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भदोही : अपराजिता है नारी

Published - Mon 28, Jan 2019

अपराजिता सजगता गोष्ठी

ज्ञानपुर (भदोही)। पुरुष प्रधान देश में नारी को अबला नहीं समझा जाना चाहिए, वह अपराजिता है।  एक नारी के अंदर कई पुरुषों की ताकत होती है। वह दया, धर्म और दंड तीनों की प्रतिमूर्ति है। वह परिस्थितियों के अनुसार अपना रूप धारण करना बखूबी जानती है। यह बात 24 जनवरी को काशी विश्वनाथ महिला उच्च शिक्षा संस्थान पुरेगोसाईंदासपुर में 'अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स' अभियान के तहत आयोजित सजगता गोष्ठी में छात्राओं और प्राध्यापकों ने कही। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष राजेश कुमार श्रीवास्तव ने छात्राओं को नारी सशक्तीकरण की प्रतिबद्धता की शपथ दिलाते हुए कहा कि नारी स्वत: ही सजग है। वह साक्षात रानी लक्ष्मीबाई और दुर्गा स्वरूपा हैं। वह दया, धर्म और दंड तीनों की प्रतिमूर्ति हैं। परिस्थितियों के साथ वह खुद को समायोजित करना बखूबी जानती हैं। छात्रा छवि पांडेय ने कहा कि देश और समाज के विकास में महिलाओं का अहम योगदान है। इसलिए महिला और पुरुष के बीच की खाईं भर चुकी है। नारी स्वावलंबन के कारण अब वह पुरुषों पर आश्रित नहीं हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की बदली विचारधारा का बड़ा योगदान है। छात्रा नीतू विश्वकर्मा ने कहा कि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति पूरी तरह से जागरूक हो चुकी हैं। महाविद्यालय के प्रबंधक शिवशंकर पांडेय ने भी छात्राओं को सजग रहकर आगे बढ़ने को प्रेरित किया। अनिल कुमार पांडेय, राकेश उपाध्याय, सत्यदेव पांडेय, कृष्ण मुरारी पाठक, ऋतु श्रीवास्तव आदि ने भी छात्राओं को मन लगाकर पढ़ाई करने को प्रेरित किया। (24-1-19)