अपराजिता मैदान की धुरंधर
प्रियंका शैली गोरखपुर की गलियों में अक्सर चचेरे भाइयों के साथ प्लास्टिक की बॉल से चौक्का-छक्का लगाती थी। मम्मी-पापा ने भी कभी रोका नहीं तो, वे भी खेलती रहीं। पढ़ाई के साथ-साथ हॉकी खेलने लगी। 91-92 तक मंडल हॉकी में काफी धमाल मचाया। इस बीच सहेलियोंं से पता चला कि लखनऊ में क्रिकेट के ट्रॉयल हो रहा है। किस्मत आजमान पहुंच गईं और चयन हो गया। तब से क्रिकेट से रिश्ता जुड़ा जो आज तक जारी है। यूपी सीनियर गल्र्स टीम की कोच, सीनियर वीमेन सलेक्शन कमेटी की चेयरपर्सन रहने के साथ वे यूपी सीनियर टीम की सात साल तक कैप्टन रह चुकी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में इंडिया ए में वेस्टंडीज के खिलाफ भारतीय टीम ने जीत हासिल की थी।
तैयार कर रहीं नई पौध
प्रियंका कहती हैं कि मैंं लकी हूं कि मुझे मायके और ससुराल दोनोंं तरफ से भरपूर सहयोग मिला। शादी के बाद भी मेरा खेल जारी रहा। मेरी नानी तो मुझे खेल सबसे ज्यादा खुश होती थीं। मेरा परिवार ही मेरी ताकत बना और यदि हर लड़की के साथ उसके घरवालों का सहयोग है तो फिर कोई भी बेटी असफल हो ही नहींं सकती। फिलहाल वे क्रिकेट की नई पौध तैयार कर रही हैं।
मेरे रोल मॉडल : सनथ जयसूर्या
आगे का इरादा : एक जिम्मेदारी मिली है यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य के रूप में, जिसे बेहतर तरीके से निभाना लक्ष्य है।
- प्रियंका शैली मिश्रा
क्रिकेट प्लेयर, मेंबर यूपी क्रिकेट एसोसिएशन
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.