल की उम्र से टेबल टेनिस खेल रहीं हैं, अब उनकी निगाहें अगले ओलंपिक पर हैं।

Sutirtha Mukherjee

नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में इस बार महिलाओं की संख्या अधिक रही। अभी तक कुल पांच मेडल देश की झोली में आएं हैं। जिनमें से तीन महिलाओं ने ही जीते हैं। हालांकि कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो शानदार प्रदर्शन के बाद भी खेल से बाहर हो गए। इसी में शामिल हैं बंगाल की रहने वाली सुतीर्था मुखर्जी। टेबल टेनिस की शानदार खिलाड़ी हैं हालांकि वह ओलंपिक में वुमन सिंगल टेबल टेनिस में वह पुर्तगाल की फू यो से हार गईं। सुतीर्था उन 4 टेबल टेनिस प्लेयर्स में से एक थीं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया था। जबरदस्त परफॉर्मेंस के बाद भी उन्हें ओलंपिक में हार झेलनी पड़ी। उन्होंने यह खेल वजन कम करने के लिए शुरू किया था जो बाद में उनका शौक बन गया।

6 साल की उम्र से खेल रहीं हैं टेबल टेनिस

सुतीर्था मुखर्जी का जन्म 10 अक्टूबर 1995 में कोलकाता के एक छोटे से शहर नैहाटी में हुआ। सुतीर्था मुखर्जी ने टेबल टेनिस 6 साल की उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस गेम को वजन कम करने के लिए खेलना शुरू किया था। जिसे शुरुआत में वह एक शौक के तौर पर लेती थीं, लेकिन बाद में उनकी मां ने उन्हें इसी गेम में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। एक इंटरव्यू में सुतीर्था मुखर्जी ने बताया कि उनकी मां अपने समय में कभी किसी भी खेल का हिस्सा नहीं बन पाईं थीं, ऐसे में वह मेरे जरिए खुद को खेलता देख पाती हैं। उनकी मां हमेशा चाहती थीं कि वह टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लें ताकि दुनिया की टॉप 50 रैंक में अपनी जगह बना सकें।

कैसे बनाई टोक्यो ओलंपिक में जगह

दोहा में हुए एशियन क्वालिफायर में सुतीर्था मुखर्जी ने मनिका बत्रा को मात दी थी, जिसके बाद उन्हें टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला था। अपने इंटरव्यू में सुतीर्था ने बताया कि रियल लाइफ में वह अपनी मां नीता और कोच मिहिर घोष को रोल मॉडल मानती हैं। जिन्होंने हर कदम पर उन्हें सपोर्ट किया है। बता दें कि भले ही सुतीर्था बंगाल की रहने वाली हैं, लेकिन नेशनल लेवल पर वह हरियाणा का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके अनुसार, हरियाणा में खिलाड़ियों का काफी सम्मान किया जाता है, खास कर जब आप मेडल जीत कर लाते हैं।