सीओ ने महिलाओं को हर वक्त चौकन्ना रहने की दी सलाह
देहरादून। शहर की सुरक्षा की कमान महिलाओं के ही हाथों में है। पुलिस विभाग में बड़े पदों पर महिलाएं ही तैनात हैं। पुलिस अधिकारी होने के साथ ही हम महिला भी है, महिलाओं की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। बीते दिनों शहर में हुई घटनाओं से यदि महिलाओं के मन में असुरक्षा का भाव आया है तो कतई घबराएं नहीं। हम बहुत ही सुरक्षित शहर में रहते हैं और आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है, लेकिन हमें आपके सहयोग की भी जरूरत है। इसलिए बिना वर्दी के हर महिला पुलिस का काम करें।
पुलिस क्षेत्राधिकारी डालनवाला जया बलूनी ने अपराजिता अभियान के तहत महिला सुरक्षा को लेकर रविवार को अमर उजाला कार्यालय पटेलनगर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में यह बात कही। कार्यक्रम में महिलाओं ने सीओ से अपने सवाल पूछे। सीओ जया ने भी महिलाओं के सभी सवालों के जवाब देते उनकी हर जिज्ञासा का समाधान किया। उन्होंने कहा कि आपके पास हालांकि वर्दी नहीं है, लेकिन बिना वर्दी के भी आपको पुलिस का काम करना है। जब घटना हो, तभी हमें चौकन्ना नहीं होना है, बल्कि हर वक्त चौकन्ना रहना है, ताकि घटना को रोका भी जा सका। कार्यक्रम में नूपुर मोहंती, सुमन काला, अर्चना सिंघल, काजल सचदेवा, मनी अग्रवाल, पुष्पा भल्ला, पूजा सुब्बा, मनजीत गुजराल, निशा गुजराल, शशी गोयल, दीक्षा भट्ट, सृष्टि रतूड़ी आदि मौजूद रहे।
सवाल : कई बार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराने जाते है, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की जाती, ऐसे में क्या करना चाहिए?
जवाब : अमूमन ऐसा नहीं होता है कि एफआईआर दर्ज न की जाए, लेकिन यदि किसी थाने में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है, तो इसकी शिकायत सीनियर आफिसर से जरूर करें, ताकि आपकी बात पहुंच सके।
सवाल : शहर में बढ़ रही चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस क्या कर रही है?
जवाब : चोरी की अधिकांश घटनाओं में देखा गया है कि चोर यहीं के हैं। वे या तो यहां किराए पर रहते है या फिर दोस्तों के साथ। ऐसे में पुलिस अब मकानमालिकों से किराएदारों के सत्यापन कराने पर जोर दे रही है। साथ ही लोगों को भी सतर्क रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है, ताकि कुछ भी गलत होने की आशंका होने पर लोग तुरंत पुलिस को सूचित करें।
सवाल : क्षेत्र में कई युवाओं के गुट ऐसे दिखाई देते है, जिन पर संदेह होता है। जैसे वह ड्रग्स आदि का सेवन करते है? ऐसे में हम क्या कर सकते है?
जवाब : किसी भी तरह का संदेह यदि आपको होता है, तो आप तुरंत पुलिस को सूचित करें। हमारी टीम मामले का संज्ञान लेगी। सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।
सवाल : क्या महिलाएं राजधानी में सुरक्षित है?
जवाब : मैं यह स्पष्ट कहना चाहती हूं कि हम एक सुरक्षित माहौल में है। घबराने की जरूरत नहीं है। बस आप लोगों को भी चौकन्ना रहने की जरूरत है।
बोली महिलाएं :
मैं 55 साल से देहरादून में रह रही हूं। एक सुरक्षित शहर है देहरादून। हालांकि आज कुछ घटनाएं सुनने में आ रही है, जिससे महिलाएं स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही है। मेेरे लिए यह स्वीकार करना बड़ा मुश्किल हो रहा है कि हमारे शहर में महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं घट रही है। -मंजू गोयल (76 वर्षीय)
आए दिन हम अन्य शहरों में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं के बारे में पढ़ते और सुनते हैं। तब हम महसूस करते हैं कि हम कितने सुरक्षित शहर में रहते है, लेकिन आज जिस तरह की घटनाएं हमारे शहर में हो रही है, वह कहीं न कहीं महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। -शशि गोयल (69 वर्षीय)
चेन स्नेचिंग की घटना जब से हुई है, मैंने चेन पहनकर बाहर जाना ही बंद कर दिया है। डर महसूस तो होता ही है, लेकिन हमें खुद भी चौकन्ना रहने की जरूरत है। -सरिता रानी, बल्लूपुर
पुलिस को और सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन उतनी ही सतर्कता की जरूरत हम सभी को है। कुछ गलत होने पर चुप रहने के बजाय, जितना जल्दी हो पुलिस को सूचित कराना हमारी भी जिम्मेदारी है। आज महिलाओं के मन में भय ने भी जगह ले ली है, लेकिन यह भय और अधिक समय तक न रहे और दोबारा घटनाएं न घटे, इसके लिए हमें स्वयं भी चौकन्ना रहने की जरूरत है। -मंजू जैन, प्रिंस चौक
संवाद में हमें हमारे सवालों के जवाब तो मिले ही है, लेकिन साथ-साथ एक बात भी समझने की जरूरत थी कि हम हर बात के लिए पुलिस पर ही निर्भर नहीं रह सकते। हमें स्वयं को भी जागरूक रखना होगा। हर जगह पर पुलिस तुरंत मदद के लिए नहीं पहुंच सकती, लेकिन हमें कई बार खुद पुलिस की तरह काम करने की जरूरत। अपने आप को इतना मजबूत बनाएं कि हम ऐसी परिस्थिति में स्वयं की सुरक्षा कर सके। -अंजलि, स्टूडेंट लीडर एबीवीपी, एसजीआरआर
सतर्कता से कई घटनाओं को होने से रोका जा सकता है। पुलिस और लोग दोनों ही यदि सही समय पर मामले का संज्ञान लें, तो घटना को रोका जा सकता है। -नूपुर मोहंती, कृष्णानगर
हमारे लिए बहुत गर्व की बात की है कि हमारे शहर में पुलिस विभाग के बड़े पदों पर महिलाएं तैनात हैं। हमारी महिला पुलिस अधिकारी हमारी सुरक्षा के लिए दिनभर अपने घरों से बाहर रहती हैं ताकि हम सुरक्षित रहें। भले ही इन दिनों हुई घटनाओं ने एक डर पैदा किया है, लेकिन हमें इससे स्वयं को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। हमें भी अपनी महिला पुलिस अधिकारियों की तरह सतर्क रहकर उनका सहयोग करना चाहिए। - पूजा वेदी, केनाल रोड
सीओ ने दी सलाह-
अपराधियों के सत्यापन को घर-घर जाएगी पुलिस
चेन स्नेचिंग की घटनाओं के बाद चीता पुलिस की टीम घर घर जाकर सर्वे करेगी। सीओ जया बलूनी ने बताया कि चेन स्नेचिंग की घटनाओं में सामने आए अपराधी लोकल ही है और अधिकतर घटनाओं में लोकल लोगों का ही हाथ होता है। यह अपराधी या तो किराए पर रहते है या फिर किसी दोस्त के यहां, ऐसे में इनका सत्यापन होना जरूरी है। साथ ही कुछ घटनाओं में अपराधी के जल्दी न पकड़ने जाने के पीछे कारण है वहां सीसीटीवी का न होना। इसलिए हमारा प्रयास रहेगा कि अब विधायकों से बात करके इन्हें अपने क्षेत्रों में सीसीटीवी बढ़ाने केे लिए कहा जाए। सीसीटीवी की मदद से आसानी से आरोपी तक पहुंचा जाता है।
आपके शहर की कप्तान एक महिला है। एसपी सिटी एक महिला है। सीओ महिला है और जब आम महिलाओं का भी साथ भी मिल जाएगा तो इतनी बड़ी महिला शक्ति होने के बाद कैसा भय। बस आपकी सतर्कता से हमें मुजरिम तक पहुंचने में आसानी होगी और आपकी मदद से ही हम किसी आपराधिक घटना को रोक सकते हैं, इसलिए महिलाओं को डरने की नहीं बल्कि डटकर परिस्थिति का सामना करने की जरूरत है। आप एक सुरक्षित शहर में है। -जया बलूनी, सीओ डालनवाला
प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) की 2011 बैच की अधिकारी जया बलूनी को सबसे पहले सीओ सदर की जिम्मेदारी दी गई थी। उसके बाद सीओ मसूरी, डिप्टी एसपी विजिलेंस सेक्टर देहरादून और सीओ ट्रैफिक का दायित्व भी उन्होेंने बखूबी निभाया। अब डालनवाला की पुलिस क्षेत्राधिकारी का जिम्मा संभाल रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.