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दुष्कर्म एक सामाजिक बीमारी, दोषियों को जल्द से जल्द दी जाए कड़ी सजा

Published - Sun 09, Feb 2020

निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा होने के बावजूद कानूनी अड़चनों और अधिवक्ताओं द्वारा डाली जा रही याचिकाओं से पीड़िता के मां-बाप ही नहीं बल्कि आम नागरिक और प्रबुद्ध वर्ग भी परेशान हैं।

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गाजियाबाद। निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा होने के बावजूद कानूनी अड़चनों और अधिवक्ताओं द्वारा डाली जा रही याचिकाओं से पीड़िता के मां-बाप ही नहीं बल्कि आम नागरिक और प्रबुद्ध वर्ग भी परेशान हैं। क्योंकि देश का हर नागरिक चाहता है कि दुष्कर्म करने वाले दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए। अमर उजाला ने दोषियों को फांसी दिए जाने में देरी पर महिला चिकित्सकों के साथ संवाद आयोजित किया। इस दौरान डॉक्टरों का कहना था कि अनावश्यक रूप से निर्भया के दोषियों को बचाए जाने की कोशिश की जा रही है। उनके अधिवक्ताओं के प्रति रोष प्रकट किया कि निजी स्वार्थ के चलते देश की जन भावनाओं को नहीं समझ रहे हैं और अपनी प्रसिद्धि के चक्कर में दिन प्रतिदिन मामले को घसीट रहे हैं। सभी डॉक्टरों का कहना था कि बिना विलंब किए दोषियों को फांसी दी जाए। यह भी कहना है था कि आने वाले समय में इस तरह के अपराध को रोकने के लिए बहुत जरूरी है कि बेटों की मानसिकता में भी बदलाव लाया जाए। ऐसे अपराधियों का असाध्य रोग की तरह खात्मा किया जाए।

  • निर्भया मामला हमारे देश में असाध्य रोग की तरह हो गया है सजा हो जाने के बावजूद दोषियों को फांसी नहीं दी जा रही है। कहीं ना कहीं यह हमारे लचर कानून की सबसे बड़ी खामी है। जिस तरह से असाध्य रोग का डॉक्टर इलाज करता है। उसी तरह से इस तरह के मामलों में तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए । - डॉ. राशि अग्रवाल, कैंसर रोग विशेषज्ञ
  •  निर्भया मामले में फांसी की सजा हो चुकी है तो इसे कानूनी पचड़े में लटकाने के बजाए दोषियों को तत्काल सजा दी जाए और जुवेनाइल को भी सख्त से सख्त सजा दी जाए। क्योंकि वही अपराध जुवेनाइल भी करता है जो बालिग करता है। - डॉ. शालिनी ओझा, एमएस सीएचसी डासना
  • निर्भया हमारी बेटी थी। उसके साथ जब अत्याचार हुआ तो पूरा देश खड़ा हुआ लेकिन क्रिमिनलों की पहचान के बावजूद उन्हें आज तक सजा नहीं मिल पाई, इससे बड़ी कानून की विडंबना और क्या होगी। मामला 7 साल तक लटका रहा, अब बिना किसी देरी के तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिए। - डॉ अर्चना वर्मा, गायकोलॉजिस्ट
  • कोई आदमी खुलेआम अपराध करता है और उसे हम कानून के पचड़े में लटका देते हैं। याचिकाएं डाली जा रही हैं, चार बार रिफ्यूज होने के बावजूद अभी तक सजा नहीं दी जा सकी है। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। अगर चौथे दोषी का मामला लंबित है तो तीन को फांसी दे दी जानी चाहिए। - डॉ अर्चना शर्मा, डायरेक्टर गणेश अस्पताल
  • हर दुष्कर्म करने वाले को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। मगर कुछ वकील अपने फायदे के लिए दोषियों के सलाहकार बने हुए हैं। इससे साक्ष्य जुटाने वाली पुलिस फ्रस्टेट हो रही है। निर्भया की मां खून के आंसू रो रही हैं। जल्द से जल्द इन्हें फांसी दे देनी चाहिए। - डॉ. दीपा त्यागी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महिला अस्पताल
  • निर्भया कांड में जो भी दोषी हैं उनका मानसिक स्तर इतना अधिक नहीं है कि वह कानूनी फायदा उठाएं, वकील अपने नाम और फायदे के चक्कर में मामले को लंबा खींच रहे हैं और दोषियों की मां यह कह रही है कि फांसी नहीं होगी। यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। - डॉ विदुषी, त्वचा रोग विशेषज्ञ
  • अन्य देशों में किसी महिला या बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना होती है तो उसे कठोर दंड दिया जाता है। हमारे देश में भी सख्त से सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए। ये इस देश की विडंबना है कि सात साल बाद भी देरी पर देरी हो रही है। कानून में बदलाव की जरूरत है। - डॉ. वाणी पुरी सचिव, आईएमए
  • सात साल से निर्भया का मामला लंबित है। अब तक तो सिविल के मुकदमे का फैसला हो जाता है। अब बहुत सख्त जरूरत है कि कानून में बदलाव किया जाए कि दुष्कर्म के किसी भी मामले में जितनी जल्दी हो सके दोषी कोसजा मिले। - डॉ. सीमा वार्ष्णेय, महिला रोग विशेषज्ञ