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अपराजिता : बसें धोकर परिवार पाल रही मीरा

Published - Fri 01, Feb 2019

सिरमौर जिले के ददाहू उपमंडल के पनार गांव में नारी शक्ति की अनूठी मिसाल सामने आई है।

सिरमौर जिले के ददाहू उपमंडल के पनार गांव में नारी शक्ति की अनूठी मिसाल सामने आई है। पति की मृत्यु के बाद ससुराल में सास की देखभाल कर महिला जहां बेटे का फर्ज निभा रही है वहीं अपने बच्चों का लालन-पालन कर अपने पति की जिम्मेदारियां भी निभा रही है। वह भी एचआरटीसी और निजी बसों को धो कर। उसकी अपनी जिंदगी बस स्टैंड में बसों की धूल के बीच बीत रही है। लेकिन, अपने परिवार को वह सुखमय जीवन दे रही है। वह महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं। ददाहू की मीरा देवी ने यह साबित कर दिखाया है कि जीवन में कुछ मुश्किल नहीं है। महिलाएं भी पुरूषों की भांति कार्य करके अपने परिवार का लालन-पालन कर सकतीं हैं। पति की मृत्यु के पश्चात मीरा देवी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बच्चों और सास के लालन पालन के लिए वही कार्य चुना जो उसके पति किया करते थे। मीरा ददाहू बस स्टैंड में सरकारी बसें धोकर अपने परिवार को पालन-पोषण कर रही है। विभाग की ओर से उसे मात्र 22 रुपये प्रतिबस धुलाई के मिलते हैं। हर रोज 5 से 7 बसों को धोकर वह अपने बच्चों के सपनों को साकार कर रही है। मीरा के पति सुरेंद्र कुमार का अप्रैल 2015 में दिल का दौरा पडने से निधन हो गया था। वह निगम की बसों में वाशिंग मैन के पद पर कार्यरत थे। पति के स्थान पर निगम ने मीरा को नौकरी तो नहीं दी, लेकिन उसकी जगह प्रति बस 22 रुपये की दर से बसें धोने का कार्य दे दिया। कड़ाके की ठंड हो या प्रचंड गर्मी पुरूषों की भांति बसों को धोना उसकी दिनचर्या बन गई है। मीरा अपने तीन बच्चों व एक सास के साथ पनार में ही रह रही है।
स्कूल के बाद स्वयं पढ़ाती है अपने बच्चे
10 जमा दो तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी वह बसों को धोने से नहीं हिचकिचाती। मीरा देवी ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा सातवीं, एक बेटी चौथी में पढ़ाई कर रही है। जबकि एक बेटी एलकेजी में दाखिल हैं। बच्चों के लालन-पालन का खर्चा बसों को धोकर निकलता है। वह कहती है कि कभी 150 तो कभी 200 दिहाड़ी बन जाती है।  

बीपीएल में रखा, नहीं मिले कोई लाभ
पनार पंचायत ने मीरा देवी को बीपीएल परिवार की श्रेणी में रखा है। लेकिन, उसे किसी भी तरह की कोई वित्तीय सुविधा व योजनाओं का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित भी है। ऐसी महिलाएं समाज के लिए एक मिसाल ही नहीं एक प्रेरणास्त्रोत भी है। जो कि अपने बच्चों के लिए अपने पिता की कमी को पूरा करने के साथ-साथ सास के लिए भी बेटे का फर्ज निभा रही है।