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एक जनप्रतिनिधि जो नाव से बांट रहीं राशन

Published - Thu 30, Jul 2020

बातें बनाने वाले जनप्रतिनिधि तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन बिहार में एक ऐसी भी कर्तव्यनिष्ठ और समाजसेवा करने वाली जनप्रतिनिधि हैं जो बिहार में बाढ़ से बेहाल लोगों को नाव से राहत सामग्री पहुंचा रही हैं। उनके जज्बे को लोग सलाम कर रहे हैं।

urmila devi

नई दिल्ली। संकट या जरूरत के समय लोग अपने जनप्रतिनिधि को याद करते हैं। उनसे संकट के समाधान की अपेक्षा और उम्मीद रखते हैं, लेकिन अधिकतर बार ऐसा होता नहीं है। कई बार जन प्रतिनिधि आपको झूठे ख्वाब दिखाकर गायब हो जाते हैं।  लेकिन आम लोगों की तकलीफों और परेशानियों से बेखबर ज्‍यादातर नेताओं के बीच एक जनप्रतिनिधि (उर्मिला देवी) ऐसी भी हैं, जो खुद अनपढ़ है, अभावों में रहती हैं, लेकिन जनता की मदद को हमेशा तत्पर रहती हैं। वह अपने सीमित संसाधनों से लोगों की जितनी मदद कर सकती है, कर रही हैं। वह बहुत ही छोटे स्तर की जनप्रतिनिधि हैं। वह पंचायती राज व्यवस्था की अंतिम कड़ी यानी वार्ड सदस्य हैं फिर हमेशा हर किसी की मदद को तैयार रहती हैं। ऐसे समय में जब बिहार में बाढ़ के कारण हालात लगातार खराब हो रहे हैं और कोसी नदी उफान पर है। उर्मिला देवी नाम की यह जनप्रतिनिधि लोगों की बढ़-चढ़कर मदद कर रही हैं। यहां गांव के गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं, लोगों के लिए घर से निकलने के साधन नहीं हैं। ऐसे में वार्ड सदस्य उर्मिला देवी खुद नाव चलाकर लोगों को नदी पार करा रही हैं और उनके पास तक पहुंचकर उन्हें राहत सामग्री भी बांट रही हैं।

सहरसा जिले की हैं निवासी
 उर्मिला देवी सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के सहुरिया पंचायत के हराहरी से वह वार्ड सदस्य हैं। उनके पति दूसरे प्रदेश में मजदूरी करते हैं और वह बच्चों के साथ गांव में ही रहती हैं। कोसी में जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोग मुखिया, सरपंच, विधायक से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर टकटकी लगाए रहते हैं। बाढ़ से घिरे लोगों को यह अपेक्षा रहती है कि वे उनके लिए नाव की व्यवस्था करा देंगे, जिससे वे हाट-बाजार जाकर रसोई सहित अन्य जरूरी सामान खरीद सकें। नाव से मवेशियों का चारा ले आएं, लेकिन ज्‍यादातर मौकों पर कोई आता नहीं। ऐसी विषम परिस्थितियों में हराहरी के लोगों के लिए उनकी वार्ड सदस्य उर्मिला देवी हरदम मौजूद रहती हैं। वह खुद नाव चलाकर लोगों तक पहुंचती हैं और नदी में तीन किलोमीटर तक नाव खेकर जरूरतमंदों को नदी के किनारे तक पहुंचाकर फिर वापस ले आती हैं। यही नहीं, अभावग्रस्त होने के बाद भी उर्मिला अपनी थोड़ी बहुत जमापूंजी से बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री भी बांटती हैं।

अनपढ़ हैं उर्मिला देवी
उर्मिला देवी पढ़ी लिखी नहीं हैं, अंगूठे का निशान लगाना जानती हैं लेकिन समाज को मानवता और सहयोग करने की शिक्षा दे रही है। वे महिला सशक्‍तीकरण का उदाहरण बनकर लोगों को प्रेरणा दे रही हैं। उर्मिला कहती है कि बाढ़ की विपदा में लोगों को सहयोग की जरूरत होती है, वह जो कर सकती है, कर रही हैं। चुनावी प्रक्रिया से वार्ड सदस्य बनने की बात पर उर्मिला कहती है कि उनके विरोध में कई प्रत्याशी खड़े हुए थे लेकिन वह लोगों के द्वारा ही चुनाव में उतारी गई थी। लोगों ने खूब वोट दिए और जीत गईं। 

कुशल तैराक भी हैं, नदी में कूदकर लोगों की बचाती हैं जान
उर्मिला देवी कुशल नाविक होने के साथ एक अच्छी तैराक भी हैं। यदि नदी में किसी के डूबने की बात सुनती हैं तो गोताखोर या एसडीआरएफ की टीम के आने का इंतजार नहीं करती हैं। वह खुद नदी में कूदकर डूबते लोगों को बचा लेती हैं। दरअसल उर्मिला का जन्म भी कोसी के इलाके में ही हुआ और उनकी शादी भी कोसी में ही हुई। उर्मिला का मायका खगड़िया जिले के बेलदौर में है और वह बनमा ईटहरी के हराहरी गांव में ब्याही गई हैं। अभाव में पलने-बढ़ने और जीवन गुजारने के बाद भी उर्मिला के हौसले आसमान पर हैं। वह अपने सभी बच्चों को पढ़ा रही हैं। गांव के लोग भी उर्मिला से काफी खुश हैं क्योंकि मुश्किल के समय में वही सहारा बनती हैं।