अभी तक संविधान या संसद में भले ही महिलाओं को बराबरी का दर्जा न मिला हो, लेकिन अखाड़ों ने जरूर महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे दिया है। मौजूदा समय में 13 में से अधिकांश अखाड़ों में 60 से अधिक महिला महामंडलेश्वर हैं। हरिद्वार में चल रहे कुंभ में महिला अखाड़ों की काफी संख्या देखी जा सकती है।
नई दिल्ली। इस बार हरिद्वार में कुंभ का मेला लगा हुआ है। यहां आप महिला महामंडलेश्वर को काफी संख्या में देख सकते हैं। अभी तक देश की संसद में भले महिलाओं को बराबरी का दर्जा न मिल पाया हो लेकिन अखाड़ों ने यह कमाल करके दिखाया है। ऐसा करके सनातन धर्म के प्रतीक अखाड़ों ने महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया है। अखाड़ों में महिला महामंडलेश्वर बनाने की शुरूआत श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ने की थी। संतोष पुरी माता को सबसे पहले महामंडलेश्वर बनाया गया था। वर्तमान में अखाड़ों की महिला महामंडलेश्वर बराबरी के दर्जे के साथ कुंभ का शाही स्नान करतीं हैं।
13 अखाड़ों का किया गया था गठन
सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार प्रसार के लिए 13 अखाड़ों का गठन किया गया था। अखाड़ों में महामंडलेश्वर बनाए जाने की परंपरा काफी पुरानी है। महामंडलेश्वर सेवा कार्यों से धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं। उल्लेखनीय कार्य करने वाले महामंडलेश्वरों को अखाड़ों की कार्यकारिणी और न्यायपालिका में भी स्थान दिया जाता है। वहीं कुंभ में आचार्य महामंडलेश्वर के बाद महामंडलेश्वर के स्नान की परंपरा है। पहले पुरुषों को ही महामंडलेश्वर बनाया जाता है, लेकिन बाद में अखाड़ों ने महिला को भी बराबरी दर्जा देने की एक सराहनीय शुरुआत की। मौजूदा समय में 13 में से अधिकांश अखाड़ों में 60 से अधिक महिला महामंडलेश्वर हैं। इनमें से सबसे अधिक महामंडलेश्वर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में हैं। जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को भी अपना सहयोगी बनाकर समाज में एक अनुकरणीय पहल की थी। कुंभ के दौरान आचार्य महामंडलेश्वरों की महिला महामंडलेश्वर भी स्नान करतीं हैं। वहीं धार्मिक कार्यों, सेवा कार्यों के साथ राजनीतिक क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
ये हैं कुछ प्रमुख महिला महामंडलेश्वर
1 - महामंडलेश्वर साध्वी निरंजन ज्योति (केंद्रीय मंत्री), श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
2 - महामंडलेश्वर संतोषी माता, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी
3 - महामंडलेश्वर संतोष पुरी, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा
4 - महामंडलेश्वर मैत्रेयी गिरि, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
5 - महामंडलेश्वर करुणा गिरि, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
6 - महामंडलेश्वर जय अम्बे मां गिरि श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
7 - महामंडलेश्वर निर्भयानंद, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.