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झारखंड में मजदूर की बेटी ने मारा हार्वर्ड का ‘गोल’

Published - Fri 30, Apr 2021

दाहो गांव की सीमा कुमारी की कहानी...चार साल के स्नातक कोर्स के लिए हुआ चयन

seema kumari

भारत में गरीब परिवारों की लड़कियों को अच्छी पढ़ाई-लिखाई और कॅरिअर बनाने का मौका शायद ही मिल पाता है। उनके मां-बाप को सिर्फ एक ही फिक्र सताती है कि जल्द से जल्द उनकी शादी कर दी जाए। लेकिन रांची के दाहो गांव की सीमा कुमारी ऐसा नाम है, जिसकी कहानी सुनकर कोई भी दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाएगा। 
12वीं की यह छात्रा जल्द ही अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का सफर तय करने वाली हैं। वहां इसका चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम के लिए चयन हुआ है, जिसमें इसे सालाना 61 लाख रुपये की पूर्ण स्कॉलरशिप भी मिलेगी। मजदूर पिता और हंडिया बेचने वाली मां की बेटी सीमा ने अपने बूते यह मुकाम हासिल किया है।

फुटबॉल के मैदान से हुई शुरुआत : 17 वर्षीय सीमा ने बताया, मैं पहले गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। 2012 में एक दिन घास लेने जा रही थी। तभी गांव की कई लड़कियों को फुटबॉल खेलते देखा तो मेरा भी खेलने का मन हुआ। फिर घर वालों से अनुमति लेकर मैदान जाने लगी। वहां पता लगा कि यह सब एक एनजीओ युवा के विशेष कैंप का हिस्सा था। फिर मैं उससे जुड़ी और लगातार खेलने लगी। वहां अंग्रेजी सीखी और फिर नई बच्चियों को फुटबॉल सिखाने लगी।

स्पेन दौरा बना टर्निंग पॉइंट : सीमा के मुताबिक, 2016 में जब पहली दफा फुटबॉल खेलने स्पेन गई तो लोगों ने माता-पिता से कहा कि मुझे विदेश ले जाकर बेच देंगे। परिवार ने उनकी नहीं सुनी और जाने दिया। यही दौरा जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। वहां एक अलग ही दुनिया देखी और वैसा जीवन जीने की चाह जागी।