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अपराजिता बनीं सिक्किम की पहली महिला आईपीएस

Published - Sat 09, Mar 2019

अपराजिता बहादुर बेटियां

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आर्थिक तंगी, आठ साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया। अकेली मां ने परवरिश की और पढ़ाई में कभी बाधा नहीं आने दी। नतीजा आज वे गर्व से कहती हैं कि उनकी बेटी अपराजिता राय सिक्किम की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन चुकी हैं। सख्त अफसर, लेकिन बेहतर इंसान अपराजिता कहती हैं कि एक महिला हो या पुरुष चुनौतियां दोनों के सामने हैं। हालांकि वे ये भी कहती हैं कि उन्हें बेहतर माहौल मिला है काम करने का, लेकिन अन्य के लिए ऐसा नहीं है। अक्सर महिलाओं की भूमिका को एक पत्नी, घर की केयरटेकर या एक बेटी तक ही सीमित मान लिया जाता है। इसे बदलना होगा,  इसके लिए कोशिश जारी है। कहती हैं कि अब तक मैंने जो किया उसमें सबसे बड़ा फैसला तो यही है कि मैंने पुलिस सेवा जॉइन करने का फैसला किया। बाकी अभी तो बेस्ट देना बाकी है।

कोशिश है कि हर बेटी को मिले पूरी सुरक्षा
अपराजिता
कहती हैं कि निश्चित तौर पर वीमेन फ्रेंडली सोसाइटी बनना अभी बाकी है। मैं खुद अपने यहां इस ओर काम कर रही हूं। इसके लिए हमारा फोकस अपराध की रोकथाम के साथ-साथ उन महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने पर है।

'भारत में बेटियों का भविष्य उज्जवल है। हर मां को चाहिए कि वह अपनी बेटी को खुले पंख लगाकर उडऩे  दें। बेटियों को चुनौतियों से हारना नहीं उन्हें पीछे छोडऩा है।'

अपराजिता राय
एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम, डिटेक्टिव डिपार्टमेंट,सिक्किम
अतिरिक्त प्रभार, डीसी हेडक्वार्टर, कोलकाता पुलिस