अपराजिता अभियान
अमर उजाला का अपराजिता: 100 मिलियन स्माइल्स अभियान से बेटियां उत्साहित हैं। उन्हें एक मंच मिला है अपनी बात रखने का। वे खुलकर बोल रही हैं। सीख रही हैं और लोगों को भी समझा रही हैं कि बेटियां भी बेटों जैसी ही हैं। उन्हें भी प्यार, सम्मान और अधिकारों की जरूरत है। इसी सोच के साथ 26 फरवरी को कई जगह अलग-अलग आयोजन हुए।
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खुद करें अपनी सुरक्षा : देहरादून। विल फील्ड स्कूल में 100 छात्राओं को आत्म सुरक्षा के गुर सिखाए गए। इस दौरान छात्राओं ने सभी जगह इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की। छात्राओं ने कहा कि सेल्फ डिफेंस सीखना आज छात्राओं की सबसे बड़ी जरूरत है। इसका लाभ हर लड़की तक पहुंचना चाहिए।
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महिलाएं स्वास्थ्य का रखें ध्यान : अयोध्या। आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र मसौदा अयोध्या में आंगनबाड़ी और आशा बहुओं के बीच महिला स्वास्थ्य और जागरूकता पर परिचर्चा हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने महिला स्वास्थ्य की जानकारी दी। कहा कि महिलाएं खुद स्वस्थ रहें और गांव-गांव महिलाओं को स्वस्थ रखें। सरकार के स्वास्थ्य जागरूकता और कुपोषण से बचाव की योजनाओं के साथ पोषण से आच्छादित करें। महिलाएं ही स्वस्थ समाज बना सकती हैं।
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नारी सुरक्षा और सम्मान जरूरी : बहराइच । कृपा राम जन जागृति स्कूल अग्गैया में नारी सुरक्षा सम्मान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर थाना प्रभारी रूपैडीहा मधुप नाथ मिश्रा ने कहा कि नारी की सुरक्षा और सम्मान जरूरी है। समाज बेटियों और महिलाओं का सम्मान करें, सुरक्षा भी करें। जरूरत पड़े तो पुलिस उनकी मदद को तैयार है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि कोई भी परेशानी होने पर बेझिझक पुलिस को कॉल करें, आपकी समस्या का समाधान तुरंत करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम में प्राचार्य कृपा राम ने महिलाओं के अधिकारों को बताया और जिला पंचायत सदस्य अरविंद वर्मा ने नारी शक्ति को बढ़ावा देने की बात कही। प्रबंधक मनोज कुमार गुप्त ने भी छात्राओं को आगे बढ़ने को प्रेरित किया।
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सेहत का जाना हाल : झांसी। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के सहयोग से स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। भट्टागांव के पास सिंगर्रा स्थित एचएस कॉन्वेंट स्कूल (मदरसा सिद्दीकी) में आयोजित शिविर में बच्चों का दंत परीक्षण हुआ। इसके अलावा स्कूली बच्चों व अन्य लोगों का सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण भी हुआ। चिकित्सकों द्वारा बालिकाओं को किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलावों की जानकारी दी गई और उनकी शंकाओं का समाधान किया। शिविर के दौरान आयरन की गोलियां, पेट के कीड़ों की दवाओं का भी वितरण हुआ।
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अधिकारों की लड़ाई को आगे आएं : अमावां (रायबरेली)। चाहे प्राचीनकाल का दौर रहा हो या फिर वर्तमान समय। महिलाओं ने हमेशा देश को तरक्की में ले जाने का कार्य किया है। महिलाएं पीछे नहीं हैं, लेकिन उन्हें आज भी अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है। इसके लिए महिलाओं को शिक्षित होना जरूरी है। जरूरत है कि महिलाएं सशक्त बने और अधिकारों की लड़ाई के लिए आगे आएं। अमावां ब्लॉक के केवीआर पब्लिक स्कूल डेडया में आयोजित परिचर्चा के दौरान कुछ इसी अंदाज में बातों को जिक्र किया गया। कहा गया कि महिलाओं की बेहतरी से ही देश की तरक्की संभव है।
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बेटियों को हर क्षेत्र में बनाएं सशक्त : लखनऊ। बेटियों को यदि पूर्ण रूप से सशक्त बनाना है तो केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में भी काम करना होगा। बेटियां स्वस्थ नहीं हैं। मानसिक रूप से मजबूत नहीं है। अपने फैसले खुद नहीं ले पातीं और न ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। अमर उजाला कार्यालय में आयोजित संवाद कार्यक्रम में शिरकत करने आए व्यापारी और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बेटियों को पूर्ण रूप से जागरूक करने की बात पर जोर दिया। संवाद में कई सुझाव दिए गए और रणनीति के तहत जो जहां हैं वहीं पर छोटे-छोटे समूह बनाकर जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया गया।
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स्वास्थ्य की लगी पाठशाला : सिद्धार्थनगर। शोरहरतगढ़ के पीपीएस पब्लिक स्कूल में स्वास्थ्य की पाठशाला व स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इसमें सीएचसी अधीक्षक डॉ. एसके पटेल व शादाब अंसारी प्रभारी थानाध्यक्ष मौजूद रहे। उन्होंने स्वास्थ्य के साथ-साथ सुरक्षा से जुड़ी जानकारी भी दी। शिविर में 200 छात्र और छात्राओं के सेहत की जांच की गई। साथ ही उन्हें निशुल्क दवाइयां भी गई। शिविर में 160 शपथ पत्र भरे गए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.