अपराजिता वर्कशॉप में नगमा ने बयां किया अपना दर्द और दो दिन में निकला समस्या का हल
गोंडा। अमर उजाला के 'अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल'अभियान के तहत अब बेटियों की बात को अनदेखा नहीं किया जा रहा है। अपनी बात उठाने वाली बेटियों के सवालों का जवाब मौजूद अधिकारियों को देना पड़ता है और उनकी समस्याओं को सुनकर पूरा कराने का प्रयास भी किया जाता है। 5 फरवरी को महाकवि तुलसीदास पीजी कॉलेज परसपुर में अमर उजाला की मुहिम अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत सेल्फ कॉन्फिडेंस वर्कशॉप हुई थी। भौरीगंज निवासी छात्रा नगमा बानो ने विकास योजनाओं में अनदेखी की आवाज उठाई थी। नगमा बानो ने कहा था कि उसके परिवार को किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया गया है।
खुले मंच पर देना ही पड़ा जिम्मेदारों को आश्वासन
मौके पर मौजूद प्रधान संघ के ब्लॉक अध्यक्ष विपिन सिंह उर्फ पिंकू, नगर पंचायत परसपुर अध्यक्ष प्रतिनिधि बासुदेव सिंह, सीएचसी अधीक्षक सहित पुलिस व अन्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने उसकी बात को गंभीरता से लिया। नगमा ने कहा कि उसके घर में शौचालय नहीं है और गांव में बिजली का खंभा है पर उसके घर बिजली का संयोजन नहीं है। इस पर अमर उजाला की पहल पर पावर कार्पोरेशन के अधिकारी ने बिजली का संयोजन शीघ्र करने के लिए आवश्वस्त किया तथा प्रधान संघ के अध्यक्ष ने मौके पर ही शौचालय का चेक दिलाने का भरोसा दिलाया।
दूसरे ही दिन खिल उठी नगमा की मुस्कान
दूसरे दिन बुधवार को प्रधान संघ के अध्यक्ष पिंकू सिंह के साथ खंड विकास अधिकारी वीपी सिंह, ग्राम पंचायत अधिकारी संतोष मिश्र, महाकवि तुलसीदास पीजी कॉलेज के प्राध्यापक एसपी सिंह, डॉ. एनडी शुक्ल आदि ने छात्रा नगमा को, उनकी मां जकरुलनिंशा को ब्लॉक में स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छ शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि की पहली किस्त छह हजार रुपए का चेक प्रदान किया। योजना का चेक मिलने पर छात्रा नगमा बानो और उनकी मां जकरुलनिंशा ने अधिकारियों के साथ ही अमर उजाला को धन्यवाद दिया। (5-2-19)
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.