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पढ़ाई का बनाएं नियम, सफलता जरूर मिलेगी

Published - Sat 08, Feb 2020

केवी पब्लिक स्कूल परीक्षितगढ़ में अमर उजाला की ओर से आयोजित पुलिस की पाठशाला में एसपी देहात ने रखे विचार

Meerut police ki pathshala

मेरठ। बच्चे अपनी आदत सुधार लें और पढ़ाई का नियम बना लें। यदि हम पांच प्रतिशत भी अपने में सुधार कर लेंगे तो सफलता से कोई नहीं रोक सकता। सीखने का मंत्र यह है कि हम भीड़ की तरफ न बढ़ें, खुद सीखने की कोशिश करें। पुलिस में यूनिफार्म जनता के बीच में एक विश्वास होता है। पढ़ाई के दौरान यही यूनिफार्म अनुशासन का हिस्सा है। छात्राएं खुद को मजबूत करें। आप में से बहुत बच्चे हैं जो आईपीएस बनकर इस कुर्सी पर आएंगे। पढ़कर एक अफसर बनें, तालियां जीवन भर बजेंगी। यह विचार 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी (एसपी देहात) अविनाश पांडेय ने शुक्रवार को केवी पब्लिक स्कूल परीक्षितगढ़ में आयोजित पुलिस की पाठशाला में रखे।
   एसपी देहात ने छात्रों से पहले खुद सवाल पूछे कि अमर उजाला की पुलिस की पाठशाला क्या है। स्कूल क्यों होने चाहिए। इसका छात्रों ने बखूबी जवाब दिया। एसपी देहात ने कहा कि अमर उजाला का यह अभियान सराहनीय है। पुलिस की पाठशाला का मतलब है कि छात्र पुलिस को समझ सकें। पुलिस अधिकारी कैसे बना जाता है, पुलिस क्या काम करती है। पुलिस और जनता के बीच में कैसे संबंध होने चाहिए। पुलिस को यूनिफार्म की आवश्यकता क्यों है। पुलिस में भर्ती होने की क्या प्रक्रिया है। कांस्टेबल, दरोगा, पीपीएस, और आईपीएस कैसे बना जाता है। कोई भी परेशानी हो तो लखनऊ में आधुनिक कंट्रोल रूम 112 पर सूचना दें, पुलिस पांच से 10 मिनट में पहुंचेगी। महिलाओं को यूपी 112 ने सुरक्षा दी है। साइबर अपराध से बचें, बिना जानकारी के फेसबुक, ट्वीटर पर किसी को दोस्त न बनाएं। किसी के लालच में न आएं। कक्षा 12 तक की पढ़ाई आगे का भविष्य तय कर देती है। इससे पहले एसपी देहात ने पुलिस की पाठशाला का शुभारंभ किया। चेयरमैन कमलेश कुमारी, प्रधानाचार्य डॉ. विनय गुप्ता ने एसपी देहात का स्वागत किया।

सर आप आईपीएस कैसे बने? -तनिष्का
कांस्टेबल और दरोगा भर्ती होने के लिए निर्धारित लंबाई होनी चाहिए। लिखित परीक्षा पास करने के बाद शारीरिक नापतौल और दौड़ पूरी करनी पड़ती है। मैं साढ़े 18 वर्ष की उम्र में डाक विभाग में लिपिक भर्ती हुआ। उसके बाद इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर बना। 29 साल की उम्र में आईपीएस बनकर पांचवीं नौकरी है। पढ़ाई करते-करते आईपीएस बन गया।

हमारी बहन और अन्य लड़की कैसे सुरक्षित रहें? - असीम गुप्ता
महिला अपराध रोकने के लिए पुलिस की प्राथमिकता है। पूरे जिले में 60 चार पहिया और 32 दो पहिया यूपी 112 की गाड़ियां है। 112 पर सूचना दें, पुलिस तत्काल मौके पर पहुंचकर मदद करेगी। महिला हेल्पलाइन 1090 पर भी सूचना दें, सूचना देने पर नाम गोपनीय रखा जाता है।

पुलिस बुरी होती है या अच्छी? - सुचित त्यागी
पुलिस दोनों प्रकार की होती है। पुलिस में अच्छे लोग भी शामिल हैं। यही माना जाता है कि पुलिस जिसे थाने लाती है वह अपराधी ही होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। निर्दोष को कभी जेल नहीं भेजा जाता।

हम पुलिस की वर्दी कैसे पहन सकते हैं? - सृृष्टि
पुलिस में भर्ती होने के लिए आवेदन निकलते हैं। राज्य पुलिस, अर्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस में अलग-अलग समय पर भर्तियां आती हैं। इनकी तैयारी करें। भर्ती पूरी तरह से निष्पक्ष होती है। लिखित परीक्षा पास कर दौड़ और अन्य प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है।

पुलिस कैसा व्यवहार करती है? - उज्ज्वल
जनता, महिला, बच्चों और आम आदमी से पुलिस सरल व्यवहार करती है। सूचना देने वाले की हर बात सुनी जाती है। थाने में सुनवाई नहीं होती तो सीओ, एसपी और एसएसपी को किसी भी समय कॉल कर सकते हैं। ऑफि स में आकर मिलकर समस्या बता सकते हैं।

हमारे देश में छोटे से छोटा नेता बड़े पुलिस अधिकारी पर क्यों रोब जमाता है। - कार्तिक
ऐसा नहीं है। पुलिस गांव प्रधान, पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्रियों का सम्मान करती है। तो काम नियमानुसार है उसी पर काम किया जाता है। बिना साक्ष्य और जांच पड़ताल के पुलिस कार्रवाई नहीं करती। जो लोग गलत काम करते हैं उन पर सख्त एक्शन लिया जाता है।

दुष्कर्म केस के निर्णय देरी से क्यों आते हैं?  - नवनीत
न्यायालय का आदेश मान्य होता है। साक्ष्यों के आधार पर केस चलता है। जब तक पूरी तरह से दोष सिद्ध न हो जाए तब तक सजा नहीं मिलनी चाहिए। निर्भया मामले में सुनवाई के बाद सजा जरूर मिलेगी। कई बार सामने आता है निर्दोष पकड़ा जाता है और दोषी बच जाते हैं। इसलिए देरी से निर्णय पहुंचता है।

लड़कियों के साथ छेड़छाड़ हो जाए तो क्या करें? - तनु
लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो अभियान चलाया जा रहा है। थानों में महिला डेस्क बनी हुई है। 100 नंबर या 112 पर सूचना दें पुलिस मदद करेगी। अभिभावकों, शिक्षिकों को भी जानकारी दें। पुलिस को कॉल करें, कभी घबराएं नहीं। अनजान व्यक्ति के वाहन से न आए जाएं।

अदालत में सिपाही की गवाही क्यों नहीं मानी जाती? - आकाश
ऐसा नहीं है। अदालत में सिपाही, दरोगा, इंस्पेक्टर और उच्च अधिकारियों की भी गवाही मानी जाती है। जो केस हुआ उसमें पूरी गवाही होती है। जो चश्मदीद होते हैं उनकी गवाही भी मानी जाती है। दोषी किसी भी हाल में बच नहीं सकता।

हादसा होने पर कोई सूचना दे तो क्या पुलिस उसी को थाने ले जाती है? - सलूनी
यह समझा जाता है कि यदि पुलिस को सूचना देंगे तो पुलिस उसकी को थाने ले जाती है ऐसा नहीं है। घायल को अस्पताल तक पहुंचाएं, पुलिस परेशान नहीं करेगी और ही थाने लेकर आएगी। यह सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है।