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ऐसा कानून बने जो दरिंदों को दे जल्द सजा

Published - Sat 08, Feb 2020

अपराजिता के तहत संवाद कार्यक्रम में महिला अधिवक्ताओं ने रखे विचार

aparajita sanwad

गाजियाबाद। निर्भया के दरिंदों को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा हो चुकी है। राष्ट्रपति ने भी दया याचिका को खारिज कर दिया है। उसके बाद भी दोषियों की फांसी में देरी की जा रहा है। फांसी में देरी से इस तरह के कृत्य करने वाले लोगों के हौसले बुलंद होते हैं। दोष सिद्ध होते ही फांसी की सजा होनी चाहिए, जिससे इस तरह की घटना करने के बारे में कोई सोच तक न सके। अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत अमर उजाला कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित संवाद कार्यक्रम में महिला अधिवक्ताओं ने निर्भया के दरिंदों को फांसी में हो रही देरी पर रोष जाहिर किया।

कानून में लचरता है, जिसका बचाव पक्ष लाभ ले जाता है। दया याचिका लगाई जा रही है। इसमें विलंब नहीं होना चाहिए। पीड़ित परिवार का मनोबल टूट रहा है। महिलाएं आहत हैं। अधिवक्ता बिना हस्ताक्षर कराए दया याचिका डाल रहे हैं। न्याय देने की प्रक्रिया को सुगम, सरल बनाया जाए। - सिंधू प्रभा झा

इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। किसी ने एसिड अटैक कर दिया तो किसी को जला दिया जाता है। निर्भया के साथ हुई हैवानियत को सात साल हो चुके हैं। ऐसी घटना की सजा में देरी से बहुत गलत संदेश जा रहा है। केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाए, जिससे दरिंदों को सजा मिलने में देरी न हो। - रितु सिंह

कानून का दुरुपयोग हो रहा है। सरकार से सवाल है कि फांसी में देरी क्यों हो रही है। इससे शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता है कि दरिंदे कानून का सहारा लेकर फांसी को टाल रहे हैं। समझ नहीं आता कि ऐसे दरिंदों के केस वकील लड़ते क्यों हैं। इन्हें दरिंदगी के कुछ समय बाद ही फांसी होनी चाहिए थी। - सुनीता वर्मा

आरोपी जेल में रहकर तिल-तिल मरेंगे। दरिंदों की फांसी को टालने के लिए जो लोग उनकी मदद कर रहे हैं, कानूनी दांव पेंच आजमा रहे हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। इस देरी से लोगों का कानून पर भरोसा कम हो रहा है। दरिंदों का दुस्साहस बढ़ रहा है, अब और देरी न हो। राजनैतिक लोग उन्हें बचाने का काम कर रहे हैं। - वंदना सिंह

जहां न्यायिक प्रक्रिया में देरी हो गई, वहां न्याय नहीं मिल सकता है। एक जघन्य अपराध हुआ, कानून में बदलाव आना चाहिए। सात वर्ष तक इंतजार क्यों किया गया। सिर्फ निर्भया का मामला नहीं है, दुष्कर्म में पिछले काफी समय से फांसी की सजा नहीं हुई है। ऐसे लोगों को ऑन द स्पॉट सजा दी जानी चाहिए। - सारिका त्यागी

फांसी एक मुक्ति है। दोषियों को ऐसी सजा सुनाई जाए जो वह तिल-तिल मरें। फांसी की सजा हो चुकी है तो उसमें देरी नहीं करनी चाहिए। दोषियों को तत्काल फांसी दी जाए। दरिंदे कानून का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, यह सबको पता है, पर सब चुप बैठे हैं। ऐसे निर्भयाओं को इंसाफ कैसे मिलेगा। - अर्चना त्यागी

इस तरह के जघन्य अपराध करने वाले आरोपियों को सजा में इतनी देरी नहीं लगानी चाहिए। सरकार को एक टाइम बना देना चाहिए। उसके बाद दोषी को एक दिन का समय नहीं दिया जाना चाहिए। अधिवक्ता भी ऐसे केस में मदद न करें। ऐसे मामलों का अधिक से अधिक छह महीने में निस्तारण हो जाना चाहिए। - अनमोल शर्मा

छत पर जाने के लिए सीढ़ी की आवश्यकता होती है। केस सही रफ्तार से चला लेकिन अब फांसी देने में देरी हो रही है। जब दोष सिद्ध हो गया तो अब दया याचिका का कोई प्रावधान नहीं होना चाहिए। फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से जल्द सजा मिलनी चाहिए। कानून में बदलाव की आवश्यकता है। - शबनम खान

जो दरिंदों को सजा से बचाए, वह कानून लचर ही नहीं, लाचार भी कहा जाएगा। जरूरत है कि कानून बदला जाए, दरिंदों को सजा मिले। निर्भया के दोषियों को फांसी मिले, सबको इसका इंतजार है लेकिन वहां तारीख पर तारीख मिल रही हैं। इससे गलत संदेश जा रहा है। सरकार को भी इस पर सोचना चाहिए। - विधाता