अमर उजाला संवाद में महिला वकीलों और विद्वानों ने ‘निर्भया के दोषियों को फांसी पर देरी के क्या मायने’ विषय पर रखी राय
देहरादून। निर्भया कांड के दोषी फांसी टालने के प्रपंच भले ही कानून के दायरे में रच रहे हैं, लेकिन इनसे अन्य अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। अब आठ साल बाद एक अपराधी का घटना के वक्त नाबालिग होने का शिगूफा छोड़ा जा रहा है। इससे संदेश जा रहा है कि किस तरह अपराधी कानून का फायदा उठा सकते हैं? ‘निर्भया के दोषियों को फांसी पर देरी के क्या मायने’ विषय पर विचार रखने बृहस्पतिवार को अमर उजाला संवाद में आईं महिला अधिवक्ताओं और अन्य विद्वान महिलाओं ने बेबाकी से अपनी राय रखी।
महिला वकीलों ने कहा कि फांसी की सजा पाए अपराधियों के लिए दया याचिका दायर करने को निर्धारित समय होना चाहिए। यदि दोष सिद्ध अपराधी को उच्च न्यायालय में अपील के लिए दो माह का समय मिलता है तो फांसी जैसे मामले में भी कुछ इसी तरह से समयसीमा होनी चाहिए।
वक्ताओं ने कहा भले ही सौ अपराधी छूट जाएं मगर एक भी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए, इसी थीम को ध्यान में रखकर हमारा कानून गढ़ा है। लेकिन, निर्भया के मामले में तो सब साफ हो चुका है। फिर उन्हें क्यों मौका दिया जा रहा है। संवाद में एडवोकेट अल्पना जदली, चाइल्ड हेल्पलाइन से दीपिका पंवार, लक्ष्मी बिष्ट, सुमन काला, एडवोकेट शिखा कौशल, लक्ष्मी प्रभा, शशि वर्मा, नेहा केशला, हिना, माला वालिया, दिशा अहलूवालिया, समाज सेविका साधना शर्मा, एडवोकेट मुसारत रेशमा, गोरखाली सुधार सभा से प्रभा शाह, एडवोकेट मनीषा दुसेजा और शैलजा ने विचार रखे।
कानून में बदलाव हो, मगर इसे हाथ में नहीं लेना चाहिए
न्याय प्रक्रिया में देरी पर वक्ताओं ने पुराने कानूनों को तो जिम्मेदार ठहराया ही पिछले दिनों हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर को भी गलत ठहराया। कहा, भले ही निर्भया के मामले में कानून से विश्वास उठ रहा है लेकिन, हैदराबाद पुलिस का कारनामा भी केवल क्षणभर के लिए संतोष देने वाला है। अदालत में कोई भी मुकदमा पुलिस की विवेचना पर आधारित होता है। उसी पर दोषियों को सजा दी जाती है। लिहाजा, कानून में बदलाव होना चाहिए। न कानून को इस तरह हाथ में लिया जाना चाहिए। गोरखाली सुधार सभा की प्रभा शाह ने बताया कि हमारा कानून लचीला होने के कारण कई बार आंखों देखा अपराधी भी छूट जाता है। कानून को सुबूत चाहिए होते हैं और प्रभावशाली लोग उन्हें मिटाना और खरीदना दोनों जानते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.