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यशस्विनी को निशानेबाजी का ऐसा जुनून कि घर में ही बनवा लिया शूटिंग रेंज, अब ओलंपिक में गोल्ड पर नजर

Published - Fri 16, Jul 2021

निशानेबाजी में टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर चुकीं यशस्विनी सिंह देसवाल को बचपन से ही पिस्टल और राइफल से लगाव था। साल 2010 में दिल्ली में चल रही कॉमन वेल्थ गेम्स में निशानेबाजी की प्रतियोगिता को करीब से देखने के बाद यह लगाव जुनून में बदल गया। उन्होंने स्टेडियम में ही पिता से कह दिया कि वह शूटिंग में कॅरियर बनाना चाहती हैं। इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में अफसर पिता ने भी बेटी का हौसला बढ़ाया और उन्हें शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए भेजने लगे। यशस्विनी के जुनून को देखते हुए पिता ने घर में ही उनके लिए शूटिंग रेंज तक बनवा दिया। इसके बाद यशस्विनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब ओलंपिक में गोल्ड पर निशाना साधना उनका सपना है। आइए जानते हैं दुनिया की चौथे नंबर की निशानेबाज के सफर के बारे में...

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में जन्मीं यशस्विनी सिंह देसवाल को बचपन से ही पिस्टल और राइफल से लगाव है। इसकी वजह हैं उनके पिता। इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में अफसर अपने पिता के हाथ में यशस्विनी जब भी पिस्टल देखतीं रोमांचित हो जातीं। बेटी की आंखों में आने वाली चमक को पिता हर बार पढ़ लेते थे। साल 2010 में जब यशस्विनी 15 साल की थीं, तो पिता एसएस देसवाल उन्हें दिल्ली में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में निशानेबाजी की प्रतियोगिता दिखाने ले गए। शूटरों को करीब से देखकर यशस्विनी इतनी प्रभावित हुईं कि स्टेडियम में ही पिता से कह दिया कि अब वह शूटिंग में ही कॅरियर बनाएंगी। पिता ने भी बेटी का हौसला बढ़ाया और उन्हें अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज और पूर्व पुलिस अफसर टीएस ढिल्लन के पास प्रैक्टिस के लिए भेजने लगे। निशानेबाजी के प्रति बेटी के जुनून को देखते हुए पिता ने घर में ही शूटिंग रेंज तक बनवा दिया। कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुकीं 23 साल की यशस्विनी 10 मीटर पिस्टल निशानेबाजी में दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी हैं। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप निशानेबाजी में सोने पर निशाना साधकर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल किया है।

गोल्ड पर निशाना साधकर हासिल किया ओलंपिक का टिकट

ब्राजील के रियो डे जेनेरियो में 2019 में आईएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप में यशस्विनी सिंह देसवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल किया है। अब उनकी निगाहें 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने पर है। पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन देसवाल दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। साल 2010 से निशानेबाजी की दुनिया में कदम रखने वालीं यशस्विनी ने महज चार साल बाद 2014 में हुई 58वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में विभिन्न स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि वह देश को भविष्य में और गौरवांवित होने का मौका देंगी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतती चली गईं। साल 2017 में उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भी जीत का परचम लहराया।

खेल के साथ पढ़ाई पर भी नजर

यशस्विनी देसवाल के मुताबिक उन्हें परिवार का भरपूर साथ मिला है। इस वजह से उन्हें कभी ट्रेनिंग या लॉजिस्टिक्स की जरूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ा। वह कहती हैं कि भारतीय निशानेबाज लगातार साजो-सामान और ट्रेनिंग के मूलभूत ढांचे की भारी कमी से जूझते रहते हैं। इस कारण कई प्रतिभावान खिलाड़ी उस मुकाम को हासिल नहीं कर पाते जिसके वे सही हकदार होते हैं। यशस्विनी खेल के कारण पढ़ाई प्रभावित न हो इसका भी खास ख्याल रखती हैं। हालांकि दोनों के बीच संतुलन बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। वह कहती हैं कि प्रैक्टिस, पढ़ाई और परीक्षाओं के लिए अलग-अलग समय निकालना होता है। प्रतियोगिताओं के दौरान वह अपनी किताबें अपने साथ रखती हैं। जब भी समय मिलता है वह किताबें पढ़कर कोर्स कंप्लीट करने की कोशिश करती हैं।