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यूपीएससी टॉपर प्रतिभा के गुण भी ऐसे... कि हर किसी को उन पर गर्व

Published - Thu 06, Aug 2020

प्रतिभा ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से ना केवल अपना नाम रोशन किया है बल्कि उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सुल्तानपुर और उस गांव को भी सुर्खियों में ला दिया है, जहां प्रतिभा जन्मीं और पली-बढ़ीं।

pratibha verma

होनहार बिरवान के होत चीकने पात... इसका अर्थ है कि होनहार बालक की छवि पालने में ही दिख जाती है। वहीं से इस बात को समझ लिया जाता है कि यह बालक आगे चलकर अच्छे कार्य करेगा, नाम रोशन करेगा और हमेशा प्रगति की राह पर बढ़ता रहेगा। पुरूष प्रधान समाज में आज के दौर को देखें तो बालिकाएं भी किसी से कम नहीं हैं। और यहां हम इस उक्ति से यूपी की उस बिटिया को जोड़ रहे हैं, जिसने इस कहावत को सार्थक कर दिखाया है और साथ ही यह संदेश भी दिया है कि मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए।

 ‘यथा नामे तथा गुणे’ ये उक्ति अगर प्रतिभा वर्मा के बारे में कही जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से ना केवल अपना नाम रोशन किया है बल्कि उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सुल्तानपुर और उस गांव को भी सुर्खियों में ला दिया है, जहां प्रतिभा जन्मीं और पली-बढ़ीं। प्रतिभा को डेंगु ने करारी चोट मारी थी। उसका शरीर काफी कमजोर हो गया था। परीक्षा से कुछ दिन पूर्व ही उसके साथ ऐसा हुआ था। सभी मान कर चल रहे थे कि शायद प्रतिभा एग्जाम भी दे पाएंगी? लेकिन काबिलियत और जज्बे से भरी प्रतिभा बिस्तर से उठीं और चल दीं परीक्षा देने। अब रिजल्ट आया है। प्रतिभा ने यूपीएससी परीक्षा 2019 में ऑल इंडिया लेवल पर तीसरा रैंक पाया है। प्रतिभा बताती हैं कि उन्होंने बचपन में ही आईएएस बनने का सपना देखा था। प्रति‍भा ने कहा कि 2016 में मैंने जॉब छोड़कर दिल्ली में आकर तैयारी शुरू कर दी। यहां तैयारी के दौरान मैंने पहले पूरा सिलेबस समझा। अपने स्ट्रेंथ वाले विषय फिजिक्स को और मजबूत करके मैंने तैयारी शुरू कर दी। दूसरे ही अटेंप्ट में उनका सेलेक्शन हो गया। उन्हें ऑल इ‍ंडिया 489 रैंक मिली थी। इससे वो आईआरएस अफसर के पद पर ट्रेनिंग के लिए चली गईं। लेकिन पिछले एक साल से वो लगातार काम के साथ साथ तैयारी भी कर रही थीं। प्रत‍िभा ने कहा कि मैंने मन में ठान लिया था कि किसी भी तरह आईएएस बनना है, इसलिए अपनी तैयारी कभी नहीं छोड़ी।


हमेशा रहीं टॉपर
बचपन से ही आईएएस बनने का ख्वाब बुनने वालीं प्रतिभा वर्मा सुल्तानपुर से अपनी पढ़ाई शुरू की। स्कूली स्तर पर भी वह हर क्लॉस में टॉपर रहीं। 
-2008 में रामराजी बालिका इंटर कॉलेज से यूपी बोर्ड से हाईस्कूल किया और जिले में तीसरा स्थान पाया। 
- 2010 में इंटरमीडिएट में पहला स्थान हासिल किया।
- 2014 में आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के बाद प्रतिभा वर्मा ने करीब दो वर्षों तक पुणे में वोडाफोन कंपनी में बतौर डिप्टी मैनेजर काम किया। इसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की। प्रतिभा ने पहली ही बार में - 2019  सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर 489वीं रैंक हासिल की है, जहां से वह इनकम टैक्स कमिश्नर बनी हैं। वर्तमान समय वह दिल्ली में तैनात थी, जहां से छुट्टी लेकर वह आईएएस की तैयारी कर रही थीं। प्रतिभा का चयन वर्ष 2019 फारेस्ट सर्विस (आईएफएस) में हुआ था, जहां उनकी तेरहवी रैंक थी। सिविल सेवा परीक्षा में वह पूरे देश में तीसरे स्थान पर रहीं तथा महिला श्रेणी में देश में पहली रैंक अर्जित की।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के दूबेपुर विकास खंड के बघराजपुर गांव की प्रतिभा वर्मा ने अपने नाम के अनुरूप अद्भुत प्रतिभा के दम पर भारतीय सिविल सेवा में पहली बार ही महिला टॉपर के रूप में चयनित होकर जिले का मान बढ़ाया है। बता दें, लोक सेवा आयोग की 2019 की मुख्य परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया। इस परीक्षा में सुल्तानपुर की प्रतिभा वर्मा ने अपना परचम लहराया है। 

मां-बाप का नाम किया रोशन
प्रतिभा वर्मा की माता ऊषा देवी प्राथमिक विद्यालय बभनगंवा में प्रधानाध्यापिका तथा पिता सुवंश वर्मा विकवाजितपुर आदर्श इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। बड़ी बहन प्रियंका वर्मा मौलाना आजाद मेडिकल कालेज दिल्ली में चिकित्सक तथा छोटा भाई सुधीर वर्मा एमबीए कर हैदराबाद में नौकरी कर रहा है। सबसे छोटा भाई अभिषेक वर्मा भी बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। प्रतिभा के चयनित होने पर  स्कूल से लेकर घर तक शिक्षक दंपती को बधाई देने पहुंच रहे हैं। माता ऊषा वर्मा ने बताया कि हम भाग्यशाली है कि हमें ऐसे होनहार बच्चे मिले हैं, जिनसे गर्व से सिर ऊंचा है।  
महिला सशक्तीकरण व शिक्षा के क्षेत्र में काम करना लक्ष्य
महिला सशक्तीकरण व शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की इच्छा है। नई शिक्षा नीति में बहुत सारी तब्दीलियां हुई हैं। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत है। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए हर संभव प्रयास करूंगी। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे आकर प्रतिभाग करना होगा।  अपने अधिकारों और दायित्वों के साथ जनता की सेवा करना हमारा लक्ष्य है।

परीक्षा से पहले डेंगू हो गया था, पर तैयारी जारी रखी
आईएएस में तीसरा स्थान पाने वाली प्रतिभा वर्मा का कहना है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सकारात्मक सोच होना सबसे जरूरी है। अगर सोच सकारात्मकता नहीं होगी तो लक्ष्य के पास पहुंचकर भी उसे हासिल नहीं कर सकते। आईएएस की परीक्षा के दौरान वह खुद ऐसे माहौल से गुजरीं, जब लगा कि इस बार भी प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना पूरा नहीं होगा। परीक्षा से कुछ दिनों पहले ही उन्हें डेंगू हो गया था, पर डॉक्टर बहन के मार्गदर्शन में रहते हुए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। आईएएस टॉपर प्रतिभा वर्मा ने बताया कि प्रतियोगी छात्रों के लिए कड़ी मेहनत और अनुशासन जरूरी है। पढ़ाई के साथ दिनचर्या नियमित और संयमित होनी चाहिए। सकारात्मक सोच रखें। धैर्य और हौसला बनाए रखें। नियोजित तैयारी से हर हाल में सफलता मिलेगी।

परिवार के सहयोग से आसान हुई हर मुश्किल
अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और दोस्तों को देते हुए प्रतिभा ने कहा कि माता-पिता दोनों के शिक्षक होने के कारण उनका करियर के लिए प्रोत्साहित करने में बराबर सहयोग मिला। सरकार बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। अभिभावक भी बेटा-बेटी में अंतर को छोड़कर बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

गांव में रहकर भी कर सकते हैं तैयारी, किए टिप्स
प्रतिभा कहती हैं कि छोटे शहरों से निकलकर अपना मुकाम पाना मुश्क‍िल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। ये ठीक है कि गांव में लड़के हों या लड़कियां, उन्हें इतने अवसर और संसाधन नहीं मिलते जितने कि मेट्रो सिटी में। फिर भी अगर कोई ठान ले और सही दिशा में तैयारी करे तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। प्रतिभा कहती हैं कि इंटरनेट के इस युग में सब कुछ हर किसी की पहुंच के दायरे में है। गांव में रहकर भी आईएएस की तैयारी की जा सकती है। तमाम स्टडी मैटेरियल ऑडियो व वीडियो रूप में इंटरनेट पर है। ऐसे में कोचिंग नहीं भी कर रहे हैं तो भी इसके सहारे तैयारी की जा सकती है। अपने चुने गए विषय के सामान्य ज्ञान के लिए किताबें पढ़ते रहें। नियमित समाचार पत्र पढ़ना भी बेहद जरूरी है। इससे करेंट अफेयर्स और ताजा मुद्दों पर विस्तृत जानकारी आसानी से मिल सकती है। अहम बिंदुओं को नोट करते रहें। परीक्षा में सफल लोगों के इंटरव्यू पढ़ें। इससे भी काफी आसानी हो जाती है। 

16 से 18 घंटे तक की पढ़ाई
प्रतिभा ने बताया कि परीक्षा में उन्होंने फिजिक्स को वैकल्पिक विषय के रूप में रखा था। प्रतिदिन 16 से 18 घंटे तक की पढ़ाई का लक्ष्य निर्धारित कर रखा था। विषय के नोट्स तैयार करने के साथ ही नियमित न्यूज पेपर और मासिक पत्र-पत्रिकाओं का भी अध्ययन किया।