126 महिलाओं और छात्राओं को ताईक्वांडो एक्सपर्ट ने मुसीबत के समय बचाव के दिए टिप्स
दाड़लाघाट (सोलन)। महिलाएं शिक्षा के हथियार से खुद को सशक्त बना सकतीं है। बेटियों को भी बेटों की तरह पढ़ा लिखा कर आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। यह बात उद्यमिता संस्थान दाड़लाघाट में आयोजित अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम दौरान यूको बैंक शाखा प्रबंधक इंदु शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि बेटियां साक्षर होंगी, तभी महिलाओं के लिए बने कानूनों और अधिकारों को जान पाएंगी। पीड़ित महिलाओं की आवाज बनकर उन्हें अत्याचार से मुक्त कराएंगी।
उन्होंने छात्राओं को शिक्षा ऋण, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा, जीवन ज्योति, अटल पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में 126 महिलाओं और छात्राओं ने भाग लिया। इस दौरान अंबुजा सीमेंट कंपनी के विधिक सलाहकार वीरेंद्र कुमार ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने छात्राओं को महिलाओं के सांविधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी दी। ताईक्वांडो एक्सपर्ट देशराज ठाकुर ने छात्राओं को पेन, किताब, हेयर पिन जैसी सामान्य चीजों को मुसीबत के समय घातक हथियार में तब्दील कर दुश्मन को गंभीर चोट पहुंचाने के बेहतरीन टिप्स दिए। उन्होंने बताया कि हौसले से बढ़कर कोई हथियार नहीं होता है।
स्वास्थ्य विभाग से आशा वर्कर सुनीता और निर्मला ने छात्राओं को पर्सनल हाइजीन व खानपान संबंधी जानकारी दी गई। उन्होंने छात्राओं से जंक फूड की जगह अधिक फल सब्जियां और कम तला भोजन लेने पर बल दिया। पुलिस विभाग से मुख्य आरक्षी राजेश पाल ने छात्राओं को महिला सुरक्षा पर विभाग से संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में छात्रा तारा, दीक्षा, फरहीन ने महिला सशक्तीकरण पर अपने विचार साझा किए। इस मौके पर कार्यवाहक प्रधानाचार्य जय सिंह, ट्रेनर सोनू शर्मा, मोनिका चंदेल, चंद्रकांता, मुनीष वर्मा, सुनील कुमार, राकेश कुमार मौजूद रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.