एएसपी भागमल ठाकुर ने कहा कि एक शिक्षित महिला सशक्त देश का आधार होती है। इसलिए आज के समाज में बेटियों का पढ़ा-लिखा होना जरूरी है।
बिलासपुर। एएसपी भागमल ठाकुर ने कहा कि एक शिक्षित महिला सशक्त देश का आधार होती है। इसलिए आज के समाज में बेटियों का पढ़ा-लिखा होना जरूरी है। जब बेटी पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर होगी, तभी आने वाली पीढ़ी पर इसका बेहतर प्रभाव पड़ेगा। भागमल ठाकुर ने यह बात डिग्री कॉलेज बिलासपुर में अपराजिता-100 मिलियन स्माइल कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को संबोधित करते हुए कही।
यह कार्यक्रम एनएसएस यूनिट और एनसीसी आर्मी यूनिट के सौजन्य से आयोजित किया गया। इस मौके पर इंस्पेक्टर प्रियंका नेगी, कॉलेज के प्राचार्य राम कृष्ण, स्वास्थ्य शिक्षक प्रवीण शर्मा, एनएसएस प्रभारी प्रो. अपर्णा शर्मा, एनसीसी अधिकारी जय मैहलवाल, प्रो. सुरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
एएसपी ने कहा कि बेटियां खुद को इतना सशक्त करें कि कोई उन्हें हरा न सके। बेटी के पैदा होने से लेकर उसकी उम्र के हर पड़ाव के लिए सरकार ने कई तरह के सुरक्षा संबंधी कानून बनाए हैं। कई तरह की हेल्पलाइन शुरू की गई हैं जिनके जरिए आज की बेटी हर जगह खुद को सुरक्षित महसूस करती है। उन्होंने वुमन हेल्पलाइन112, शक्ति एप सहित उन सभी हेल्पलाइन के बारे में भी छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पुलिस हर समय महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है। अगर कहीं भी किसी दुर्घटना घटने की आशंका हो तो वो तुरंत पुलिस को संपर्क करें। उन्होंने बेटियों को उनके अधिकारों से अवगत करवाया। कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं लेकिन उन्हें मिलने वाले अधिकारों का दुरुपयोग न करें। अगर उनके साथ कोई घटना घटती है तो वो अपने माता-पिता और पुलिस के साथ उसे शेयर करें ताकि उससे जुड़े अपराधी को इसका दंड मिल सके। कहा कि ऐसा करने से समाज के अन्य लोगों को भी कोई गुनाह न करने का सबक मिलता है।
डीएवी स्कूल के प्रधानाचार्य महेंद्र ठाकुर ने ‘अमर उजाला’ की मुहिम की सराहना की। उन्होंने छात्राओं से आग्रह किया कि जो भी जानकारी अपराजिता के तहत उन्हें प्राप्त हुई है। उसे वो अपने निजी जीवन में उतारें और खुद को और समाज को सुरक्षित रखें।
सोशल मीडिया का सही प्रयोग करें: प्रियंका नेगी
पुलिस इंस्पेक्टर प्रियंका नेगी ने छात्राओं को सोशल मीडिया का सही प्रयोग करने के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि लड़कियां जो भी सोशल मीडिया में अकाउंट प्रयोग करें उसमें प्राइवेसी जरूर रखें। किसी के साथ भी अपने फोटो शेयर न करें। उन्होंने छात्राओं को सोशल मीडिया के दुष्परिणामों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि फेसबुक, टवीटर, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल साइटस पर सिर्फ अपने जानने वाले लोगों को ही दोस्त बनाएं। कहा कि बच्चियों के साथ अधिकतर मामले सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती करने पर ही घटित होते हैं। वहीं उन्होंने 1098, पॉक्सो एक्ट से जुड़ी जानकारी भी छात्राओं के साथ साझा की। उन्होंने कहा कि बेटियां डर के साये में न जीयें।
भारत में कोरोना वायरस का कोई खतरा नहीं: प्रवीण शर्मा
स्वास्थ्य विभाग से आए स्वास्थ्य शिक्षक प्रवीण शर्मा ने छात्राओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे बताया। वहीं उन्होंने मौके पर मौजूद छात्राओं को कोरोना वायरस के बारे में भी बताया। वहीं उन्होंने इस मौके पर इसके लक्षण और इसके बचाव के बारे में भी विस्तार से बताया। हालांकि उन्होंने बताया भारत में इस वायरस से कोई खतरा नहीं है। इस मौके पर बेटी है अनमोल, इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना, एमएचपी, विपस तथा पीसी-पीएंडडीटी एक्ट अधिनियम 1996(गर्भ में लिंग की जांच करना और भ्रूण हत्या) के बारे में विस्तार से बताया गया।
जो सिखा उसे आगे भी साझा करें छात्राएं : प्रो. अपर्णा
एनएसएस प्रभारी प्रो. अपर्णा शर्मा ने बताया कि महिलाओं को बेटियों को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आज अपराजिता कार्यक्रम में बेटियों में अर्जित की है उसका लाभ उन्हें आगे आने वाले जीवन में भी मिलेगा। उन्होंने छात्राओं से अपील की है कि जो उन्होंने आज सिखा और समझा है कि उसे वह अपने आसपास रहने वाली बेटियों और महिलाओं को भी अवगत करवाएं ताकि उन्हें भी अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी मिल सके।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.