अमर उजाला अपराजिता 100 मीलियन स्माइल्स के तहत सिटी मांटेसरी हाईस्कूल के बच्चों ने कस्बे में निकाली रैली
रानीखेत (अल्मोड़ा)। अमर उजाला अपराजिता 100 मीलियन स्माइल्स के तहत यहां गनियाद्योली कस्बे में जैक एंड जिल सिटी मांटेसरी स्कूल के बच्चों ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और पर्यावरण संरक्षण रैली निकालकर लोगों को जागरूक किया। बच्चों ने जागरूकता नारों के माध्यम से लोगों की जमकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत सदस्य अमित पांडे ने किया।
रैली का उद्घाटन करते हुए जिला पंचायत सदस्य अमित पांडे ने बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाया। कहा कि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। उन्होंने बेटियों को हर संभव आगे बढ़ाने का आह्वान किया। कहा कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं। अभिभावकों को भी इसके लिए जागरूक होना होगा। इसके बाद बच्चों ने विद्यालय परिसर से पूरे गनियाद्योली क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया और अधिक से अधिक से संख्या में पौधरोपण करने पर जोर दिया। कहा कि पौधरोपण के माध्यम से तेजी से सूख रहे नौले धारे रिचार्ज होंगे। बच्चों ने इस दौरान पर्यावरण संरक्षण और बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक करने की शपथ भी ली। रैली में विद्यालय के तमाम शिक्षक, शिक्षिकाएं और अन्य लोग भी मौजूद रहे।
अमर उजाला ने समाज को जागरूक करने के लिए जो अभियान चलाया है, यह काबिले तारीफ है। पुलिस की पाठशाला हो अथवा महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम, इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा।
- अमित पांडे, जिला पंचायत सदस्य।
समाज में तमाम तरह की बुराइयां आज भी व्याप्त है। नशा उन्मूलन, घरेलू हिंसा आदि के खिलाफ भी अमर उजाला ने कई कार्यक्रम चलाए हैं, पर्यावरण संरक्षण रैली से भी समाज में जागरूकता आएगी। अन्य संस्थाओं को भी आगे आने की जरूरत है।
- विनोद खुल्बे, प्रधानाचार्य।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.