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बेटियां चुप्पी तोड़े, खुल कर बोले

Published - Mon 15, Jul 2019

जटमुझेड़ा स्थित स्वामी विवेकानंद कन्या इंटर कालेज में वक्ताओं ने छात्राओं को आत्मरक्षा करने के लिए विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। छात्राएं और शिक्षिकाएं संकल्पपत्र भरकर अपराजिता अभियान से जुड़ीं।

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भोपा। जिला प्रशासन एवं पुलिस के बालिका सुरक्षा जागरूकता और अमर उजाला फाउंडेशन की अनूठी पहल अपराजिता-100 मिलियन स्माइल अभियान के तहत छात्राओं को जागरूक किया गया। जटमुझेड़ा स्थित स्वामी विवेकानंद कन्या इंटर कालेज में वक्ताओं ने छात्राओं को आत्मरक्षा करने के लिए विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। छात्राएं और शिक्षिकाएं संकल्पपत्र भरकर अपराजिता अभियान से जुड़ीं।
स्वामी विवेकानंद कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्या कुसुम लता आर्या ने कहा कि देश में सदियों से विभिन्न प्रकार की रीति-रिवाजों, परंपराओं व प्रथाओं का विकास हुआ है। यहां महिलाओं को देवी मानकर पूजा करते हैं। इसके बाद भी घर के बाहर और घर के अंदर महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार व अत्याचार किया जाता हैं। ऐसे में महिला की जागरूकता ही इस कुप्रथा का अंत कर सकती हैं। नई मंडी कोतवाली के एसआई सतीश शर्मा, महिला कांस्टेबल प्रतीक्षा चौधरी, श्वेता चौधरी ने छात्राओं को आपातकाल स्थिति से निपटने के साथ ही महिला हेल्प लाइन नंबरों की जानकारी दी। कहा कि छात्राएं चुप्पी तोड़ कर, खुलकर बोले। बेटी की शिक्षा में परिवार की तरक्की छिपी रहती हैं। इतना ही नहीं बेटी दो-दो कुल को संवारने कार्य करती हैं, इसलिए अपने और अपनों के लिए शिक्षित, सशक्त बनने के लिये संघर्ष करें।
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- महिलाएं अपने साथ होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं को अनदेखी कर देती हैं, जिससे घटना को अंजाम देने वालों के हौसले बढ़ जाते हैं। इसी कारण यह घटनाएं बड़ी होने लगती हैं। इसलिए महिलाओं को अपने ऊपर होने वाली हर घटना का जोर शोर से मुकाबला करना होगा।
-अंशु रानी शिक्षिका
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- समाज में महिलाओं की स्थिति तब तक नहीं सुधरेगी, जब तक वह आर्थिक रूप से मजबूत व शिक्षित नहीं होगी। इसके लिए हमें शिक्षा और स्व:रोजगार पर ध्यान देना होगा। छात्राएं निड़र व साहसी बने।
-सुधा रानी शिक्षिका
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- नारी को समाज की सोच बदलने के लिए घर से बाहर निकलकर बुलंद आवाज के साथ अपने हक की जंग लड़ने होगी। महिलाएं जब तक छोटी सोच का त्याग नहीं करेगी, तब तक नारी को सम्मान नहीं मिलेगा।
-स्नेह मिश्रा शिक्षिका
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- महिला की जागरूकता से ही समाज जागरूक होगा। समाज में महिला के प्रति छोटी सोच को आज बदलने की आवश्यकता हैं। इस सोच को दफन करने के लिए महिलाओं को आगे आने की जरूरत है।
-दर्शना अरोरा शिक्षिका
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- आज देश में बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर महिलाओं को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। इसके बाद भी हम खामोशी के पर्दे के पीछे छुपे हैं। अपनों हक के लिएआगे आएं।
विशाखा छात्रा
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- बेटी आज बेटों से कहीं भी कम नहीं है। इसके बाद भी बेटियों को सामाजिक अड़चनों ने घेर रखा हैं। बेटियों को उन्हें कमतर मापने वालों को तरक्की के पथ पर चलकर जवाब देना होगा।
-लक्ष्मी छात्रा