'अपराजिता संवाद' में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- शक्ति व शिव के समन्वय से ही सही ढंग से बढ़ेगा देश
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'अमर उजाला' के अपराजिता संवाद में साफ कहा कि राष्ट्र व समाज को आगे बढ़ाने की प्रेरणास्रोत मां-बहन और बेटियां ही होती हैं। हमें शुरू से ही सीख देनी चाहिए कि लड़कियों का सम्मान करें। इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में बृहस्पतिवार को आयोजित संवाद में सीएम योगी ने महिलाओं को शक्ति का रूप बताया। कहा- शक्ति और शिव का समन्वय होगा तभी सृष्टि बेहतर ढंग से आगे बढ़ेगी। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के साथ सभी को विशेष प्रयास करने चाहिए। योगी ने महिलाओं व बेटियों के कई सवालों का जवाब दिया। स्कूली स्तर पर लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग क्यों नहीं दी जाती? साक्षी श्रीवास्तव के इस ज्वलंत सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा के स्तर से ही इस तरह के नैतिक मूल्य चाहिए कि लड़के बेटियों को सम्मान दें। सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग जरूरी है। हमने इस दिशा में प्रयास भी शुरू किए हैं। पिंक बस सेवा शुरू की है जिसकी परिचालक महिला होगी। खतरा होने पर पैनिक बटन भी है। बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार संवेदनशील भी है और प्रतिबद्ध भी।
बेटों को निजी, बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे
योगी ने कहा- जब हमने सत्ता संभाली थी, तब बेसिक स्कूलों की स्थिति खराब थी। मां-बाप अपने बेटों को तो निजी स्कूलों में पढ़ाते थे, पर बेटियों को सरकारी स्कूलों में ही भेजते थे। तब हमने बेसिक स्कूलों को ही कॉन्वेंट जैसा कर दिया, यूनिफॉर्म से लेकर पढ़ाई तक। जूते-मोजे,बैग और किताबें दी।
बेटियों के ज्वलंत सवाल, योगी के भरोसेमंद जवाब
सवाल - क्या प्रदेश सरकार आधी आबादी को नौकरियों में आरक्षण देने की ओर कदम बढ़ाने जा रही है?
योगी : प्रदेश में हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में टॉप-10 में 147 में 99 बालिकाएं हैं। उच्च शिक्षा में भी बालिकाओं का प्रतिशत 56-57 प्रतिशत पहुंच चुका है। बालिकाएं तो वैसे ही आधे से ज्यादा आगे हैं। फोर्स में बालिकाओं की संख्या कम थी, इसलिए उनके लिए विशेष प्रावधान करने पड़े। आवश्यकता पड़ी तो हर क्षेत्र में इस तरह के प्रावधान करेंगे, ताकि बालिकाएं आगे बढ़ सकें। सरकार ने स्नातक तक बेटियों की शिक्षा मुफ्त कर दी है।
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सवाल : एंटी रोमियो स्क्वॉयड पहले की तरह सक्रिय क्यों नहीं रहे?
सीएम : शुरू में शोहदे ज्यादा सक्रिय थे। कार्रवाई हुई तो शोहदे या तो सुधर गए या चुप बैठ गए। लड़कियां बिना डरे स्कूल-कॉलेज जा रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से परिवार पलायन नहीं कर रहे हैं। अपराधी तख्ती लगाकर घूम रहे हैं कि बख्श दो, हम सुधर गए हैं।
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सवाल : एससी-एसटी की पूरी फीस माफ होती है, सामान्य वर्ग की नहीं, क्यों?
योगी : हमने सभी के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था की है। जो सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें बराबरी पर लाने के लिए सुविधाएं देना जरूरी है। वरना, राष्ट्र का समुचित विकास नहीं हो सकेगा। प्रत्येक व्यक्ति को आगे बढऩे का मौका मिलना चाहिए। आज नौकरियों की कहां कमी है। पहले सिर्फ एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल होते थे, आज आप गिन नहीं सकते। वहां नौकरी की संभावनाएं हैं। सोशल मीडिया के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं। फेसबुक का उदाहरण हमारे सामने है। हां, छात्रवृत्ति पाने के लिए न्यूनतम निर्धारित अंक तो लाने होंगे।
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दीपिका ने नारी गरिमा को ऊंचाइयों पर पहुंचाया
कार्यक्रम में उपस्थित रामायण सीरियल में सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया की तारीफ करते हुए सीएम ने कहा कि उन्होंने अपने अभियन से नारी गरिमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जब उनके सीरियल का समय होता था, सड़कें सूनी हो जाती थीं। रामायण दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सीरियल है।
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बेटियों ने सीएम से सियासी मुद्दों पर भी पूछे मुखर सवाल
सवाल : 19 मार्च को आपकी सरकार के दो साल पूरे हो रहे हैं। कैसे रहे राजमहल में संन्यासी के दो साल?
जवाब : हमें राजमहल और गरीब की कुटिया एक जैसी लगती है। एक-एक पल का प्राणिमात्र के कल्याण के लिए उपयोग करना ही जीवन का उद्देश्य है। पूरी ऊर्जा के साथ शासन की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने में लगे हैं। यूपी जैसे बिगड़े राज्य को पटरी पर लाने और प्रदेश के बारे में बनी छवि बदलने का काम कर रहे हैं।
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सवाल : प्रयागराज बदल गया, काशी बदल गई, नए यूपी के लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : प्रयागराज और काशी का जो स्वरूप सामने है, पूरे यूपी का भी वही स्वरूप सामने होगा। स्वच्छ व सुरक्षित कुंभ के आयोजन ने तस्वीर बदली है। इसी तर्ज पर पूरे प्रदेश की तस्वीर बदलने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही परिणाम आपके सामने होंगे।
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सवाल : अयोध्या में राममंदिर कब बनेगा?
जवाब : आपकी भावनाओं का हम सम्मान करते हैं। अवश्य ही यह काम होगा।
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सवाल : आपकी रफ्तार के हिसाब से प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी नहीं बदली?
जवाब : नौकरशाही मैंने तो तैनात नहीं की है। लेकिन, हर व्यक्ति की अपनी काम करने की रफ्तार और क्षमता होती है। यहां की नौकरशाही भी अपार संभावनाओं से भरी हुई है। विभिन्न विकास कार्यों में हम जो भी लक्ष्य हासिल कर पाए हैं, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य, आवास व स्वच्छता आदि मिशन में नंबर एक पर आए हैं, उसमें इन अधिकारियों का पूरा योगदान है। देश में यूपी आज टॉप-3 राज्यों में हैं। अभी तक अकर्मण्य व भ्रष्ट राजनीतिक नेतृत्व के कारण यूपी पीछे था। अब सभी को बदलता यूपी दिख रहा है। यह पीएम मोदी का न्यू इंडिया है और न्यू यूपी है।
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सवाल : आरक्षण के कारण प्रतिभाएं पीछे रह जाती हैं। इस पर आपका क्या विचार है?
जवाब : कोई बच्चा पढ़ाई में कमजोर होता है, तो उसे पढ़ाने के लिए घर पर मां-बाप ट्यूटर लगाते हैं। सर्व समावेशी विकास के लिए आरक्षण जरूरी है। अब तो आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के परिवारों के लिए भी १० फीसदी आरक्षण लागू कर दिया गया है। परिश्रम करें तो प्रतिभा कभी पीछे नहीं रह सकती।
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सवाल : प्रैक्टिकल क्लास की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए?
जवाब : अच्छा सवाल है। इसके लिए ही पीएम स्किल डेवलेपमेंट प्रोग्राम शुरू किया गया है। स्कूलों में भी स्किल डेवलेपमेंट मिशन शुरू होना चाहिए। अभी तक 8 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 5 लाख को रोजगार भी मिल चुका है।
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सवाल : शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जानी चाहिए?
जवाब : पुरानी पेंशन स्कीम से न्यू पेंशन स्कीम कहीं बेहतर है। पिछली सरकारों ने इस योजना का 10 हजार करोड़ रुपये का अपना शेयर जमा नहीं किया था। हमने इसे जमा करने का फैसला किया है। साथ ही सरकार का अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया है। न्यू पेंशन स्कीम की खामियों को अफसरों की टीम ने कर्मचारी नेताओं के साथ बैठकर दूर करने का प्रयास किया है। अगर कोई कर्मचारी 25-30 साल की सेवाएं देने के बाद रिटायर होता है, तो उसे एनपीएस से पुरानी पेंशन के मुकाबले काफी फायदा होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.