राज्य स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता के प्रतिभागियों ने संकल्प पत्र भरे
बागेश्वर। पुरुषों को अपनी सोच बदलनी होगी, तभी महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर रोक लग सकेगी। यह बात अमर उजाला के ‘अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स’ अभियान के शुभारंभ पर जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कही। अभियान के तहत बागेश्वर में 17वीं राज्य स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता के प्रतिभागियों ने संकल्प पत्र भरे। इस अवसर पर प्रतिभागियों के साथ ही आयोजकों, खेल प्रशिक्षकों और अभिभावकों ने नारी गरिमा बनाए रखने की शपथ ली।
सोमवार सुबह 10 बजे पिंडारी रोड स्थित खेल विभाग के परिसर में राज्य स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता के बीच ‘अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स’ अभियान का बागेश्वर में शुभारंभ किया गया। इस दौरान प्रतिभागी बालिकाओं के साथ अमर उजाला ने अभियान का बैनर और पोस्टर लांच किया। खिलाड़ियों को अभियान की जानकारी के साथ ही इसके विजन के बारे में बताया गया। दोपहर दो बजे ब्रेक के बीच प्रतियोगिता स्थल पर मौजूद लगभग 150 लोगों को नारी गरिमा की शपथ दिलाई गई। इसमें खिलाड़ियों के साथ ही अभिभावक, प्रशिक्षक, प्रबंधक, खेल विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के दौरान सुबह 10 बजे से लेकर शाम छह बजे तक प्रतिभागियों द्वारा शपथ पत्र भरने का सिलसिला चलता रहा। खिलाड़ियों ने अपने मुकाबलों से समय निकाल शपथ पत्र भरा। मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने समाज में महिला हिंसा की तस्वीर पर चिंता जताते हुए साझा मुहिम की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अमर उजाला के अभियान की सराहना की और खिलाड़ियों के साथ ही क्षेत्रवासियों से अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की। जिला क्रीड़ा अधिकारी विनोद वल्दिया ने भी अमर उजाला के अभियान को सराहनीय बताया। इस दौरान उप क्रीड़ा अधिकारी जुबैद अहमद, जिला प्रशिक्षक कमलेश तिवारी, किरन नेगी, अनीता पांडे, ललित नेगी, नीरज पांडे, हरीश सोनी, अनिल कार्की आदि मौजूद थे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.