बंगलुरू में रहने वाली शिल्पी सिन्हा ने उस बिजनेस में हाथ आजमाया, जिसे अमूमन गांव के लोगों से जोड़कर देखा जाता है। शिल्पी गाय के दूध के बिजनेस से करोड़ों कमा रही हैं।
नई दिल्ली। झारखंड के डाल्टनगंज की शिल्पी सिन्हा आठ साल पहले बंगलुरू में पढ़ने आईं थीं। चूंकि वो बचपन से ही गाय के दूध का सेवन करती आ रही थीं, तो यहां भी उन्हें गाय का दूध ही चाहिए था और इसके लिए उन्हें खासी दिक्कत उठानी पड़ी। पैकेट बंद दूध में न स्वाद न पौष्टिकता, अब शिल्पी करें, तो क्या करें। इस परेशानी को देखते हुए शिल्पी ने फैसला किया कि वो अब गाय के दूध को ही बिजनेस बनाएंगी और यहां से शुरू हुआ शिल्पी का नया सफर।
‘द मिल्क इंडिया कंपनी’ की शुरुआत
शिल्पी ने दूध का बिजनेस करने का फैसला लिया। उन्होंने ‘द मिल्क इंडिया कंपनी’ की शुरुआत की। लेकिन कंपनी शुरू करने के समय वो अपनी कंपनी की अकेली फाउंडर थीं। न कोई कर्मचारी और न ही कोई तैयारी। न कन्नड़ आती थी और न तमिल। फिर भी किसानों के पास जाकर गाय के चारे से लेकर उसकी देखभाल के लिए समझाया। शिल्पी ने 11 हजार रुपए की शुरुआती फंडिंग से 6 जनवरी 2018 को द मिल्क इंडिया कंपनी शुरू कर दी। पहले दो साल में ही टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया। शुरुआत में दूध की सप्लाई के लिए कर्मचारी नहीं मिलते थे तो सुबह तीन बजे खेतों में जाना पड़ता था। सुरक्षा के लिए चाकू और मिर्ची स्प्रे लेकर जाती थीं। जैसे ही ग्राहकों की संख्या 500 तक पहुंची। धीरे-धीरे बिजनेस ने रफ्तार पकड़ी और शिल्पी एक सफल उद्यमी बन गईं।
बच्चों पर रहा शिल्पी का फोकस
इस बिजनेस को शुरू करने के लिए शिल्पी का मकसद पढ़ने वाले बच्चों को शुद्ध और कच्चा दूध उपलब्ध कराना था। क्योंकि पढ़ाई करने वालों के लिए गाय का दूध बेहद उत्तम होता है। खासकर छोटे बच्चों में गाय का दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं और कैल्शियम बढ़ाने में भी मदद मिलती है। शिल्पी का मानना है कि बच्चे गाय का दूध जितना ज्यादा पिएंगे, उनके शरीर को उतना ही लाभ होगा और स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
रखती हैं खास ध्यान
शिल्पी ऐसे किसी भी ऑर्डर को स्वीकार नहीं करतीं, जहां बच्चे की उम्र एक साल से कम है या महिला की हाल में डिलिवरी हुई है। शिल्पी का कहना है कि लोग मां का दूध पिलाने की बजाय नवजात को गाय का दूध पिलाना शुरू कर देते हैं और गाय को किसान फसल का चारा खिलाने के साथ-साथ रेस्तरां का कचरा खिलाते हैं। ऐसे में दूध स्वस्थ नहीं रह जाता। इससे नवजात और मां दोनों की सेहत को नुकसान हो सकता है।
किसानों को बता रही हैं अच्छे चारे के फायदे
किसान गाय से दूध तो लेते हैं, लेकिन उनकी सेहत की ओर ध्यान नहीं देते। गाय को चारे के रूप में रेस्तरां का बचा खाना खिला देते हैं। या गाय को कबाड़ खाने के लिए छोड़ देते हैं। शिल्पी ने किसानों को इससे होने वाले नुकसान भी बताने शुरू किए और हरे चारे और पौष्टिक आहार से होने वाले फायदे और दूध के उत्पादन के बारे में भी बताना शुरू किया है। इसके साथ ही उन्हें मनाने के लिए स्वस्थ दूध के बदले में बेहतर कीमत देने का वादा किया। गायों को अब मक्का खिलाया जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.