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तेजस्विनी ने कभी खेल छोड़ने का बना लिया था मन

Published - Tue 20, Jul 2021

ओलंपिक का टिकट कटाने वाली तेजस्विनी सावंत काफी संघर्ष के बाद यहां तक पहुंची हैं। उनका बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा है, बावजूद इसके उन्होंने हौसला बनाए रखा। यह कई बार डगमगाया जरूर, लेकिन फिर भी वह अपनी मंजिल पाने को अडिग रहीं।

Tejaswini sawant

नई दिल्ली। पंद्रह साल पहले अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय निशानेबाज तेजस्विनी सावंत का आखिरकार ओलंपिक खेलने का सपना साकार हो ही गया। वह ओलंपिक में पदार्पण करने वाली देश की सबसे उम्रदराज ओलंपियन बनेंगी। 40 वर्षीय तेजस्विनी टोक्यो में 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन में निशना साधेंगी। महाराष्ट्र के कोल्हापुर की तेजस्विनी ने पहली बार 2006 मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में सोने पर निशाना साधा था। उसके बाद से वह विश्व कप के स्वर्ण सहित कई पदक जीत चुकी हैं। तेजस्विनी इससे पहले दो बार (2008 बीजिंग और 2012 लंदन) ओलंपिक के टिकट से चूक गई थीं।

उधार के पैसे से तेजस्विनी सावंत ने खरीदी थी राइफल

मुश्किलों में बचपन गुजारने वाली तेजस्विनी सावंत को एक वक्त राइफल खरीदने के लिए भी कर्ज लेना पड़ा था। इतना ही नहीं हालात ऐसे हो गए थे कि एक समय पर उनको अपने इस पसंदीदा खेल तक को छोड़ने का फैसला करना पड़ा था। पिता ने उनको इस खेल को जारी रखने के लिए प्रेरित किया और नौकरी करने का मन बनाने के बाद उसे बदलवाया। 2010 विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने पर तेजस्विनी को हौसला मिला। साल 2011 में भारत सरकार के द्वारा तेजस्विनी को उनकी उपलब्धियों के लिए अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया।

महाराष्ट्र की रहने वाली हैं 

भारतीय महिला निशानेबाज तेजस्विनी सावंत का जन्म 12 सितंबर 1980 को महाराष्ट्र के कोल्हारपुर में हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह कुल नौ पदक (4 स्वर्ण, 3 रजत, 2 कांस्य) जीत चुकी हैं।

उपलब्धियां

विश्व चैंपियनशिप (2010 गोल्ड), वर्ल्ड कप (2009 कांस्य), कॉमनवेल्थ (2006,2018) गोल्ड मेडल, 2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप 50 मीटर राइफल में गोल्ड मेडल जीता।