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महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

कुछ तो है जो मैं यहां हूं और तुम वहां : अनुपमा

Published - Thu 16, May 2019

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा, हर रूप में महिला का श्रेष्ठ स्थान

लखनऊ। 'महिलाओं में विशेष बात होती है। पुरुषों में दृष्टि होती है तो महिलाओं में अंतर्दृष्टि होती है। श्रीरामचंद्र को भी सीता ने शक्ति दी थी। भगवान कृष्ण को राधा ने शक्ति दी थी। जब महिलाएं कहीं भी आगे बढ़ती हैं तो कहते हैं कि कुछ तो जरूर होगा इसमें...। सही है, कुछ तो है हममें जो घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए आगे बढ़ी। एक मुकाम हासिल किया। कुछ तो है जो मैं यहां हूं और तुम वहां हो।Ó ये बातें प्रदेश की बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने बेटियों से कही। उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों और संस्कृति में नारी को हर रूप में श्रेष्ठ स्थान दिया गया है। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला भी रह चुकी हैं। कई बार रही हैं। पर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो वर्ष में महिला सशक्तीकरण के लिए जितना काम किया है, वह बेमिसाल है।

बेटियां कमजोर नहीं होतीं
अनुपमा ने कहा, बेटियों ने अपनी मेहनत से यह मिथक तो बहुत पहले ही तोड़ दिया है कि वे कमजोर होती हैं। जरूरत बस इस बात की है,  
मत रोको, उसे गिरने दो, मत थामो उसे बढऩे दो
एक दिन आसमां को भी छू लेगी, बस थोड़ा उडऩे दो।
रुक-रुक कर चलना, गिर-गिर कर संभलना,
इसी तरह धीरे से एक दिन अपने आसुंओं को पोंछकर आसमां की बुलंदियों को छू लेना
यही है नारी शक्ति की कहानी।।

मोदी ने नारी सशक्तीकरण के लिए कई काम किए
जायसवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत काम किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम लिए बिना महिला सशक्तीकरण की कहानी पूरी नहीं होगी। महिला के हाथ में रक्षा मंत्री की कमान थी, तभी वह पुलवामा के शहीदों के परिवारों का दर्द महसूस कर पाईं। महिला होने के नाते ही मोदी की हुंकार 'घुसकर मारेंगे' को समझते हुए इसे  कर दिखाया।

'अपराजिता' की मुहिम ठहरे नहीं
अनुपमा ने कहा, नारीशक्ति को 'अपराजिता' नाम देकर जो उजाला फेंका है उसके लिए बहुत शुभकामनाएं। यह मुहिम थमनी नहीं चाहिए।  नारी की जिजीविषा का उल्लेख करते हुए कहा,
'मुझे आवाज उठाने दो,
आधी आबादी की पूरी हकीकत
दुनिया को बतलाने दो,
कब तक हाशिए पर रहूंगी मैं,
कभी मुझे भी तो आजमाने दो।
कितनी अग्नि परीक्षाएं लोगे मेरी,
कभी मुझे भी तो आजमाने दो,
आधी आबादी की पूरी हकीकत
दुनिया को बतलाने दो।।'
बेटी का सम्मान करें, जन्मे तो अभिमान करें

जायसवाल ने कहा, पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा जीवट वाली होती हैं। वे देश और समाज की जिम्मेदारियों में पुरुषों का मुकाबला करती हैं तो परिवार में मां, बहन और पत्नी की भूमिका का निर्वाह भी उन्हें करना होता है।

दुर्गा लक्ष्मी और सीता बनती हैं यही बेटियां
भगत आजाद को जनती हैं यही बेटियां
आपको कांटा चुभे तो आंसू गिराती हैं यही बेटियां
क्या कहीं बेटों से कम हैं ये प्यारी बेटियां
बेटी का सम्मान करें, जन्मे तो अभिमान करें हम।