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मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू, मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

Published - Sun 12, May 2019

मदर्स-डे पर लखनऊ में हुआ बड़ा आयोजन, 60 स्कूलों के 5000 बच्चों ने लिया ड्रॉइंग कॉम्पीटिशन में हिस्सा

लखनऊ। ‘मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू, मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना।’, ‘ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया, मां ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया।’,‘जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए, दीये से मेरी मां मेरे लिए काजल बनाती है।’ मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने मां की जिस तासीर को अपने अशआरों में पिरोया, उसी एहसास को स्कूली बच्चों ने रंगों की मदद से कागज पर उतारकर दिल जीत लिया। स्कूली बच्चे अपनी भावनाओं को अमर उजाला की 'अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स' मुहिम के तहत शनिवार को लोहिया पार्क में मदर्स डे के उपलक्ष्य में आयोजित ड्रॉइंग कॉम्पीटिशन में मां को कागज पर उतार रहे थे। हजारों बच्चों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। किसी ने मां की सौम्यता, सरलता व मातृत्व को रंगों में पिरोया तो किसी ने मां के संघर्ष व जिजीविषा को कागज पर उतारा। सुबह सात बजे से ही स्कूली बच्चों का आगमन पार्क में शुरू हो गया था। एम्फीथिएटर में जगह भर जाने के बाद बच्चों ने पार्क में पेड़ों की छांव में चित्रकारी करनी शुरू की। प्रतियोगिता में 60 स्कूलों के 5000 के करीब छात्र-छात्राएं शामिल हुए। तीन श्रेणियों में प्रतियोगता हुई। पहली श्रेणी प्राइमरी में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चे शामिल हुए। जूनियर वर्ग में कक्षा छह से आठ तक और सीनियर वर्ग में कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों को शामिल किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया थीं। उन्होंने स्कूली बच्चों को उत्साहवर्धन किया और उनके साथ तस्वीर खिंचवाई। इसके अतिरिक्त जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार भी मौजूद रहे।

पशु-पक्षियों का मातृत्व भी उतरा
ड्रॉइंग प्रतियोगिता में बच्चों ने मां के साथ पशु-पक्षियों के मातृत्व प्रेम को अनूठे ढंग से चित्रित किया। महानगर ब्वॉयज कॉलेज के बच्चों ने उल्लू व उसकी मां की तस्वीर बनाई तो एमिकस एकेडमी, प्रकाश बाल विद्या मंदिर के बच्चों ने भी चित्रों के माध्यम से मां के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया।

धूप में भी डटे रहे
सुबह से शुरू हुई प्रतियोगिता में बच्चों के आने का सिलसिला देर तक लगा रहा। पेंसिल, पानी व मोम के रंगों से अपनी भावनाओं को कागज पर उतारने में बच्चे इतने लीन हो गए कि कड़ी धूप की भी उन्हें फिक्र नहीं रही। पसीने से तरबतर होने के बावजूद अपने मन के उद्गारों को व्यक्त करते रहे। हुनर से धूप को मात दी और डटे रहे।

इस कविता ने जीत लिया दिल...
ड्रॉइंग कॉम्पटीशन के बाद बच्चों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। जय सुभाष पब्लिक स्कूल की छात्रा नेहा गौतम ने मां पर लिखी कविता सुनाई।‘घुटनों से रेंगते-रेंगते कब पैरों पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छांव में न जाने कब बड़ा हुआ। काला टीका दूध मलाई, आज भी सब कुछ वैसा है। मैं ही मैं हूं हर जगह का, मां प्यार ये तेरा कैसा है। चाहे जितना हो जाऊं बड़ा, मैं आज भी तेरा बच्चा हूं...’ इस कविता पर ढेरों तालियां बजाई गईं।

‘मैं कभी बतलाता नहीं, पर अंधेरे से डरता हूं मैं मां’
कागज पर मां के प्रति अपनी भावनाओं को उकेरने के बाद जब बच्चों को मौका मिला तो गायकी से भी मां के प्रति आभार व्यक्त किया। बच्चों ने तारे जमीं पे फिल्म का गाना ‘मैं कभी बतलाता नहीं, पर अंधेरे से डरता हूं मैं मां...’ सुनाया तो अवध कॉलिजिएट के स्टूडेंट्स ने ‘तू कितनी अच्छी है, तू कितनी प्यारी है ओ मां...’ सुनाकर माहौल को गर्मजोशी से भर दिया। इसी क्रम में दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र ने मां पर लिखी अंग्रेजी कविता सुनाई।

सेल्फी ली, जमकर की मस्ती
ड्रॉइंग कॉम्पटीशन में शामिल होने पहुंचे बच्चों ने अपनी चित्रकारी से दिल जीतने के बाद दोस्तों संग जमकर मस्ती भी की। एक ओर बच्चों ने जहां सेल्फी ली, वहीं पिकनिक का भी लुत्फ उठाया। हरियाली से भरपूर पार्क में लगे झूलों वगैरह पर भी एंजॉय किया। इसी क्रम में शिक्षकों ने भी बच्चों का भरपूर उत्साहवर्धन किया और उनके साथ ग्रुप फोटोज करवाई।