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लंगड़ी टांग खेलते-खेलते रचना बनीं एथलीट और इंटरनेशनल शूटर

Published - Mon 04, Mar 2019

अपराजिता मैदान की धुरंधर

aprajita maidaan ki dhurandhar rachna govil

खेलना इतना पसंद था कि जब मौका मिलता खेलने निकल पड़तीं। डांट पड़ती तो छिप कर खेलतीं। लंगड़ी टांग में एक्सपर्ट थीं। खेलते-खेलते खेल को लेकर इतना गंभीर हो गईं कि इसे ही कॅरिअर बनाने का फैसला कर लिया। हाईस्कूल से सीरियस स्पोर्ट खेलना शुरु किया रचना गोविल ने। उनके बारे में कहा जाता है कि वे एक  बेहतरीन प्रतिद्वन्द्धी थीं। खास बात है कि वह एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने एथलीट व शूटिंग दोनों में टॉपरैंक हासिल की है। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित रचना गोविल के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वे मणिपुरी डांस में भी पारंगत हैं। वह यूपी की पहली खिलाड़ी थीं, जिन्होंने इंदिरा मैराथन जीती। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में यह उनका दूसरा कार्यकाल है। पहली बार वह यहां 2011 से 14 तक रहीं। बॉक्सिंग, ताइक्वांडो, रेसलिंग की लड़कियों केलिए हॉस्टल शुरू कराने का श्रेय उन्हें ही जाता है। दूसरे कार्यकाल मेंं वह खिलाडिय़ों का मनोबल कभी नहीं टूटने देने का संकलप लेकर जुटी हैं।

हर किसी की नजरें टेढ़ी थीं, पर मां ने हौसला दिया
रचना बताती हैं कि जब मैं पहली बार लखनऊ में दौड़ी तो एक लड़की को देख हर किसी ने आलोचना की। घर आकर कहा कि लड़की बिगड़ गई है। उन दिनों खेल कॅरिअर था ही नहीं। जीत केआ गए तो भी रोटी बनाओ यही सोच थी समाज की। मां ने मेरा साथ दिया और हमेशा हौसला बढ़ाया। मैं पेंटिंग भी अच्छी बनाती थी। मां ही थीं, जो मेरी पेंटिंग ललित कला अकादमी तक लेकर जाती थीं।

अब आगे- जहां तक संभव हो हर खिलाड़ी का हौसला बढ़ाना है।

'जब आप लड़ाई के मैदान में उतर ही गए हैं तो हारने का सवाल ही नहीं उठता। अपनी जान लगा दीजिए।'
-  रचना गोविल
साई, कार्यकारी निदेशक