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पिता और अपने सपने को साथ-साथ पूरा कर रहीं अंकिता

Published - Sat 02, Mar 2019

मिलिए यूपी की स्टार्टअप क्वीन्स से...

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बचपन में बनाए स्केच कब अंकिता का पैशन बन गए, उन्हें इसका पता ही नहीं चला। पढ़ाई के साथ-साथ उनकी कला भी निखरती गई। कुछ समय के लिए मूर्तिकला की बारीकियां सीखने को कोर्स भी किया। इस बीच पिता ने बेटे-बेटी के बीच जिम्मेदारियां बांट दीं। होटल रमाडा की डायरेक्टर के रूप में जुट गईं पिता का सपना पूरा करने में, पर बने-बनाए रास्तों पर चलना उन्हें रास नहीं आया और अस्तित्व में आया ब्रिओ आर्ट हाउस एंड कैफे।

कमाई नहीं पर्यावरण व विरासत सहेजने पर फोकस
अंकिता बताती हैं कि ब्रिओ आर्ट एंड क्राफ्ट कैफे महज बैठकर चाय-पानी, कुछ खाने-पीने की जगह नहीं। यह थ्री इन वन प्लेस के कॉन्सेप्ट पर तैयार किया गया है। पहले ये आर्ट गैलरी है, जहां हम लोगों को अपनी संस्कृति, कला के बारे में विभिन्न माध्यमों से बताते हैं। दूसरा यह आर्ट हाउस शॉप भी है, जहां सिर्फ ईकोफ्रेंडली उत्पाद ही बेचने के लिए उपलब्ध हैं। फिर आती है बारी एक ऐसे कैफे की जहां प्राकृतिक वातावरण में आपका स्वागत होता है। यहां प्लास्टिक का इस्तेमाल न के बराबर होता है। मिट्टी के बर्तनों को कुछ स्टाइलिश लुक देकर इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां का हर स्टाफ खादी के कपड़ों में नजर आता है। अंकिता कहती हैं कि पहले ईकोफ्रेंडली जैसी चीजें नहीं थी। अब इन्हें एक दायरे में बांधना जरूरी है, क्योंकि सस्ती और प्लास्टिक की चीजों ने हमारा पर्यावरण तबाह कर दिया है। ईकोफ्रेंडली चीजें सबका हक हैं, इन्हें आम आदमी की पहुंच में लाने के लिए इनके ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देना होगा।

‘यदि हमें स्वास्थ्यवर्धक चीजें और माहौल आम आदमी की पहुंच में रखना है तो हमें इसकी आदत डालनी होगी। यहां डिमांड एंड सप्लाई का नियम लागू होता है।’

 - अंकिता जायसवाल, ब्रिओ आर्ट हाउस एंड कैफे