महिलाओं को सशक्त व सक्षम बनाने में परिवार का अहम योगदान है। परिवार और समाज की रूढ़िवादिता उन्हें अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने से रोकती है।
अलीगढ़। अमर उजाला के अभियान अपराजिता-100 मिलियन स्माइल्स के तहत मंगलवार को खैर के खुशीराम महाविद्यालय में आयोजित महिला सशक्तीकरण सेमिनार का शुभारंभ करते हुए महाविद्यालय के प्रबंधक नरेंद्र भारद्वाज ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण, सुरक्षा और गरिमा की रक्षा में ‘अपराजिता’ अभियान अहम भूमिका निभा रहा है। महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर समाज को चिंता करनी चाहिए। नारी गरिमा और सम्मान का प्रतीक है। महिलाओं पर बढ़ते अपराध बेहद चिंताजनक हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार वशिष्ठ ने कहा कि ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जो महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच रखे। महिला हिंसा व उत्पीड़न रोकने के लिए कड़े कानून बनें। छेड़छाड़ की घटनाओं से बचने के लिए लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सीखने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी रक्षा स्वयं कर सकें।
प्रवक्ता ललिता जादौन ने कहा कि वास्तविक सशक्तीकरण का मतलब स्वयं में आत्मबल पैदा करना है। प्रवक्ता ब्रदेश ने कहा कि महिलाओं को सशक्त व सक्षम बनाने में परिवार का अहम योगदान है। परिवार और समाज की रूढ़िवादिता उन्हें अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने से रोकती है। परिवार में महिलाओं को सम्मान और समानता का अधिकार मिले। छात्र-छात्राओं ने ‘अपराजिता’ के साथ नारी गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखने की शपथ ली।
डीएलएड की छात्रा नीतू चौधरी ने कहा कि हमें स्वयं पर विश्वास होना जरूरी है। हमारा आत्मविश्वास ही हमें हर मुश्किल से निकले में मदद करता है। मुसीबत के दौरान आत्मविश्वास बनाए रखना आत्मरक्षा का पहला सबक है। स्वयं को घिरे देखकर हौसला खो देने पर कभी जीत नहीं सकते। डर को हराकर ही जीत मिलती है। इस मौके पर प्रवक्ता गौरव कुमार, प्रमोद कुमार, अवधेश कुमार, जितेंद्र कुमार, मुकेश कुमार भी मौजूद रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.