अमर उजाला की अपराजिता १०० मिलियन स्माइल्स के तहत डीआरएम पब्लिक स्कूल फिरोजपुर में पुलिस की पाठशाला
अयोध्या। पुलिसकर्मी व अन्य बिना हेलमेट के बाइक चलाते हैं, क्राइम होने के बाद पुलिस क्यों आती है, आम लोगों का केस पुलिस नहीं दर्ज करती है...। इस तरह के कई प्रश्न मंगलवार को अमर उजाला की अपराजिता १०० मिलियन स्माइल्स के तहत डीआरएम पब्लिक स्कूल फिरोजपुर अयोध्या में आयोजित पुलिस की पाठशाला में विद्यार्थियों ने पूछे। इन सभी प्रश्नों का एक सधे हुए अध्यापक के तौर पर उत्तर देते हुए एसएसपी आशीष तिवारी ने कहा कि आम लोगों में पुलिस के प्रति सकारात्मक विचार लाने की आवश्यकता है। जीवन में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन इससे हार नहीं माननी चाहिए। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। उन्होंने गांधी जी के विचार को अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि आप विश्व में जो परिवर्तन चाहते हैं, उसे अपने से शुरू करें।
पुलिस की पाठशाला में एसएसपी आशीष तिवारी ने स्कूल के विद्यार्थियों व शिक्षकों को जागरूक करते हुए उन्हें पुलिस की हेल्पलाइन नंबरों, एंटी रोमियो स्कवॉयड व पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी। इस दौरान एसएसपी ने अपने ४० मिनट के संबोधन के प्रथम चरण मेेंं विद्यार्थियों को अपने अनुभव सांझा करते हुए सफलता का मंत्र बताया, दूसरे चरण में उन्होंने बच्चों के प्रश्नों का जवाब भी दिया तथा उनसे सवाल भी पूछे। मौके पर स्कूल के प्रबंधक बद्रीनाथ तिवारी, डायरेक्टर सीमा तिवारी, प्रधानाचार्य शालिनी द्विवेदी, पूराकलंदर थाना प्रभारी मारकंडेय सिंह्र एसएसपी के पीआरओ केके गुप्ता समेत सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं व विद्यार्थियों ने नारी सुरक्षा की शपथ ली।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती : एसएसपी
एसएसपी आशीष तिवारी ने कहा कि लक्ष्य बनाकर उस पर निशाना साधे, इसके लिए समय व्यर्थ न करें। बच्चों से कहा कि वो आज ही अपने कापी पर तारीख डालकर लिखे कि उन्हें भविष्य में क्या बनना है, इसको रोज देखे और उसी दिशा में प्रयास करें। अपने अनुभव बताते हुए कहा कि वो पहली बार आईआईटी एग्जाम में फेल हो गए, उन्हें फिजिक्स में सबसे कम नंबर मिले थे। इसके बाद उन्होंने साल भर फिजिक्स विषय में अतिरिक्त समय दिया और वो सफल हुए। कहा कि पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए है, कानून अपने हाथ में नहीं ले। पुलिस की मदद लें आपको तत्काल सहायता मिलेगी। कहा कि जिले के २५ लाख लोगों की सुरक्षा के लिए महज २५ सौ पुलिसकर्मी हैं, हमे दिन भर में विभिन्न तरीके की २५० से ३०० सूचनाएं मिलती है और हमारा प्रयास होता है कि हम सब जगह पहुंचकर लोगों की मदद की जाए। आपको पुलिस के प्रति अपने विचार व व्यवहार में सकारात्मक सोच रखने की आवश्यकता है।
आत्मविश्वास को मजबूत कर बने अपराजिता
अपने आत्मविश्वास को मजबूत कर अपराजिता बना जा सकता है। विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करें, अपनी झिझक छोड़े, आसपास या साथ घट रही छोटी-छोटी घटनाओं को नजरअंदाज न करें। ये आगे चलकर बड़े अपराध का रूप ले सकती हैं। इसकी सूचना अपने घर, शिक्षक व जरूरत पडऩे पर पुलिस को दे। - बद्रीनाथ तिवारी, स्कूल प्रबंधक।
चुप्पी तोड़िए, खुलकर बोलिए
अपनी सुरक्षा व अधिकारों को लेकर जागरूक हो, आत्मविश्वास लाए, इससे आप मुसीबत के समय अपनी रक्षा कर सकती हैं। किसी भी समस्या को लेकर चुप्पी न साधे खुलकर अपनी बात कहें। शिक्षित हों, स्वावलंबी बने और जीवन में अपने फैसले खुद करे तभी आप अपराजिता बन सकतीं हैं। - सीमा तिवारी, स्कूल निदेशिका।
कड़ी मेहनत ही सफलता का मूल मंत्र
आपके अंदर प्रतिभा की कमी नहीं है, अपनी रूचि के अनुसार ही अपना लक्ष्य निर्धारित करें। लक्ष्य पाने के लिए की गई कड़ी मेहनत ही आपके सफलता का मूल मंत्र है। जीवन में मिलने वाली असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर और मेहनत कर सफलता की सीढ़ी चढऩा चाहिए। - शालिनी द्विवेदी, प्रधानाचार्य।
विद्यार्थियों ने पूछे सवाल, की शिकायत तो एसएसपी ने दी नसीहत
छात्रा आयुषी पाठक ने पूछा कि लाख सुरक्षा के बाद भी लड़कियां रात में अकेले घर से नहीं निकल सकती हैं। घरवाले भी इसकी इजाजत नहीं देते, ऐसा क्यों है। इस पर एसएसपी ने कहा कि आज समाज में सभी को समानता का अधिकार है, विभिन्न क्षेत्रों में सफल व स्वावलंबी छात्राएं व महिलाएं आज समाज को लीड कर रही है। वो बेखौफ होकर देर रात काम करती है, साथ ही कही भी आती जाती है।
एसएसपी ने छात्राओं से पूछा कि सक्सेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है। इस पर छात्रा चाहत, शिवानी, पलक शुक्ला व जिया ने अपने-अपने तर्क दिए। इस पर एसएसपी ने कहा कि सक्सेस का मूल मंत्र हार्ड वर्क है, लक्ष्य पाने के लिए संघर्ष करें, सफलता अवश्य मिलेगी।
छात्र कार्तिकेय मौर्या ने प्रश्न किया कि लाख जागरूकता के बाद भी लोग सडक़ पर पड़े घायल समेत अन्य पीडि़तों की मदद करने से कतराते है, क्योंकि वो पुलिस के पचड़े में पडऩा नहीं चाहते। इस पर एसएसपी ने कहा कि पुलिस आपकी मित्र है, वो आपकी सुरक्षा के लिए है। उससे घबराने की जरूरत नहीं है, किसी पीडि़त या घायल की सहायता करना आपका धर्म है, इसे निभाएं। ऐसे लोगों का पुलिस सम्मान करती है।
छात्रा प्रतिभा सिंह ने पूछा कि पुलिस के कंधे पर लगे बैच का क्या मतलब होता है। इस पर एसएसपी ने कहा कि पुलिस के कंधे पर लगी बैच उसके रैंक की पहचान होती है। सिपाही से लेकर उप निरीक्षक, निरीक्षक, सीओ, एसपी, एसएसपी, डीआईजी से लेकर ऊपर के अधिकारियों को अलग-अलग स्टार, अशोक की लाट आदि दी जाती है।
छात्रा सौम्या पांडेय व छात्र अमन तिवारी ने पूछा कि थानों में आम लोगों से पुलिस का व्यवहार अच्छा नहीं होता है, उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती। इस पर एसएसपी ने कहा कि ऐसा नहीं है, थानों में हेल्पडेस्क बनाया गया है, जहां आप अपनी बात कह सकते हैं। उस पर कार्रवाई होती है। पुलिसकर्मियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के उपाय हमेशा किए जाते हैं।
...बालिग होने पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर गाड़ी चलाना
एसएसपी ने पुलिस की पाठशाला में मौजूद सभी छात्र-छात्राओं से हाथ उठाकर पूछा कि आपमें से कितने लोग बाइक या स्कूटी चलाते हैं, काफी बच्चों द्वारा हाथ उठाया गया। इस पर उन्हें नसीहत दी कि आप अभी नाबालिग हो, बालिग होने पर लाइसेंस बनाकर गाड़ी चलाना। कहा कि आप अपने घरवालों व पड़ोसियों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करें, उन्हें हेलमेट व सीट बेल्ट पहनने के फायदे बताए।
दी अपराजिता की उपाधि
स्कूल की छात्रा अदिति, आयुषी, शिवानी, पलक, कार्तिकेय, चाहत, प्रतिभा आदि द्वारा प्रश्न पूछने पर उनसे प्रभावित एसएसपी ने उन्हें बुके देकर अपराजिता की उपाधि से सम्मानित किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.