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मुस्कुरा उठा बेटियों का बचपन

Published - Wed 06, Feb 2019

भूले बिसरे खेल में खूब खेलीं बेटियां

लखनऊ। नवाबी शहर में मंगलवार की सुबह एक नई रोशनी लेकर आई। सूरज की हर एक किरण के साथ गोमती तट के किनारे रिवर फ्रंट स्टेडियम के हर कोने में बिखरी पड़ी थी हमारी सैकड़ों बेटियों की मुस्कुराहट। अमर उजाला अपराजिता की 100 मिलियन स्माइल्स मुहिम के तहत आयोजित ‘भूले बिसरे खेल’ प्रतिस्पर्धा में जहां एक तरफ हमारी पुरानी खेल परंपरा जीवित हो सकी, वहीं रस्साकशी, सतोलिया, सिकड़ी, तिगड़ी, गुट्टक, घोड़ा जमाल खाय जैसे खेलों को खेलकर विभिन्न स्कूलों से आईं छात्राओं के साथ-साथ मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों, दादा-दादी, नाना-नानी और मम्मी-पापा ने भी अपने बचपन को भरपूर जिया।

बेटियों का हौसला बढ़ाने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा, पर्वतारोही पद्मश्री अरुणिमा सिन्हा, महापौर संयुक्ता भाटिया, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी साई निदेशक रचना गोविल, एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह, सीनियर आईएएस अफसर अनीता भटनागर जैन, इतिहासकार रवि भट्ट, डॉ. नेहा आनंद समेत तमाम पहुंचे। शाम को ‘हाउ इज द जोश... हाई सर’ के नारे के शोर के बीच विजेता खिलाड़ी बेटियों को उपमुख्यमंत्री ने मेडल पहनाकर, प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया।

छोटी बच्ची समझ कर हमसे ना टकराना रे...

जिन्हें सब कोमल मान रहे थे, जब वे रस्साकशी के लिए मैदान में आईं तो फिर कोई नहीं टिका। काफी दम बांधने वाले इस खेलकूद में छात्राओं ने पूरा दम दिखाया और अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर भी दी। छात्राओं ने यहां चल रही प्रतियोगिता में दूसरी टीम का उत्साह बढ़ाया। सभी के आकर्षण का केंद्र रस्साकशी बनी। जब भी वहां से छात्राओं की जोशीली आवाज सुनाई देती, अन्य छात्राएं दौड़कर वहां पहुंच जाती। इस तरह आज पूरे दिन छात्राओं ने विभिन्न भूले-बिसरे खेलों का खूब आनंद उठाया।

घोड़ा जमाल खाय...को भी खूब खेलीं

यूं तो मिनी स्टेडियम में चारों तरफ छात्राएं खुशी व उत्साह से चहक रहीं थीं, लेकिन एक साथ तीन अलग-अलग ग्रुप में चल रही घोड़ा जमाल खाय प्रतियोगिता में खास उत्साह दिख रहा था। छात्राएं चहक-चहक कर ‘घोड़ा जमाल खाय-पीछे देखो मार खाए’ की आवाज के साथ गोल चक्कर लगा रहीं थीं। वहीं जब वो कोड़ा किसी दूसरी छात्रा के पीछे रखती तो उसे दौड़ाकर दो कोड़े लगाती थी। महर्षि विद्या मंदिर की 7वीं की छात्रा माही ने कहा कि पहली बार मैंने नानी के घर इस खेल को देखा था। फिर पिछले दिनों स्कूल में सहयोगियों संग इसका आनंद लिया। वहीं रेडियंट एजुकेशनल एकेडमी की 8वीं की छात्रा तनु साहू ने आज पहली बार घोड़ा जमाल खाय खेल खेला। इसके बाद उन्होंने अन्य खेलों का भी लुत्फ उठाया। छात्राओं के इस खेल में उनके साथ आए शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी पूरा आनंद लिया।

पैर से पैर बांधा और दौड़ पड़ीं

‘...फोड़ो मटकी...तोड़ो ईंट, शुरू करो सिगड़ी का खेल’ के साथ शुरू हुई सिगड़ी में विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने हिस्सा लिया। तीन एज ग्रुप में शुरू हुए सिगड़ी खेल में लाइनों को टच किए बिना आगे बढ़ने और सिगड़ी उछालते वक्त खिलाड़ियों की सावधानी के जज्बे से कई को जीत तो कई को हार का सामना करना पड़ा। भूले बिसरे खेलों में सिगड़ी खेलने पहुंचीं विभिन्न स्कूलों की टीमों ने खेल भावना के साथ जीतने को लेकर दम खम लगा डाला।

यहां तो मिल्खा को भी पीछे छोड़ दिया

कॉपी-किताब से दूर आज तो बस उन्हें दौड़ना था। उनके हर एक कदम की तेजी उनके हौसले को दिखा रही थी। तिगड़ी के देसी खेल में स्कूली लड़कियों खेल के जज्बे के साथ दौड़ मिल्खा दौड़ का दम दिखाया। इस तिगड़ी दौड़ में कुछ गिर गए, तो कुछ आगे निकल गए, लेकिन जो जीता वही सिकंदर बना। तिगड़ी रेस में तीन टांग पर दो खिलाड़ी दौड़ लगाते, गिरते उठते और फिर जीत की मंजिल के जज्बा के  साथ 50 मीटर की लंबी दौर में आगे बढ़ते रहे। तीन वर्गों में कक्षा तीन से कक्षा 12 की छात्राओं ने खूब दम दिखाया। और दर्शकों में जोश भरते रहे। इस दौरान रेफरी जफर व अन्य ने खेल में खिलाड़ियों को नियम आदि बताए। जफर के मुताबिक तिगड़ी खेल में एक साथ दो खिलाड़ी होते हैं और दोनों खिलाड़ी का एक पैर दूसरे खिलाड़ी के पैर से बांधा जाता है। इसलिए इसे तिगड़ी तीन पैर वाली दौड़ कहा जाता है।

गिट्टियों का पहाड़ तोड़ उन्हें जता दिया

सात गिट्टियों को एक के ऊपर एक रखने में हर किसी के पसीने छूट गए। ऊपर से विपक्षी टीम के वार से बचना भी ओलंपिक में पदक जीतने के बराबर खुशी दे गया। सतोलिया या गिट्टी फोड़ के खेल में बच्चियों के सधे निशाने से न ही गिट्टियां बचीं और न ही विपक्षी खिलाड़ी। सतोलिया का पहला मुकाबला टीडी गर्ल्स इंटर कॉलेज व एसएसजेडी इंटर कॉलेज के बीच हुआ। पहले राउंड में टीडी गर्ल्स ने बढ़त बना ली जो तीसरे व अंतिम राउंड तक चली। टीडी गर्ल्स इंटर कॉलेज की आरती, मंजू, नेहा व पूजिता ने हर राउंड में धैर्य व सटीक निशाने के बल पर एसएसजेडी कॉलेज की छात्राओं पर दबाव बनाए रखा। सतोलिया को जीतने के लिए बच्चियों की टोलियों का शोर यह बता रहा था कि क्रिकेट, बैडमिंटन के साथ ही गली-मोहल्ले के खेलों में भी उनका कोई जवाब नहीं।

हवा में उछली गुट्टक को पलक झपकते किया काबू

सेवेन ओक्स की कक्षा तीन की छात्रा अनुष्का एक हाथ में पकड़ी गुट्टक को हवा में उछालती और पलक झपकते ही जमीन पर पड़ी दूसरी गुट्टक को अपनी मुट्ठी में कर लेती। जमीन पर पड़ी पांचों गुट्टक एक-एक कर उसके हाथ में थीं। अनुष्का की तरह ही खुशी व अन्य बच्चियां भी गुट्टक को बिना गिराए जमीन से उठाकर मुट्ठी में कैद कर रहे थे। प्रतियोगिता में बिना गुट्टक गिराए जमीन पर पड़ी सभी पांचों गुट्टक को मुठ्ठी में करना था। बच्चों की हौसला आफजाई के लिए वहां आए लोग उन्हें देखकर बरबस ही तालियां पीटते लगते। ‘भूले बिसरे खेलों’ के लिए रिवर फ्रंट के मिनी स्टेडियम में सजी महफिल में बच्चियों को गुट्टक खेलते देख सभी का बचपन फिर से साकार हो गया।