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हमें सम्मान दीजिए, देवी मत बनाइए

Published - Thu 16, May 2019

ग्राम विकास सचिव कामिनी चौहान रतन ने साझा किया अपना संघर्ष

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लखनऊ। ग्राम विकास सचिव कामिनी चौहान रतन ने बेटियों से बातचीत में कहा, हमें देवी नहीं बनना और न ही अबला नारी बनना। हमें सिर्फ बराबरी का दर्जा चाहिए। हमें साबित करने की जरूरत नहीं है कि हम बेहतर हैं। हमें इंसानियत के नाते सम्मान चाहिए। कामिनी ने कहा, बचपन से ही पिता की इच्छा थी कि मैं आईएएस अफसर बनूं। आईएएस क्या होता है, यह भी मुझे नहीं पता था। पहली बार टीवी धारावाहिक 'उड़ान' में डीएम सीतापुर का रोल अदा करने वाले शेखर कपूर के किरदार को देखकर पता चला कि आईएएस क्या होता है। 24 साल की उम्र में 1998 में जब मैंने आईएएस क्वालिफाई किया तो पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

सहेलियों ने पूछा...तो क्या तुम डीएम सीतापुर बन गईं?
कामिनी ने कहा, आईएएस की तैयारी के दौरान सहेलियां मेरा मजाक उड़ाती थीं। 2003 में जब मुझे पहली बार बागपत जिले की कमान मिली तो उन सहेलियों को फोन मिलाया। उनका पहला सवाल था कि क्या तुम डीएम सीतापुर बन गईं? मैंने कहा, हां डीएम बन गई। फिर पूछा,  लट्टू  वाली गाड़ी में बैठकर चल  रही हो? आगे पुलिस की जिप्सी भी होती है? ये सारे सवाल बहुत अच्छी फीलिंग दे रहे थे। उन्होंने कहा, हम सबको अपने परिवार, समाज का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिन्होंने हमें कोख में मरने नहीं दिया और आज हम यहां हैं। 

चूडिय़ां पहनने का मतलब कमजोर नहीं
कामिनी ने कहा कि पुरुषों की बात सुनकर बुरा लगता है जब वह कहते हैं, क्या आपने चूडिय़ां पहन रखी हैं? क्या जिसने चूडिय़ां पहन रखी हैं, वह कमजोर हैं? ऐसा बिल्कुल नहीं। इस सोच को बदलने की जरूरत है।