अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि छात्राएं डरें नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बन कर मुश्किलों का सामना करें। कहा कि ज्ञान है तो वे खुद आत्मनिर्भर बन जाएंगी। ऐसे में ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने साइबर क्राइम से बचाव, महिला सुरक्षा से जुड़े कानून और सुविधाओं की जानकारी दी।
बलिया। अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत शुक्रवार को संवरूबांध स्थित राधा कृष्ण एकेडमी के सभागार में पुलिस की पाठशाला हुई। इसमें मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने छात्राओं को पुलिस की कार्यप्रणाली की जानकारी दी। साथ ही, सुरक्षित रहने के उपाय बताए। इस दौरान 150 छात्राएं उपस्थित थीं।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि छात्राएं डरें नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बन कर मुश्किलों का सामना करें। कहा कि ज्ञान है तो वे खुद आत्मनिर्भर बन जाएंगी। ऐसे में ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने साइबर क्राइम से बचाव, महिला सुरक्षा से जुड़े कानून और सुविधाओं की जानकारी दी।
कहा कि छात्राओं को 1090, 181, यूपी 100-112 तथा यूपी कॉप एप के इन हेल्प लाइन नंबरों को याद कर लेना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर मदद ली जा सके। इन हेल्प लाइन नंबरों पर सूचना देने पर पुलिस आपको तत्काल सुरक्षा प्रदान करेगी। व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्विटर के सुरक्षित इस्तेमाल की जानकारी देते हुए बताया कि साइबर अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास आधुनिक संसाधन आ गए हैं। अपराधी सोचता है कि वह बच जाएगा, लेकिन अब यह संभव नहीं है। उन्होंने ट्रैफिक नियमों के पालन पर जोर देते हुए कहा, बाइक और स्कूटी हेलमेट पहन कर ही चलाएं। यह आपकी सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। बाइक पर तीन सवारी बैठाना, बिना हेलमेट, बिना लाइसेंस वाहन चलाना ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है। कार से चलने पर सेफ्टी बेल्ट जरूर लगाएं। सेफ्टी बेल्ट नहीं लगने पर कार में सुरक्षा के लिए लगा बैलून नहीं खुलेगा। ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें आरोप है कि बीमा कंपनियां क्लेम नहीं दे रही हैं। जब कंपनियों से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि इन्होंने नियमों का पालन नहीं किया, इसलिए इनका क्लेम पास नहीं हो पा रहा है।
बुके देकर किया स्वागत
राधाकृष्ण एकेडमी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य मिश्रा ने अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार का स्वागत बुके भेंट कर किया। एकेडमिक डायरेक्टर रजनीश सिंह ने आयोजन के लिए अमर उजाला का आभार जताया। स्कूल की कोआर्डिनेटर नेहा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
छात्राओं के सवाल, एएसपी के जवाब
सवाल : पुलिस के पास सारी व्यवस्था है, लेकिन गांवों में इंटरनेट काम नहीं करता है, ऐसे में क्या करें? - अंजली तिवारी
जवाब : नगर से गांव तक 90 फीसदी नेटवर्क काम कर रहा है। अगर कहीं काम नहीं कर रहा है तो वहां अन्य कंपनी के सिम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल : स्कूल आते समय मोबाइल फोन न हो और कोई घटना हो जाए तो क्या करें? - शिवा पांडेय
जवाब : अधिकतर बच्चे वाहनों से स्कूल आते-जाते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से ठीक है। कोई साइकिल से चलता है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद की होती है।
सवाल : स्कूल-कोचिंग जाते समय लड़के गलत हरकत करें तो क्या करें? - नैंशी गुप्ता
जवाब : ऐसी स्थिति में 1090 पर सूचना दें। पुलिस तत्काल मदद करेगी। पुलिस के पहुंचने के पहले अगर अकेली हैं तो 112 नंबर पर सूचना दें। पुलिस आपको सुरक्षित घर पहुंचाएगी।
सवाल : व्हाट्स एप पर अगर कोई गलत मेसेज भेजता है और उसकी आड़ में ब्लैकमेल करता है तो क्या करना चाहिए? - पल्लवी तिवारी
जवाब : पहले 1090 पर सूचना दें। आरोपी की आईडी फेसबुक, व्हाट्स एप और ट्यूटर से निकाल ली जाएगी। आरोपी बच नहीं सकता। इसके लिए सर्विलांस और साइबर सेल है।
सवाल : कहीं जाने के दौरान महिलाएं अपनी सुरक्षा कैैैसे करें? - सिम्मी सिंह
जवाब : महिलाएं बैग में मिर्ची पाउडर या मिर्ची स्प्रे रखें। विषम परिस्थिति में इसका इस्तेमाल करें। सुरक्षा के लिए हाथ-पैर र्या इंट-पत्थर चलाएं। सुनसान रास्ते से न जाएं। जिस वाहन पर बैठें उसका नंबर जरूर याद कर लें।
सवाल : अगर कहीं जाम में फंस जाएं और लड़के परेशान करे तो क्या करें? - रीमा गुप्ता
जवाब : शोर मचाएं, मिर्ची पाउडर या मिर्ची स्प्रे का प्रयोग करें। आत्मरक्षा के लिए हाथ-पैर या ईंट-पत्थर चलायें। तत्काल 112-100 या 1090 पर सूचना दें। 10 से 15 मिनट के अंदर पुलिस पास होगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.