Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

वनिता के शरणालयम से पढ़कर निकले अनाथ बच्चे आज इंजीनियर, नर्स और शिक्षक हैं

Published - Tue 15, Sep 2020

कॉलेज में पढ़ाना छोड़कर वनीता ने अनाथ बच्चों के लिए शरणालयम बनाया, कॉलेज में पढ़ाते हुए वह अक्सर समाज के लिए कुछ करने के बारे में सोचती थी। इनर व्हील क्लब के साथ काम करने से जब संतुष्टि नहीं मिली, तो उन्होंने नौकरी छोड़कर बच्चों के लिए शरणालय खोला। 

Vanitha Rangaraj

वनिता रंगराज, तमिलनाडु में कोयंबटूर के पोलाची की निवासी हैं। वहां के स्थानीय कला और विज्ञान महाविद्यालय में वह इतिहास विभाग में प्रवक्ता थी। वर्ष 1998-99 के दौरान उन्हें इनर व्हील क्लब का अध्यक्ष चुना गया। उनका काम था आसपास की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों तक सुविधाओं की पहुंच को आसान बनाना। उन्होंने वहां जाना शुरू कर किया, तो उन्हें गरीबों की जीवन शैली से का अहसास हुआ। वहां वनिता को ऐसे बहुत-से बच्चे मिले, जो स्कूल नहीं जा पाए थे। कुछ बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा व पौष्टिक भोजन मिलना दूभर था, तो कई बच्चों के पास कपड़े नहीं थे, तो विकलांग बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। उनके जीवन में सुधार के लिए उनकी सस्था ने जो कदम उठाए, वे पर्याप्त नहीं थे, क्योंकि उस संगठन के माध्यम से वह संभव ही नहीं था। वह चूंकि बस्ती के कई बच्चों से भावनात्मक तौर पर जुड़ चुकी थी, इसलिए अनाथ और विकलांग बच्चों की देखभाल करने के लिए उन्होंने अपना संगठन शुरू करने के बारे में सोचा और कॉलेज से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। वर्ष 2001 में तमाम कोशिशों के बाद किराये के कमरों में झुग्गी और रेलवे स्टेशन से आए सात अनाथ बच्चों के साथ शरणालयम की शुरुआत हुई। शरणालयम में उनका उद्देश्य था बच्चों के जीवन में बदलाव लाना। 

सबको जगह  

वह कहती हैं कि अब इस घर के अंदर हंसी, रोना, क्रोध और खुशी का माहौल रहता है। मुझे एहसास था कि हर बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल बचपन का अधिकार है। उनकी बेहतर देखभाल करने और उन्हें शिक्षित करने का दायित्व मैंने निभाया। धीरे-धीरे बच्चे बढ़ने लगे, पर मैंने किसी अनाथ को अपने पास रखने से मना नहीं किया। 

लोगों से मदद

इस काम के लिए वनिता ने कुछ लोगों से सहायता मांगी, तो तकरीबन सौ बच्चों के रहने लायक एक जगह मिल गई। बाद में इसका विकास हुआ। इसमें भोजन की जगह, योग केंद्र और मानसिक रूप से विकलांग और बीमार बच्चों के लिए भी एक सेंटर बनाया गया। 

बेहतर जिंदगी

वनीता ने एचआईवी/ एड्स से प्रभावित लोगों और बच्चों के लिए विशेष रूप से एक सामुदायिक देखभाल केंद्र विकसित किया है। यहां रहने वाले बच्चों की शिक्षा का भी ध्यान रखा जाता है। यहां से निकले बच्चे आज इंजीनियर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, शिक्षक, प्रशिक्षक आदि हैं।