अपराजिता गोष्ठी
सोनभद्र। पुरुषों को भी महिलाओं के प्रति सोच बदलने की जरूरत है, ताकि प्रत्येक क्षेत्र में नारी अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सकें। नारी ही सृष्टि संचालन का आधार है। बेटी, बहन, पत्नी, मां, सास की भूमिका निभाती हैं। जरूरी है कि जिस तरह मां अपने बेटी को संभालती है, उसी तरह बहू को भी बेटी मानें, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। परिवार या आसपास में किसी महिला का उत्पीड़न होने पर उसका डटकर प्रतिकार करें तो महिलाओं के साथ होने वाले गलत व्यवहार की घटनाएं खुद ही कम होती चली जाएंगी। अपराजिता अभियान के तहत 21 फरवरी को राबटर्सगंज स्थित श्री एकेडमी में सजगता गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें शिक्षिकाओं ने विचार रखे। शिक्षिका वैष्णवी गुप्ता, नीलम त्रिपाठी, गीता मौर्या, सविता शर्मा, रचना मालवीय, श्रद्धा गुप्ता, अन्नपूर्णा त्रिपाठी और आंचल शुक्ला ने कहा, यह हर महिला का दायित्व है कि जिस तरह वह बेटी को संस्कार, लोकलाज का पाठ पढ़ाती है, उसी तरह बेटे में भी अच्छे संस्कार दें। उसके हर गलत कदम पर एतराज जताएं। अभी भी पुरुषों का नजरिया महिलाओं के प्रति काफी हद तक उपेक्षा भरा है। इस सोच को बदलने की जरूरत है, ताकि कोई भी महिला अपने सशक्तिकरण की दिशा में आसानी से कदम बढ़ा सके। इस दौरान 135 छात्राओं ने शपथ पत्र भरा। (21-2-19)
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.