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अपराधियों में खौफ के लिए कानून में बदलाव जरूरी

Published - Mon 10, Feb 2020

शिक्षक बोले - जिन दरिंदों ने अमानवीयता की, उनके मानवाधिकारों की चिंता क्यों

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आगरा। निर्भया के दरिंदों की फांसी टलती जा रही है, इससे अपराधियों का दुस्साहस बढ़ रहा है, उन दुष्कर्मियों के मानवाधिकार की चिंता की जा रही है जिनका कृत्य अमानवीय है, इससे यही संदेश यही जा रहा है कि इस देश में कुछ भी जुर्म कर लो, कानून में बचने का रास्ता मिल ही जाएगा ... शिक्षकों का कहना है कि अब बहुत हो चुका, कानून में संशोधन होना चाहिए।
अपराजिता अभियान के तहत शनिवार को अमर उजाला कार्यालय में आयोजित संवाद कार्यक्रम में शिक्षकों ने कहा कि दरिंदे फांसी से बचने के लिए तिकड़म कर रहे हैं, यह पूरा देश जान रहा है, सरकार को भी जनभावनाओं को समझना चाहिए। अगर दरिंदे कानून की किसी खामी का सहारा लेकर बच रहे हैं तो उस खामी को खत्म कर नया कानून बना देना चाहिए। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा तभी सार्थक होगा जब बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी।

कानून ऐसा हो जिसमें जल्द सजा मिले
फांसी में देरी से गलत संदेश जा रहा है। अपराधियों में खौफ कैसे होगा? कानून ऐसा हो जिसमें सजा जल्दी मिले - डॉ. केके पचौरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, दाऊदयाल संस्थान

फास्ट ट्रैक कोर्ट बढ़ाईं जाएं
फास्ट ट्रैक कोर्ट बढ़ाईं जाएं, फैसले तेजी से हों, न्याय में देरी अन्याय के समान है, संशोधन करके कानून को ऐसा बनाया जाए जिसमें अपराधियों को सजा टालने का मौका न मिले। - डॉ. संजीव शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, दाऊदयाल संस्थान

अब देरी न की जाए
दरिंदों की फांसी में देरी से निर्भया के परिवार पर क्या गुजर रही होगी, वे लोग सात साल से संघर्ष कर रहे हैं, अब देरी न की जाए। - विधि सक्सेना, शिक्षिका, होली पब्लिक स्कूल

पीड़ितों के बारे में सोचना होगा
सरकार और अदालतों को पीड़ितों के बारे में जरूर सोचना चाहिए, यह ऐसा केस है जिसमें सजा दिलाने के लिए पूरा देश आंदोलित हुआ था। - सीमा तिवारी, शिक्षिका, होली पब्लिक स्कूल

सजा न हीं भय कैसे होगा
बेटियां खुद को सुरक्षित कैसे महसूस करेंगी? अगर दरिंदों को सजा नहीं होगी तो अपराधियों में भय कैसे होगा? - अपर्णा शर्मा, प्रधानाचार्या, होली पब्लिक स्कूल

अपराधियों को जल्द सजा मिले
निर्भया कांड के बाद भी दुष्कर्म के मामले कम नहीं हुए। जरूरी है कि अपराधियों को जल्दी सजा मिले जिससे उनमें भय पैदा हो। - मोना काबरा, शिक्षिका, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल

कानून में बदलाव का वक्त
जिस केस में सजा के लिए पूरे देश से आवाज उठी, उसमें देरी हो रही है तो अन्य घटनाओं का क्या होगा? कानून में बदलाव का वक्त आ चुका है। - बबिता रानी, शिक्षिका, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल

कानून का सहारा ले रहे दरिंदे
सुप्रीम कोर्ट तक ने जिन दरिंदों को सजा दी है, उन्हें फांसी नहीं दी जा रही, क्योंकि वे कानून का सहारा ले रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जो दरिंदों को बचाए, उस कानून को बदल दे। - डॉ. सुशील गुप्ता, अध्यक्ष अप्सा

जल्द सजा से मिलेगा हौसला
अगर दुष्कर्म के मामलों में जल्दी सजा मिलेगी तो लड़कियों को हौसला मिलेगा, वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी। इस केस में देरी ठीक नहीं है, साल साल पहले ही हो चुके हैं। - डॉ. स्वाति माथुर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेठ पदमचंद जैन संस्थान

तारीख पर तारीख ठीक नहीं
तारीख पर तारीख ठीक नहीं, फांसी की सजा तो तभी मानी जाएगी जब फांसी दी जाए। सजा में देरी होगी तो अपराधियों का दुस्साहस बढ़ेगा। - डॉ. रुचिरा प्रसाद, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेठ पदमचंद जैन संस्थान

दरिंदे कानून से खेल रहे
दरिंदे कानून से खेल रहे हैं, सरकार कुछ कर नहीं रही, इतने कानून में संशोधन किए गए तो फिर यह कैसे बचा हुआ है। ऐसा कानून बने जिससे दरिंदों को जल्द से जल्द सजा मिले। - डॉ. श्वेता चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेठ पदमचंद जैन संस्थान

मानवाधिकार मानवों के लिए
मानवाधिार मानवों के लिए होते हैं, इन दरिंदों के कृत्य ने तो इंसानियत को शर्मसार किया है, इनके लिए दया याचिका कैसी? इन्हें सजा में देरी करना अन्याय जैसा है। - डॉ. सीमा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, सेठ पदमचंद जैन संस्थान

न्याय की समयसीमा तय हो
निर्भया केस को सात साल हो गए। आगरा में भी दुष्कर्म की कई घटनाएं हुई हैं। कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है लेकिन यह मिली कितने अपराधियों को है। कानून में बदलाव को न्याय मिलने की समयसीमा तय की जाए। - डॉ. प्रवीन कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, दाऊदयाल संस्थान

सजा देने की प्रक्रिया में संशोधन हो
दुष्कर्म की घटनाएं अन्य देशों में भी होती हैं, लेकिन वहां सजा जल्दी मिलती है। हमें उन देशों से सीख लेनी चाहिए। सजा के लिए समय सीमा तय हो। सजा दिए जाने की प्रक्रिया में संशोधन होना चाहिए, ऐसी कोई गुंजाइश ही न छोड़ी जाए जिसका अपराधी फायदा उठा सकें। - संजय तोमर, अध्यक्ष, नप्सा