वसीमा शेख गरीबी देखने के बाद अब एमपीएससी की टॉपर लिस्ट में शामिल हो चुकी हैं। उन्हें पढ़ाने के लिए उनके भाई ने रिक्शा चलाया। आखिर वसीमा की मेहनत रंग लाई और वह डेप्युटी कलेक्टर की पोस्ट के लिए चुनी गई हैं।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन (एमपीएससी) में महिला टॉपर्स की लिस्ट में तीसरा स्थान पाने वाली वसीमा शेख अब डेप्युटी कलेक्टर बनेंगी। फिलहाल वह सेल्स टैक्स इन्स्पेक्टर के पद पर काम कर रहीं हैं। वसीमा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने में तमाम तकलीफें देखीं। उनके परिवार ने पढ़ाई पर जोर दिया और आज नतीजा है कि वह टॉपर्स की लिस्ट में शामिल हो चुकी हैं। वसीमा की पढ़ाई के लिए रिक्शा चलाने वाले उनके भाई खुद भी एमपीएससी की तैयारी कर चुके हैं लेकिन पैसे के अभाव में परीक्षा नहीं दे पाए थे। अब वह बहन की कामयाबी से बेहद खुश हैं।
भगवान सब की सुनता है
नांदेड़ के जोशी सांघवी नाम के छोटे से गांव की रहने वाली वसीमा के पिता मानसिक रूप से बीमार हैं। मां दूसरों के खेत में काम करके घर चलाती थीं। वसीमा के भाई पैसों की कमी के चलते एमपीएससी की परीक्षा नहीं दे पाए। वसीमा बताती हैं, 'मैंने अपने आसपास, परिवार में और अपने इलाके में गरीबी और तकलीफ को बहुत पास से देखा है। एक तरफ सरकार और उसके साधन थे, दूसरी तरफ गरीब जनता। बीच में एक मीडिएटर की जरूरत थी, मैं वही मीडिएटर बनना चाहती हूं।'
भाई ने बहन को पढ़ाने के लिए चलाया रिक्शा
परिवार में पहली ग्रेजुएट वसीमा ने साल 2018 में भी एमपीएससी की परीक्षा पास की थी। तब रैंकिंग कम आने के कारण वह सेल्स टैक्स इन्स्पेक्टर बन गईं थी। वसीमा को पढ़ाने के लिए उनके भाई ने रिक्शा चलाया। वसीमा अपनी कामयाबी का सारा श्रेय भाई और मां को देती हैं। उन्होंने कहा कि अगर भाई मुझे नहीं पढ़ाते तो मैं इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती। मां ने बहुत मेहनत की।
पढ़ने पैदल जाती थीं दूसरे गांव
वसीमा नांदेड़ से लगभग 5 किलोमीटर दूर जोशी सख वी नामक गांव में पैदल पढ़ने जाती थीं। वसीमा 4 बहनों और 2 भाइयों में चौथे नंबर की हैं। वसीमा का एक अन्य भाई आर्टिफिशियल ज्वेलरी की छोटी-सी दुकान चलाता है। वसीमा कहती हैं कि अगर आपको कुछ बनना है, तो अमीरी-गरीबी कोई मायने नहीं रखती।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.