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बाल विवाह समाज के लिए कलंक

Published - Sat 31, Aug 2019

अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत जीजीआईसी में छात्राओं को बाल विवाह कानून की जानकारी दी

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रुद्रपुर। अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत शुक्रवार को बालिका इंटर कॉलेज फाजलपुर महरौला में छात्राओं को बाल विवाह कानून की जानकारी दी गई। छात्राओं ने बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया। 50 छात्राओं ने अपराजिता के संकल्प पत्र भरे।
बालिका इंटर कॉलेज फाजलपुर महरौला में सखी वन स्टॉप सेंटर के सहयोग से आयोजित अपराजिता कार्यक्रम में सेंटर की प्रभारी कविता बडोला ने कहा कि समाज में आज भी कुछ पिछड़े हिस्सों में बाल विवाह कुप्रथा चल आ रही है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून पहली बार वर्ष 1929 में पारित किया गया था। बाल विवाह कानून के तहत लड़की की विवाह की उम्र 18 वर्ष और युवक की उम्र 21 वर्ष निर्धारित गई। उन्होंने महिलाओं के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 112 और चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 के बारे जानकारी दी।

  • बाल विवाह की कुप्रथा खत्म करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। कभी-कभी युवक-युवतियां कम उम्र में विवाह करके स्वयं ही इस कुप्रथा को बढ़ावा देती हैं। उम्र के नाजुक मोड़ में गंभीरता का परिचय देना चाहिए। नाबालिग का विवाह का कानूनन अपराध है। - कविता बडोला, प्रभारी, सखी वन स्टॉप सेंटर, सीमा गुणवंत, केस वर्कर, सखी वन स्टॉप सेंटर
  • हमें बाल विवाह का खुलकर विरोध करना चाहिए। इस कुप्रथा का अंत समाज के हित में है। बाल विवाह एक कुप्रथा होने के साथ ही समाज के लिए कंलक है। - पार्वती देवी (प्रधानाचार्य)
  • बाल विवाह पूरी तरह से गलत है। इससे लड़कियों का भविष्य बर्बाद हो जाता है। कम उम्र में विवाह होने से उनकी शिक्षा भी अधूरी रह जाती है। - मंजू रानी, राज नंदिनी, छात्रा।
  • बाल विवाह समाज की पुरानी कुप्रथाओं में से एक है। अभी भी यह कुप्रथा हमारे समाज से पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकी है। हमें इसका विरोध करना चाहिए। एक सभ्य समाज के लिए बाल विवाह को खत्म करना बेहद जरूरी है। - हसीन बानो, मुस्कान, इरम (छात्राएं)