अमर उजाला कार्यालय में हुआ संवाद, निर्भया को न्याय में देरी पर महिलाओं ने रखे विचार
मेरठ। निर्भया को न्याय मिलने में हो रही देरी उसके परिजनों की पीड़ा बढ़ा रही है। वहीं, समाज में अपराध बढ़ रहा है। दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध में सजा मिलने में सात साल से अधिक का वक्त लग रहा है। यदि निर्भया को समय पर न्याय मिल जाता तो दूसरी महिलाओं के साथ आपराधिक वारदातें नहीं होतीं और साथ ही घृणित मानसिकता वालों को सबक मिलता। सरकार को महिलाओं के प्रति होने वाले हिंसक अपराधों में त्वरित सुनवाई, न्याय और सजा की व्यवस्था और भी गंभीरता से लागू करनी चाहिए। निर्भया को न्याय में हो रही देरी पर शहर की महिलाओं ने विचार रखे। इस संबंध में बृहस्पतिवार कोअमर उजाला कार्यालय में संवाद का आयोजन हुआ।
महिलाओं के विचार:
न्याय में देरी से बढ़ते महिला अपराध
निर्भया को न्याय मिलने में देरी का परिणाम ही तेलंगाना कांड है। यदि निर्भया के दोषियों को समय पर मृत्युदंड मिल जाता तो समाज में एक भय व्याप्त होता। इससे सबक मिलता कि यदि ऐसा घिनौना कृत्य किया तो उनका हाल भी निर्भया के दोषियों जैसा होगा। -डॉ. मृदुला शर्मा, प्राचार्या इस्माईल नेशनल इंटर कॉलेज एल ब्लॉक शास्त्रीनगर
त्वरित न्याय के लिए कानून बने
कानून को सही तरह से लागू किया जाए। ऐसे मामलों में त्वरित न्याय के लिए कानून का सख्ती से पालन किया जाए। क्योंकि न्याय में देरी होने का मतलब अपराध को बढ़ावा देना है। पीड़िताओं को सामाजिक संरक्षण भी प्रदान किए जाने की जरूरत है। -संजना रस्तोगी, समाजसेवी
कानून में लचीलापन नहीं होना चाहिए
निर्भया को न्याय मिलने में देरी कानून के लचीलेपन को दर्शाती है। ऐसे अपराधों में कानून में किसी तरह का लचीलापन नहीं होना चाहिए। न्याय देरी होने से दूसरे अपराधियों का दुस्साहस बढ़ता है और पीड़ितों का हौसला टूटता है। निर्भया के स में भी यही हो रहा है। -शशिबाला शर्मा, शिक्षिका मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल
न्याय में देरी से दुस्साहस बढ़ता है
न्याय में देरी होने से गलत काम करने के लिए दुस्साहस बढ़ता है। आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के लिए यह अवसर प्रदान करने सरीखा है। उन्हें लगता है वेे चाहे जो गलत काम करें, उन्हें सजा नहीं मिलेगी। निर्भया के न्याय में देरी से दूसरे लोगों का दुस्साहस बढ़ता है। -शिखा सिंघल, वार्ड 48 पार्षद
न्याय में देरी एकदम गलत
सात वर्षों से निर्भया की मां अपनी बेटी के लिए न्याय की आस में भटक रही हैं। लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। समाज में महिला सशक्तीकरण और महिला सम्मान की छवि स्थापित करनी है तो निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए। -डॉ. संगीता त्यागी, फिजियोथेरेपिस्ट
पुलिस सपोर्ट करे
पुलिस-प्रशासन को महिला सुरक्षा के प्रति सजग होना पड़ेगा। तभी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध पर रोक लगेगी। महिलाओं को पुलिस का पूरा सपोर्ट मिलना जरूरी है। जिससे वे शिकायत लेकर नि:संकोच उसके पास जा सकें । -डिंपल चौधरी, वार्ड 22 पार्षद
पुलिस हो सक्रिय
महिलाओं के प्रति अपराध लगातार बढ़ रहा है। इस संबंध में समाज को स्वयं आवाज उठानी होगी। पुलिस का सक्रिय होना भी बहुत जरूरी है। इसके बाद ही अपराध रुक सकेगा। -ममता जैन, सचिव कैविट्स क्लब
समाज के साथ स्वयं हों जागरूक
अपराधों पर रोकथाम के लिए महिलाओं को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। अपराध पर चुप न रहें बल्कि अपनी बात कहें। जब हम आवाज उठाएंगे तो अपराध पर स्वयं रोक लगेगी। -निशि मित्तल, उपाध्यक्ष कैविट्स क्लब
लड़कों को भी संस्कार दें
समाज में महिलाओं के प्रति जो अपराध बढ़ रहा है, उसे देखते हुए लड़कों को भी शिक्षित करना जरूरी है। घरों में केवल बेटियों को ही संस्कारों के पाठ न पढ़ाएं, बल्कि बेटों को भी संस्कारों की शिक्षा दी जाए। -डॉ. आदेश बाला, पूर्व प्राचार्या कनोहर लाल कॉलेज
स्वयं बढ़ाने होंगे कदम
तुलसीदास सदियों पहले अपनी कलम से समाज में महिलाओं की दीनहीन दशा पर लिख चुके हैं। आज भी महिलाओं की वहीं दशा है। यदि महिला अपराधों पर अंकुश लगाना है, तो महिलाओं को स्वयं सजग होकर कदम बढ़ाने होंगे। -सुधा भारद्वाज, शिक्षिका कृष्णा पब्लिक स्कूल
लड़कियों को दें अधिकारों की जानकारी
लड़कियों को केवल अक्षरज्ञान देने से उनके प्रति अपराध कम नहीं होगा। उन्हें अधिकारों के प्रति सजग और जागरूक करना भी जरूरी है। इससे लड़कियां अपराध और आपराधिक प्रवृत्ति वालों से निपटने में सक्षम होंगी। -डॉ. रेखा दीक्षित, कोआर्डिनेटर कृष्णा पब्लिक स्कूल
संयुक्त परिवारों की प्रथा लौटे
समाज में बढ़ रहे महिला अपराध की बड़ी वजह बच्चों का एकाकीपन है। बच्चा सारा दिन घर पर अकेला रहता है। माता-पिता उस पर ध्यान नहीं देते हैं। इसकी वजह से बच्चा कब गलत रास्ते पर निकल पड़ता है पता नहीं चलता। संयुक्त परिवारों की प्रथा को पुन: समाज में स्थापित करना होगा। -मोना सिंह, शिक्षिका जीजीआईसी हापुड़ रोड
बेटा-बेटी को टोकना जरूरी
समाज से अगर महिलाओं के प्रति अपराध कम करना है तो बेटों को भी शिक्षित करें। उन्हें संस्कार सिखाएं। बेटों को उनकी गलती पर टोका जाए और सजा दी जाए। इसके बाद ही हम बेटियों को सुरक्षित और बेहतर समाज दे पाएंगे। -सोनम चौधरी, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज
स्त्री-पुरुष का भेद मिटाया जाए
सोशल रिफार्म थीम पर काम करके ही समाज में महिलाओं को सुरक्षित माहौल दिया जा सकेगा। स्त्री-पुरुष का भेद मिटाया जाए। बेटों के साथ बेटियों को भी बराबरी का दर्जा दिया जाए। -डॉ. निधि शर्मा, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज
अपराधियों को बचाना भी अपराध
ज्यादातर अपराधियों के माता-पिता अशिक्षित होते हैं इसलिए बच्चे वही सीखते हैं जो वे सिखाते हैं। बच्चों को ही नहीं माता-पिता को भी शिक्षित होना जरूरी है। अपराधियों को बार-बार बचाना भी अपराध है। -मीरा मांगलिक, शिक्षिका मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल
सजा का समय तय हो
महिलाओं के प्रति हिंसक अपराध में सजा तय होनी चाहिए। जल्द से जल्द सजा दी जाए। साथ ही ऐसे अपराधियों को मुकदमा लड़ने के लिए वकील करने का हक भी नहीं होना चाहिए। इसके लिए सरकार कानून बनाए। -डॉ. रजनी यादव, केएमसी अस्पताल
दया याचिका का अधिकार खत्म किया जाए
समय पर न्याय नहीं मिलने से निराशा होती है। ऐसे अपराधियों को दया याचिका दाखिल करने और दया प्रदान किए जाने का प्रावधान नहीं होना चाहिए। जिससे ऐसे अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाए जा सके। जिससे निर्भया की मां जैसी दूसरी पीड़ितों को भटकना न पड़े। -डॉ. नीरा तोमर, प्रिंसिपल मल्हू सिंह कन्या इंटर कॉलेज
घृणित मानसिकता को पहचानें और इलाज कराएं
महिलाओं के प्रति जघन्य अपराधों का प्रमुख कारण घृणित मानसिकता है। जितनी आवश्यकता ऐसे अपराधों को रोकने एवं पीड़िताओं को समय पर न्याय दिलाने की है, उतनी ही जरूरत ऐसी मानसिकता वाले लोगों को इलाज की है। इनकी काउंसिलिंग कराकर सही राह दिखानी होगी। -डॉ. मेघा सरोहा, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज
बेटी को ऊंची आवाज, बेटे को नीची निगाह की सीख दें
बेटी को अपराध के खिलाफ आवाज ऊंची करना और बेटों को महिलाओं के सम्मान में आंखें नीचे रखने का संदेश देना होगा। जब भी अपने बेटे को खोया-खोया, चिड़चिड़ा, पढ़ाई में मन न लगना, आंखों के नीचे काले घेरे, भूख न लगने जैसी स्थिति में देखें तो उसका इलाज कराएं। क्या पता आपका बेटा किसी गलत संगत का शिकार हो। यही मानसिकता दुष्कर्म के आरोपियों को जन्म देती है। हमेशा बेटी और बेटों दोनों को समझाएं, उनकी गतिविधियों को नजरअंदाज न करें। स्कूलों में सेक्स एजूकेशन को बढ़ावा दिया जाए। समाज में पीड़िताओं को पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। -डॉ. कशिका जैन, मनोवैज्ञानिक
दुष्कर्म पीड़िताओं को मिले त्वरित न्याय
दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय मिलने में देरी नहीं होना चाहिए। ऐसे अपराधियों को सख्त सजा मिले। सरकारी संरक्षण खत्म किया जाना चाहिए। महिलाओं को पूरी सुरक्षा दी जाए। जब एक को सजा मिलेगी तो दूसरा अपराध करने से डरेगा। -सुनीता वर्मा, महापौर
दया याचिका की व्यवस्था समाप्त हो
महिला अपराधों पर हमें अपनी भूमिका भी समाज में तय करनी होगी। बच्चों से खुलकर बात करें। महिला सशक्तिकरण के नाम पर हमें अपराध पर रोक लगाने की दिशा में भी काम करना होगा। न्यायिक प्रक्रिया का सरल होना जरूरी है। दुष्कर्म जैसे घिनौने अपराध में दया याचिका का प्रावधान खत्म हो। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। फास्ट ट्रैक कोर्ट का पूरा उपयोग किया जाए। -चेतना शर्मा, एडवोकेट
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.