अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत यूनीक पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल में पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता
जम्मू। अमर उजाला के अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत यूनीक पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल गाडीगढ़ में बुधवार को पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्राओं ने चित्रकारी से महिला सशक्तीकरण का संदेश दिया। छात्राओं ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, भ्रूण हत्या पर रोक जैसे विषयों पर पोस्टर बनाया। वहीं दहेज उत्पीड़न जैसे मुद्दों को उठाकर महिला वर्ग के लिए सुरक्षित समाज का बुुनियादी हक बताया।
छात्राओं ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए। इससे सामाजिक कुरीतियों के बारे में नई पीढ़ी में जागरूकता आएगी। छात्राओं और महिला वर्ग के सशक्तीकरण की दिशा में यह प्रशंसनीय कार्य है। प्रतियोगिता में पायल चौधरी और मनप्रीत ने संयुक्त रूप ने पहला स्थान, नवनीत कौर और बलजीत कौर ने दूसरा स्थान और स्नेहा लखोत्रा व मानसी चौधरी ने तीसरा स्थान हासिल किया।
मैं अमर उजाला के इस कदम की प्रशंसा करती हूं। अगर ऐसे कदम उठाए जाएं तो नई पीढ़ी की छात्राओं को सशक्त किया जा सकता है। स्कूलों में इस तरह की प्रतियोगिता करवाकर विद्यार्थियों को समाज के महत्वपूर्ण विषय के बारे में जागरूक किया जा सकता है। समाज में नई चेतना जगाई जा सकती है।
-निरलिप कौर, प्रिंसिपल
यह पहल सराहनीय है। समाज में जागरूकता लाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम आगे भी होते रहने चाहिए। भगवान ने भी महिलाओं को पहला स्थान दिया है। जैसे सीता-राम, राधा-कृष्ण, गौरी-शंकर आदि। मुझे लगता है, वैसे ही समाज में भी महिलाओं को पहला स्थान मिलना चाहिए।
- नेहा चिब, को-आर्डिनेटर
एक शिक्षित महिला कई परिवारों को शिक्षा से जोड़ने का काम करती है। वर्तमान में हर क्षेत्र में महिला अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है। महिला अपनी शक्ति को भूल चुकी है। वास्तव में नारी अबला नहीं है। जो मां-बाप अपनी बेटियों को बोझ समझते हैं, उन्हें अपनी सोच बदलनी चाहिए। हमें जागरूक होना होगा।
-अबजोत कौर, छात्रा
मुझे लगता है कि ऐसे कार्यक्रम से समाज में लड़कियों के प्रति नजरिया बदला जा सकता है। लोग लड़कियों को कमजोर समझते हैं पर यह नहीं जानते कि जिम्मेदारी का बोझ पड़ने पर बेटियां ऑटो रिक्शा और ट्रेन चलाने से भी पीछे नहीं हटतीं। अंतरिक्ष तक में बेटियां पहुंच चुकी हैं।
- नवनीत कौर, छात्रा
एक शिक्षित महिला कई परिवारों को शिक्षा से जोड़ती है। लड़की अगर पढ़ी लिखी होगी, तो दो घरों में उजाला करेगी। नारी को अबला मत समझें। वह किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रह सकती। वह घर के चूल्हे-चौके से उठकर अंतरिक्ष तक का सफर तय कर सकती है। मैं चाहती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी स्कूल में हो।
-प्रिया शर्मा, छात्रा
बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। अगर बेटी नहीं होगी, तो बेटा कहां से आएगा। अपराजिता-100 मिलियन स्माइल्स मुहिम बेटियों को हक दिलवाने, लोगों को जागरूक करने में मददगार साबित हो सकती है। हिंदू धर्म में भी नारी को शक्ति का दर्जा है। मैं चाहती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी हमारे स्कूल में होने चाहिए।
- रिद्धिमा शर्मा, छात्रा
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.