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पापा चाहते थे बेटी ​खिलाड़ी बनें, विनीता ने कर दिखाया

Published - Mon 04, Mar 2019

अपराजिता मैदान की धुरंधर

aprajita maidaan ki dhurandhar vinita shukla

बेटियों को खेल के मैदान में क्यों भेजते हो? शॉर्ट स्कर्ट पहनकर जब घर की बेटी खेलती है, तब अच्छा नहीं लगता, इसकी जरूरत भी क्या है? ये कुछ सवाल थे, जो अक्सर लोग विनीता शुक्ला को खेलने जाते देखे उसके मम्मी-पापा से किया करते थे। हालांकि घर के लोगों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। पापा वॉलीबॉल खेलते थे और चाहते थे कि बिटिया भी खिलाड़ी बने। पापा की इच्छा और अपनी रुचि का ध्यान रखते हुए उसने टेबल टेनिस को चुना और खेलती चली गई। टेबल टेनिस खेलना कक्षा 6 से जारी है।

...और बन गई गोल्डन गर्ल
पैदाइश कानपुर में हुई। सबसे पहले मथुरा में खेला और यूपी लेवल पर गोल्ड मेडल मिला। इसकेबाद सिलसिला जारी रहा। अंडर-14 से लेकर अंडर 16 तक खेला, फिर 2011 में यूपी टेबल टेनिस टीम की कैप्टन रही। 2009 में नौकरी लगी। पोस्टल ऑफिस के लिए लगातार खेल रही हूं। इंडियन सिविल सर्विसेज में पांच साल तक लगातार मेडल जीते।

वादा है खुद से : जो हासिल किया है, उसे बनाए रखना जरूरी है। इसलिए कोशिश रहेगी कि जब भी खेलूं नाम रोशन करूं।

- विनीता शुक्ला
टेबल टेनिस