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महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

कुछ करने की मन में ठान लें, सफलता कदम चूमेगी

Published - Sat 15, Feb 2020

‘सूरज न बन पाए अगर, बनके दीपक जलता चल, फूल मिले या अंगारे, तू सच की राहों पर चलता चल।’ इन्हीं पंक्तियों के साथ बढ़ते अपराध पर सचेत करते हुए पुलिस कप्तान डा. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि महिलाओं-छात्रों को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक रहना होगा।

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गाजीपुर। ‘सूरज न बन पाए अगर, बनके दीपक जलता चल, फूल मिले या अंगारे, तू सच की राहों पर चलता चल।’ इन्हीं पंक्तियों के साथ बढ़ते अपराध पर सचेत करते हुए पुलिस कप्तान डा. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि महिलाओं-छात्रों को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक रहना होगा। कहा कि अब स्कूलों, कोचिंग सेंटरों के पास मारपीट, छेड़खानी, छींटाकशी और फब्तियां कसने वाले बच नहीं पाएंगे, क्योंकि पुलिस जल्द ‘शक्ति मोबाइल’ सेवा शुरू करने जा रही है। यह कोचिंग सेंटर और स्कूलों के इर्द-गिर्द भ्रमण करता रहेगा। मौका था अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत आयोजित ‘पुलिस की पाठशाला’ का और इसके माध्यम से छात्राओं ने जिज्ञासाएं शांत की। छात्राओं ने एक-एक कर सवालों की झड़ी लगा दी और उनका संतोषजनक जवाब मिलने पर खुशी जाहिर की। 
सनबीम स्कूल महराजगंज में बृहस्पतिवार को हुए आयोजन में छात्राओं को संबोधित करते हुए एसपी ने कहा कि अब छात्राओं की सुरक्षा और शिक्षा पर समाज जागरूक हुआ है। बेटियां जिस क्षेत्र में जाना चाहें, जा सकती हैं। उन्हें सफलता न भी मिले तो निराश होने की जरूरत नहीं है। परिश्रम जारी रखना चाहिए। अगर आप कुछ करने की क्षमता रखते हैं, तो मन में ठान लीजिए। तब दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक पाएगी। उन्होंने छात्राओं को सेफ्टी टिप्स दिए। बताया कि मुसीबत के वक्त पुलिस की महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 पर फोन कर जानकारी दें। 
 उन्होंने टोल फ्री नंबर यूपी 100, आग लगने पर फायर स्टेशन नंबर 101, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 के बारे में जानकारी दी। एकीकृत आपात सेवा 112 और वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा (सवेरा) जैसे कार्यक्रमों के बारे में भी अवगत कराया। कहा, महिला हो या पुरुष, सुरक्षा की जरूरत सभी को है। खासकर लड़कियों को बाइक और स्कूटी चलाते वक्त हेलमेेट पहनना चाहिए। अगर छात्रा इसका  पालन करती है, तो वह इसकेे लिए अभिभावकों और रिश्तेदारों को ही नहीं, बल्कि आसपास के लोगों को भी प्रेरित करे। इस पहल से अगर एक भी जान बच जाती है, तो यह कोशिश सार्थक होगी। कहा कि दुर्घटना के समय लोग सबसे पहले पुलिस को याद करते हैं। सूचना पाते ही पुलिस उनकी मदद में जुट जाती है। विशिष्ट अतिथि क्षेत्राधिकारी नगर ओजस्वी चावला ने कहा कि पुलिस ने महिला सुरक्षा को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है। अपराध पर नियंत्रण भी हुआ है। सनबीम स्कूल के संरक्षक केपी सिंह ने कहा कि अपराजिता के तहत महिलाओं को जागरूक करने का सिलसिला जनपद में लंबे समय से चल रहा है। यह आगे भी जारी रहना चाहिए। विद्यालय के डायरेक्टर नवीन सिंह ने कहा कि महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। लेकिन अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी से छात्राओं को आत्मबल मिला है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत श्रेयसी तिवारी और श्वेता सिंह ने स्वागत गीत गाकर किया। जबकि राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन किया गया। इस मौके पर विद्यालय के सह डायरेक्टर प्रवीण सिंह, सीओ सिटी ओजस्वी चावला, यातायात निरीक्षक सुधीर कुमार त्रिपाठी, शहर कोतवाल धनंजय मिश्रा मौजूद रहे। संचालन डा. शरद कुमार वर्मा ने किया। इस मौके पर 1500 से अधिक छात्राएं मौजूद थीं।

खाली बस और आटो में न बैठें
एसपी ने कहा कि महिलाएं अगर किसी जगह अनजान हैं, तो भी किसी को यह न दर्शाएं कि वह वहां के बारे में नहीं जानती हैं। कभी सुनसान रास्ते से न गुजरें और न ही खाली बस और आटो में बैठें। किसी वाहन में बैठने से पहले उसके चालक को जरूर अच्छी तरह से देखें और पहचान लें। संभव हो तो वाहन की फोटो भी खींच लें। उस फोटो में गाड़ी का नंबर स्पष्ट दिखाई दे। अनजान लोगों को अपना-नाम पता और व्यवसाय से जुड़ी जानकारियां न दें। 

प‌ुलिस अधीक्षक ने दिए सवालों के जवाब, संतुष्ट हुईं छात्राएं
सवाल - अगर हम मुसीबत में हों और हमारे पास मोबाइल फोन न हो तो हमारा बचाव कैसे होगा- भव्या मिश्रा। 
जवाब - ऐसी परिस्थिति में नजदीक के किसी व्यक्ति जिसे हम जानते हैं, उसकी मदद लेनी होगी। समझदार बच्चों को मोबाइल रखना पड़ेगा, जिससे पुलिस समय पर आपकी मदद कर सके।
सवाल - हम परीक्षा नजदीक आने पर तनाव के चलते निराश हो जाते हैं। ऐसे में क्या करना चाहिए- कृति पांडेय।  
जवाब - परीक्षा के समय बिना किसी तनाव के धैर्य के साथ पढ़ाई करें। रूटीन में कोई परिवर्तन न करें। अतिरिक्त पढ़ाई करने से तनाव बढ़ता है।
सवाल - हम जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं, वहां हमारे परिजन नहीं जाने देना चाहते। ऐसे में हम परिजनों को कैसे संतुष्ट करें- शान्या राय। 
जवाब - ऐसी परिस्थिति में हम लक्ष्य के प्रति निरंतर लगे रहे। समय के साथ अभिभावक भी आपके विचारों से सहमत होंगे। उन्हें अपने सपने और परेशानी से अवगत कराएं।
सवाल -  सड़क दुर्घटना के समय सबसे पहले किसे बुलाना चाहिए- हर्षिता पांडेय  
जवाब - हादसे के वक्त सबसे पहले यूपी 100 को काल करें। इसके बाद इसकी सूचना संबंधित थाने को भी दें।
सवाल -  हम घर और स्कूल में सुरक्षित रहते हैं। लेकिन बाहर हर समय भय बना रहता है। इसे कैसे दूर करें- अदिती यादव  
जवाब - आत्मबल बढ़ाएं। डर निकाल दें। सुनसान इलाके में न जाएं। अगर रास्ता कठिन है तो किसी को साथ लेकर निकलें।
सवाल - सभी जानते हैं कि हेलमेट से जीवन की रक्षा होती है, लेकिन इसे पहनकर बाइक नहीं चलाते। इसका पालन कैसे होगा - वर्षा यादव  
जवाब - कानून का पालन सभी को करना चाहिए। अभी जागरूकता की कमी है। पुलिस प्रयास कर रही है। हेलमेट सभी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।