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लखनऊ : बेटियों से हटाएं बंदिशें

Published - Thu 31, Jan 2019

जेंडर सेंसटाइजेशन वर्कशॉप

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लखनऊ। गलती बेटे करे, सजा बेटियों को मिलती है। बेटे छेड़खानी करते हैं, बंदिशें बेटियों पर लगाई जा सकती है। बेटियों को अच्छी स्कूल नहीं भेजा जाता, क्योंकि उसकी शादी में खर्च सहना मुश्किल है। ऐसी सोच के साथ कभी भी बेटियां आगे नहीं बढ़ पाएगी। समाज में महिलाओं की स्थिति में भी सुधार नहीं आ पाएगा। अपराजिता अभियान के तहत 19 जनवरी को स्प्रिंग डेल कॉलेज में पैरेंट्स टीचर मीटिंग के दौरान आयोजित जेंडर सेंसटाइजेशन वर्कशॉप में यह मुद्दे उठे। शुरुआत में अभिभावक बोलने से हिचके, लेकिन फिर एक-एक कर उन्होंने अपने अनुभव, अपनी सोच साझा की। खुलकर स्वीकार किया कि बेटियों को बेटों के मुकाबले कम आंका जाता है। भेदभाव को लेकर छात्रों की संवेदनशीलता सामने आई, जब छात्रों ने स्वीकार किया कि सारी हिदायतें बेटियों को दी जाती हैं। लड़के की गलती की सजा भी लड़की भुगतती है। उसकी पढ़ाई लिखाई तक छुड़वा दी जाती है। विशेषज्ञों ने इच्छाशक्ति और आत्मबल के भरोसे इस समस्या से पार पाने का हल बताया। उन्होंने कहा कि लोग क्या कहते हैं, इस बात की परवाह किए बिना बेटियों को सशक्त बनाने के साथ बेटों को उनका सम्मान करने का संस्कार दें। इसके बाद सभी ने अपराजिता शपथ ली। (19-1-19)