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‘आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य प्राप्त करें बेटियां’

Published - Sun 29, Nov 2020

काशी विश्वनाथ महिला महाविद्यालय में अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स की ओर से आयोजित सेल्फ कांफिडेंस वर्कशाप में प्राचार्य राकेश उपाध्याय ने कहा, यदि हम रूढ़िवादी मानसिकता को बदल लें तो हमारी बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं।

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ज्ञानपुर। बेटियां आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य की ओर अग्रसर हों। उन्हें निडर होकर सामाजिक बुराइयों से लड़ना होगा। वह किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं, केवल रूढ़िवादी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। ये बातें काशी विश्वनाथ महिला महाविद्यालय में शुक्रवार को अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स की ओर से आयोजित सेल्फ कांफिडेंस वर्कशाप में प्राचार्य राकेश उपाध्याय ने कहीं।
उन्होंने कहा कि बेटियों को कम आंकना गलती होगी। वह हर क्षेत्र में आगे हैं। प्रबंधक शिवशंकर पांडेय ने कहा कि शिक्षा के बढ़ते ग्राफ के साथ बेटियां आत्मनिर्भर हो रही हैं। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, कल्पना चावला सहित अन्य शिखर पर पहुंचीं महिलाओं की उन्होंने मिसाल दी। प्रवक्ता डॉ. आरती पाठक ने  छात्राओं से सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते हुए निडर होकर आगे बढ़ने की नसीहत दी। कहा कि उन्हें सफलता के शिखर को लक्ष्य बनाना चाहिए। छात्रा पूजा पाल और छात्रा प्राची मालवीय ने कहा कि स्त्रियां कमजोर नहीं हैं। अब हर जगह कदम से कदम मिलाकर वह देश के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। कार्यक्रम में छात्राओं को आत्मनिर्भर बनकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। संचालन कृष्ण मुरारी पाठक ने किया। इस मौके पर सत्यदेव पांडेय आदि मौजूद रहे। आयोजन में छात्राओं समेत 50 लोग शामिल थे।

हर क्षेत्र में कामयाब हो रहीं महिलाएं
ज्ञानपुर। अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम की सराहना करते हुए काशी विश्वनाथ महिला महाविद्यालय की बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा रंजना तिवारी ने कहा कि महिलाएं अब किसी क्षेत्र में कम नहीं हैं। जिस क्षेत्र में जा रही हैं, वहां सफलता हासिल कर रही हैं। बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सोनाली सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में भी बेटियों पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं। यह गलत है। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा शांभवी पाठक ने कहा कि बेटियों को बेटों से कमतर समझा जाना उचित नहीं है। नारी सही मायनों में तभी अपराजिता होगी, जब भेदभाव बंद हो जाएगा और उसे भी आगे बढ़ने के लिए समान अवसर मिलेगा। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा वैष्णवी दूबे ने कहा कि शिक्षा का स्तर बढ़ने से बेटियों को अवसर मिलने लगे हैं। हालांकि अब भी कुछ लोगों को रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठने की जरूरत है।