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गर्भवती थी, फिर भी दी परीक्षा और बनी फार्मासिस्ट

Published - Sat 05, Sep 2020

मरीज को सही दवा और जानकारी नहीं दी गई तो मर्ज भी ठीक नहीं होगा। डॉक्टरों के साथ फार्मासिस्ट की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जब महिलाओं ने इस क्षेत्र में आना चाहा तो परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसियों ने भी सवाल खड़े किए। लेकिन इन्होंने खुद पर भरोसा कर लक्ष्य तय किया। जो लोग विरोध करते थे आज उनके फैसले का सम्मान करते हैं।

आगरा। मरीज को सही दवा और जानकारी नहीं दी गई तो मर्ज भी ठीक नहीं होगा। डॉक्टरों के साथ फार्मासिस्ट की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जब महिलाओं ने इस क्षेत्र में आना चाहा तो परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसियों ने भी सवाल खड़े किए। लेकिन इन्होंने खुद पर भरोसा कर लक्ष्य तय किया। जो लोग विरोध करते थे आज उनके फैसले का सम्मान करते हैं।

चुनौतियों को स्वीकार कर पाई पसंदीदा नौकरी
कल्पना मोघे, एसएन मेडिकल कॉलेज
मेरी शादी 1984 में हो गई थी। शादी होने के बाद पढ़ाई छूटने का डर था, लेकिन ससुरालीजनों ने सहयोग किया। मारुति एस्टेट की रहने वाली कल्पना ने बताया कि डी-फार्मा की परीक्षा के वक्त वह गर्भवती थी, ससुरालीजनों ने कहा कि परीक्षा रहने दो, अगले साल देख लेना। मेरे लिए यह चुनौती थी, जिसे स्वीकारा और परीक्षा दी। पसंदीदा नौकरी कर संतुष्टि मिल रही है।

शिक्षक बनने को कहते, लेकिन मैंने चुना फार्मासिस्ट
दीप्ति मैरोठिया, एसएन मेडिकल कॉलेज
मैंने परिवार में जब डी-फार्मा करके फार्मासिस्ट बनने के लिए बताया तो परिजन बोले, बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। शिक्षक बन जाओ। लेकिन मन नहीं माना और 2000 में डी फार्मा कोर्स किया। 2015 में एसएन मेडिकल में नौकरी लगी। इंद्रपुरी की रहने वाली दीप्ति ने बताया कि चुनौती की बात करें तो मरीज और परिवारों की देखभाल में शुरूआत में दिक्कत आई, लेकिन अब दोनों ही जिम्मेदारी पूरी तरह से संभाल रही हूं।

पति और ससुर के सहयोग से कोर्स पूरा किया
शर्मिष्ठा चाहर, एसएन मेडिकल कॉलेज
शर्मिष्ठा चाहर ने बताया कि उनकी शादी इंटर पास करने के बाद हो गई, मन में डर था कि शादी के बाद पढ़ाई बंद न हो जाए। पति और ससुर ने सहयोग दिया और डी-फार्मा का कोर्स पूरा किया। पड़ोसी कहते थे कि बहू से नौकरी करवाओगे? लेकिन ससुरालीजनों के बेहतर सोच के कारण उनकी पढ़ाई पूरी हुई और जॉब भी लगी। अर्जुन नगर निवासी शर्मिष्ठा ने कहा कि सभी लोग मेरे और ससुरालीजनों के फैसले की सराहना करते हैं। वह बोली कि बेटियों की पढ़ाई और पसंदीदा नौकरी करने में अपनों का सहयोग बेहद जरूरी है।

अपनों का विरोध तोड़ देता है हिम्मत
प्रतिभा शर्मा, एसएन मेडिकल कॉलेज
एसएन मेडिकल कॉलेज में फार्मासिस्ट प्रतिभा शर्मा का कहना है कि उच्च शिक्षा और पसंदीदा नौकरी के लिए बेटियों का संघर्ष अभी भी कम नहीं हुआ है। अपनों का विरोध हिम्मत तोड़ देता है, मुझे भी इसका सामना करना पड़ा। लेकिन जब सफलता हाथ लगी तो सभी ने मेरे हौसले को सलाम किया। आवास विकास कॉलोनी की रहने वाली प्रतिभा बेटियों से यही अपील करती हैं कि विरोध भले ही कोई करे, आप हिम्मत नहीं हारें, परिजनों को समझाएं और मेहनत करें।

खुद पर भरोसा तो सभी देते हैं साथ
नीरज देवी, एसएन मेडिकल कॉलेज
बेटियों के लिए राह कभी आसान नहीं है। मेरा तो यही मानना है कि खुद पर भरोसा है और लक्ष्य तय है तो सभी साथ देते हैं। कई बार फैसलों का विरोध भी होता है, लेकिन सही ढंग से अपनी बातों को परिवारों के सामने रखें। कमला नगर रहने वाली नीरज देवी ने बताया कि मैंने भी शुरू में ही अपना लक्ष्य तय किया था, हौसले को देख परिजनों ने सहयोग किया। परिवार और अस्पताल की जिम्मेदारी निभाने में दिक्कत तो होती है, लेकिन अब सब व्यवस्थित ढंग से हो रहा है।