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विभा ने पार की स्टेडियम की कठिन डगर

Published - Mon 04, Mar 2019

अपराजिता मैदान की धुरंधर

aprajita maidaan ki dhurandhar vibha singh

परिवार के किसी भी सदस्य का खेल से कोई नाता नहीं था। बनारस के ऊंचगांव में रहती थीं, वहां लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने-लिखाने केबारे में भी कोई नहीं सोचता था। पर एथलीट विभा सिंह को तो खेल का मैदान बुला रहा था। छिप-छिप कर स्कूल में खेलती, किसी को बताती नहीं। जब स्टेट लेवल पर मेडल मिला तो घर-गांव के लोगों की सोच बदली। हां, मां बराबर प्रोत्साहित करती रहती थीं। इन्हीं कोशिशोंं के बीच पहुंच गईं सांई  हॉस्टल, फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कई नेशनल खेले, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। इन्हीं उपलब्धियों का नतीजा था कि उन्हें यूपी एथलेटिक्स टीम का कोच बना दिया गया।

तैयार कर रहीं एथलीट की नई पौध
विभा बताती हैं कि गांव की पगडंडियों से निकल कर बाहर आना काफी कठिन था। 20 किलोमीटर आना,20 किमी. तक साइकिल चलाकर जाना मेरी दिनचर्या का हिस्सा था। नहीं जाती तो खेल नहीं पाती। अब तक 45 बच्चों को बतौर एथलीट तैयार कर चुकी हूं।

मेरी रोल मॉडल - सुधा सिंह, अंजू बॉबी जॉर्ज

 

इरादा ये है : मेरे स्टूडेंंट अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचें और देश का नाम रोशन करें।
- विभा सिंह
कोच, यूपी एथलेटिक्स टीम